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Nepal Plane Crash Analysis: नेपाल में क्यों होते हैं इतने विमान हादसे? जानिए कारण

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Manish Kumar
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मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

Nepal Plane Crash Analysis : नेपाल की राजधानी काठमांडू में त्रिभुवन हवाई अड्डे पर टेक-ऑफ के दौरान 24 जुलाई बुधवार को सौर्य एयरलाइंस का विमान क्रैश हो गया जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि विमान मरम्मत के लिए जा रहा था जिसमें सारे लोग एयरलाइंस के ही स्टाफ के थे। बता दें कि इस देश में यह पहली दुर्घटना नहीं है। टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिहाज से इसे सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है।

त्रिभुवन एयरपोर्ट पर विमान दुर्घटना की एक लंबी लिस्‍ट है। आखिर, त्रिभुवन एयरपोर्ट पर इतने विमान हादसे क्‍यों होते हैं? क्‍या त्रिभुवन एयरपोर्ट एयरपोर्ट के रनवे में कोई दिक्‍कत है? आइए जानते हैं…

बेहद खतरनाक भौगौलिक बनावट –

नेपाल अपनी खूबसूरत पहाड़ों और वादियों के लिए जाना जाता है और यही पहाडि़यां त्रिभुवन एयरपोर्ट के आड़े आती हैं।

त्रिभुवन हवाई अड्डे को नेविगेट करने के लिए दुनिया के सबसे कठिन हवाई अड्डों में से एक माना जाता है।

दरअसल, हवाई अड्डे और इसकी भौगोलिक बनावट ऐसी है कि यहां विमान दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है।

त्रिभुवन एयरपोर्ट मध्य नेपाल में काठमांडू घाटी में स्थित है, जो सभी तरफ से हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है।

यहां से हिमालय कई किलोमीटर दूर स्थित है, लेकिन हवा की दिशा और तीव्रता स्थानीय मौसम को काफी प्रभावित करती है।

हिमालय से आने वाली हवाओं के कारण यहां कभी भी मौसम बदल जाता है जो विमान की लैंडिंग या टेकऑफ़ पर भी असर डालती है।

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एक ही रनवे, वो भी छोटा –

त्रिभुवन एयरपोर्ट पर केवल एक ही रनवे है जिसकी वजह से हवाई यातायात को व्यवस्थित करने में काफी मुश्किलें होती हैं।

इस हवाई अड्डे की लंबाई भी चिंता का विषय है जो अन्य इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मुकाबले में काफी कम है।

त्रिभुवन एयरपोर्ट का हवाई अड्डा लगभग 3 हजार मीटर लंबा है जबकि अन्य सामान्य हवाई अड्डों के रनवे लगभग 3,500 मीटर लंबे हैं।

रनवे भी काफी ऊंचाई पर है जिसकी वजह से यहां फ्लाइट्स के उड़ान भरने और उतरने में अधिक समय लगता है।

इसलिए आमतौर पर अच्‍छे और अनुभवी पायलटों को ही नेपाल के त्रिभुवन एयरपोर्ट पर विमान उड़ाने की इजाजत दी जाती है।

छोटे विमानों से ज्यादा हादसों का डर –

पहाड़ों के बीच बसी जगहों पर जाने के लिए नेपाल एविएशन छोटे हवाई जहाजों पर ज्यादा भरोसा करता है।

इससे उड़ान भरने और लैंडिंग में ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती लेकिन ये भी मुश्किलों के लिए एक वजह है।

सिविल एविएशन एक्सपर्ट्स की मानें तो 19 सीटर या इतनी ही क्षमता वाले विमानों के जल्दी असंतुलित होने और हादसे का शिकार होने की ज्यादा आशंका रहती है।

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सुरक्षा मानक भी सवालों के घेरे में – 

नेपाल में चेतावनी के बाद भी लगातार पुराने एयरक्राफ्ट ही काम में लाए जा रहे हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खराब मौसम के दौरान ये भरोसेमंद नहीं रहते और हादसे का शिकार हो जाते हैं।

इसे देखते हुए कुछ साल पहले इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन ने नेपाल से साझेदारी की ताकि वहां विमान दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

इस साझेदारी के बाद से सुरक्षा मानकों पर काम तो हुआ, लेकिन विमान हादसों में इसके बावजूद भी कमी नहीं हो पा रही है।

अपनाते हैं VFR तकनीक, जो हैं खतरनाक – 

अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में अब भी घरेलू उड़ानों के लिए पायलट विजुअल फ्लाइट रूल (VFR) अपनाते हैं।

VFR तकनीक में पायलट्स फ्लाइट से बाहर देखते हुए नेविगेट और कंट्रोल करते हैं। ऐसे में बाहर एकदम से मौसम बदल जाए तो हालात भी बिगड़ सकते हैं।

नेपाल जैसे पल-पल बदलते मौसम वाले देश में VFR तकनीक काफी खतरनाक है, जिसपर कई बार वहां विवाद भी हो चुका है।

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नेपाल के बड़े विमान हादसे –

28 सितंबर 1992 – पाकिस्‍तान इंटरनेशनल एयरलाइन का विमान एयरबस A300 लैंडिंग के वक्‍त क्रैश हो गया था। इस विमान में क्रू मेंमर समेत 167 लोग सवार थे। ये सभी प्‍लेन क्रैश में मारे गए थे। नेपाल के इतिहास में ये बड़ी विमान दुघर्टनाओं में से एक है।

4 मार्च 2015 – तुर्की एयरलाइंस का एक विमान घने कोहरे के बीच नेपाल में क्रैश-लैंडिंग के बाद रनवे पर देखा गया। 238 लोगों को ले जा रहा एयरबस A330, काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रनवे से आगे निकल गया था। दुर्घटना में कोई भी यात्री गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ था।

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12 मार्च 2018 – 71 यात्रियों और चालक दल को ले जा रहा एक विमान नेपाल के काठमांडू हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई थी। इसके लिए एयरलाइन ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को दोषी ठहराया था। हालांकि, हवाईअड्डे का कहना था कि विमान गलत दिशा से आया था।

28 अगस्‍त 2018 – नेपाल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक विमान दुर्घटना हो गया, जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई। ऐसा बताया गया कि विमान का कैप्टन इमोशनली डिस्‍टर्ब था। जांचकर्ताओं ने कहा कि कैप्टन आबिद सुल्तान उड़ान के दौरान रो पड़े, क्योंकि एक सहकर्मी ने उनकी कुशलता पर सवाल उठाए थे।

5 जनवरी, 2023 – यति एयरलाइंस का एटीआर72 विमान पोखरा के पास एक खाई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी 72 लोगों की मौत हो गई थी।

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