Homeन्यूज'महाकुंभ में विज्ञान, अध्यात्म और परंपरा' पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय...

‘महाकुंभ में विज्ञान, अध्यात्म और परंपरा’ पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी

और पढ़ें

National Seminar On Mahakumbh: भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है।

यह सांस्कृतिक संचार, राष्ट्र की एकता और समाज के सनातनबोध का सबसे बड़ा उत्सव है।

यह भारतबोध कराने का एक अनुष्ठान है, जो हमारी परंपरा और मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य करता है।

प्रो. संजय द्विवेदी ‘महाकुंभ में विज्ञान, अध्यात्म और परंपरा’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

महाकुंभ में विज्ञान, अध्यात्म और परंपरा

झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में ‘महाकुंभ में विज्ञान, अध्यात्म और परंपरा’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने पुष्पगुच्छ भेंट कर प्रो. संजय द्विवेदी का स्वागत किया।

संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों और शोधकर्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए और कुंभ के महत्व को नए दृष्टिकोण से समझने पर बल दिया।

इस मौके पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय, प्रो. आर.के. सैनी, डॉ. गौरी खानविलकर, प्रो. मुन्ना तिवारी और डॉ. प्रकाश चंद्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कुंभ राष्ट्र की एकता और सनातनबोध का सबसे बड़ा उत्सव

राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के पूर्व महानिदेशक ने भी संबोधित किया।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि प्राचीन काल में संवाद और संचार व्यवस्था इतनी सशक्त थी कि कुंभ का संदेश बिना विकृत हुए अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता था।

लेकिन, आज के संचार माध्यमों की बहुलता के कारण यह चुनौती बन गया है।

या तो संदेश सही रूप में नहीं पहुंचता या फिर उसके अर्थ बदल जाते हैं, जिससे उसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।

उन्होंने कहा कि कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है।

यह समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करता है और राष्ट्र अपने संकटों के समाधान इन्हीं आयोजनों के माध्यम से खोजता रहा है।

महाकुंभ: शांति, सद्भाव और एकजुटता का प्रतीक

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत केवल एक भूखंड नहीं है।

बल्कि यह एक विचारधारा, दर्शन और जीवन दृष्टि है, जहां ज्ञान और विज्ञान का समन्वय देखने को मिलता है।

विज्ञान और अध्यात्म अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि युगानुसार और देशानुसार उनकी व्याख्या होती रही है।

वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मुकेश पाण्डेय ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक स्नान का अवसर नहीं, बल्कि यह सनातन विचारों का महापर्व है।

हजारों वर्षों के ज्ञात इतिहास में महाकुंभ ने पूरी दुनिया को शांति, सद्भाव और एकजुटता का संदेश दिया है।

- Advertisement -spot_img