National Media Conference: ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के आबू रोड स्थित मुख्यालय शांतिवन में राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन का आयोजन किया गया।
आनंद सरोवर परिसर में आयोजित इस सम्मेलन में कई बड़ी हस्तियों में समेत भारत सहित नेपाल से एक हजार से अधिक पत्रकार, संपादक, ब्यूरो चीफ और मीडिया प्रोफेसर ने शिरकत की।
राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन का शुभारंभ
राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन का शुभारंभ केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन, मुख्य प्रसाशिका दादी रतन मोहिनी, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, पूर्व कुलपति डॉ. मान सिंह परमार और ब्रह्माकुमारीज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने किया।
सम्मेलन का संचालन जयपुर की जोनल संयोजिका चंद्रकला दीदी ने और स्वागत भाषण मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके शांतानु भाई ने दिया।
स्वागत नृत्य बेंगलुरु से आए सुप्रीम शिव शक्ति सांस्कृतिक अकादमी के बच्चों ने पेश किया।
मीडिया विंग द्वारा स्वस्थ और सुखी समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए देशभर से एक हजार से अधिक प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, रेडियो और बेव जर्नलिज्म से जुड़े पत्रकार, संपादक, ब्यूरो चीफ, रेडियो जॉकी, फ्रीलांसर पत्रकार और मीडिया प्रोफेसर पहुंचे थे।
विकसित भारत के निर्माण में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान
सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है।
आज एक अच्छी न्यूज उतनी तेजी से वायरल नहीं होती है जितनी की एक गलत, फेंक न्यूज़ वायरल हो जाती है।
पत्रकार पहले खबरों की सत्यता की जांच कर लें उसके बाद ही प्रकाशित करें।
अच्छी खबरों को बढ़ावा देने से ही स्वस्थ और सुखी समाज का निर्माण होगा।
आज समाज में यदि नकारात्मक माहौल बन रहा है तो हमें चिंतन करने की जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा मीडियाकर्मी अपने निजी जीवन में अध्यात्म को अपनाएं।
विश्व शांति के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्था कार्य कर रही है।
एक पत्रकार गलत न्यूज़ से देश का माहौल बिगाड़ सकता है इसलिए पत्रकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
सूचना देने के लिए मीडिया सबसे शक्तिशाली साधन है, जो दुनिया को खेल और संस्कृति आदि की जानकारी देता है।
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, मीडिया हिमालय से लेकर रेगिस्तान में जाकर सूचनाएं जुटाता है।
मीडिया अपने उद्देश्य से भटक गया है- डॉ. मान सिंह परमार
डॉ. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विद्यालय रायपुर के पूर्व कुलपति डॉ. मान सिंह परमार ने कहा कि जब देश आजाद नहीं हुआ था तो मीडिया के सामने एक लक्ष्य, एक ध्येय, एक उद्देश्य था।
लेकिन, जब देश आजाद हो गया तो मीडिया के सामने एक चुनौती थी कि अब किस दिशा में आगे बढ़ा जाए।
आज व्यापारवाद के दौर में मीडिया अपने उद्देश्य से भटक गया है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है जो किसी भी रीति से समाज के लिए ठीक नहीं है।
सोशल मीडिया ने हमें आजादी जरूर दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि कहीं सोशल मीडिया भस्मासुर न बन जाए।
पत्रकार राष्ट्र और राष्ट्रीयता के स्तंभ है- विष्णु त्रिपाठी
नई दिल्ली दैनिक जागरण के एक्जीक्यूटिव एडिटर विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हम राष्ट्र और राष्ट्रीयता के स्तंभ हैं।
लोकतंत्र में संरक्षण की जरूरत है लेकिन यदि मीडिया को नियंत्रीकरण किया जाएगा तो वह अपना अस्तित्व खो देगा।
दिल्ली के पीआईबी के पूर्व प्रिंसिपल डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि कई बार हम पत्रकारों को अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करना पड़ता है, लेकिन हमें अपने मूल्यों को कायम रखना होगा
अश्लील कंटेंट को प्रचारित-प्रसारित करना बंद करे
आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हम सभी पत्रकारों को अभियान चलाना चाहिए कि अश्लील सामग्री मुक्त समाज बने।
हमें अश्लील कंटेंट को प्रचारित और प्रसारित करना बंद करना होगा। एक-एक व्यक्ति सूचना का राजदूत है।
आज मीडिया का भारतीयकरण करने की जरूरत है।
हमारे यहां तो लोक मंगल की भावना को लेकर कार्य करने की परंपरा रही है।
हमें संवाद की परंपरा की ओर फिर से बढ़ने की जरूरत है।
हम जगतगुरु की बात कर रहे हैं लेकिन कोई शिष्य बनने के लिए तैयार है।
सम्मेलन में इन्होंने भी व्यक्त किए अपने विचार
अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि तीनों कालों की न्यूज़ परमात्मा के पास है।
मीडिया निदेशक राजयोगी बीके करुणा भाई ने कहा कि हमारा मकसद पत्रकारों के जीवन में आध्यात्मिक समावेश से समाज को सुखी संपन्न बनाने की ओर ले जाना।
जयपुर सबजोन की निदेशिका राजयोगिनी बीके सुषमा दीदी ने कहा कि राजयोग को जीवन में शामिल करने से सारे रोग खत्म हो जाते हैं।
शिक्षा प्रभाग की उपाध्यक्ष राजयोगिनी बीके शीलू दीदी ने कहा कि आंतरिक सशक्तिकरण से ही स्वस्थ और सुखी होगा।
विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सरला आनंद बहन ने कहा कि बिना अध्यात्म के स्वस्थ समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है और इस कार्य में मीडिया का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है।
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