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इंदौर के DAVV में नेपाल जैसे बड़े Gen-Z प्रोटेस्ट की साजिश, एंटी रैगिंग कमेटी ने किया खुलासा

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Indore DAVV GenZ Protest: मध्य प्रदेश के इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में रैगिंग का एक ऐसा मामला सामने आया है, जो सामान्य धौंस जमाने या परेशान करने से कहीं बड़ी साजिश निकली।

एंटी रैगिंग कमेटी की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि संस्थान के सीनियर छात्र नेपाल में हुए ‘जेन-जेड आंदोलन’ की तरह का एक बड़ा सोशल मीडिया प्रोटेस्ट इंदौर में शुरू करने की तैयारी कर रहे थे।

इस पूरी योजना के लिए IET को ही अपना अड्डा बनाया गया था।

क्या थी पूरी योजना?

एंटी रैगिंग कमेटी की जांच में पता चला है कि सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष के नए छात्रों पर दबाव डालकर उनसे फर्जी (फेक) ईमेल और ट्विटर (एक्स) अकाउंट बनवाए।

छात्रों को निर्देश दिया गया था कि उन्हें कम से कम दो-दो फेक ट्विटर अकाउंट बनाने हैं और सीनियर्स द्वारा भेजे गए हर मैसेज को ज्यादा से ज्यादा रीट्वीट करना है, ताकि एक निश्चित हैशटैग को वायरल किया जा सके।

इसका मकसद संस्थान और प्रशासन के खिलाफ माहौल बनाना था, ठीक वैसे ही जैसा हाल ही में नेपाल के जेन-जेड आंदोलन में देखने को मिला था।

जूनियर छात्रों को चेतावनी दी गई कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें कॉलेज से बाहर कर दिया जाएगा।

रैगिंग नहीं, बल्कि थी पूरी संगठित साजिश

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जोर देकर कहा है कि यह सिर्फ रैगिंग का साधारण मामला नहीं था, बल्कि सीनियर छात्रों द्वारा की गई एक संगठित प्लानिंग थी।

इसके लिए नियमित रूप से बैठकें भी की जाती थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक बैठक इंदौर के शिवसागर रेस्टोरेंट में भी हुई थी।

इस बैठक में तृतीय वर्ष के छात्र अमन पटेल समेत आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, सुनील अहिरवार, नमन पांडे, यशच्ची मिश्रा और धवल चौधरी जैसे कई सीनियर छात्र मौजूद थे।

इसी बैठक में प्रथम वर्ष के छात्रों से उनके निजी जीमेल अकाउंट के अलावा अलग से फेक जीमेल और ट्विटर अकाउंट खुलवाए गए।

यह भी तय किया गया कि नेपाल के प्रोटेस्ट की तरह ही यहाँ भी एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाए।

साजिश को छिपाने के लिए अमन पटेल के कहने पर प्रथम वर्ष के एक छात्र विवेक शर्मा ने सभी जूनियर छात्रों के मोबाइल से इस मामले से जुड़े सभी व्हाट्सएप मैसेज भी डिलीट करा दिए।

प्रथम वर्ष के एक अन्य छात्र उमंग अग्रवाल ने “सीनियर इंट्रोडक्शन” नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया था।

कमेटी ने की FIR दर्ज करने की सिफारिश

इस गंभीर मामले को देखते हुए एंटी रैगिंग कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है।

कमेटी ने कहा है कि दोषी पाए गए छात्रों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए।

सिफारिश में अमन पटेल, आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, अनुज पटेल और उमंग अग्रवाल जैसे छात्रों के खिलाफ रैगिंग, धमकाने, फेक आईडी बनाने के लिए मजबूर करने, संस्थान के खिलाफ माहौल बनाने और डिजिटल सबूत मिटाने जैसे आरोपों में केस दर्ज करने को कहा गया है।

साथ ही, साइबर सेल की मदद से रेस्टोरेंट की बैठक में शामिल अन्य सीनियर छात्रों की पहचान करने की भी बात कही गई है।

मुख्य आरोपी का राजनीतिक कनेक्शन सामने आया

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला खुलासा मुख्य आरोपी अमन पटेल का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ा होना है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमन पटेल एबीवीपी का एक पदाधिकारी है। उसने राष्ट्रीय कला मंच के बैनर तले एक गरबा का आयोजन भी किया था, जिसमें जूनियर छात्रों से टिकट खरीदना अनिवार्य कर दिया गया था।

खबरों में दावा किया जा रहा है कि एबीवीपी का नाम सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन बचाव की मुद्रा में आ गया है, जिससे यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या प्रबंधन दबाव में दोषी छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से बचना चाह रहा है।

यह मामला अब सिर्फ रैगिंग तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसने संस्थानों में छात्र राजनीति, सोशल मीडिया के दुरुपयोग और युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाने की एक गंभीर साजिश की ओर इशारा किया है।

अब यह देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस इस मामले में कितनी कड़ी कार्रवाई करते हैं।

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