Garba Pandal Entry Rule: गरबा पंडालों में गैर-हिन्दुओं को रोकने के लिए गौमूत्र के बाद अब नया सुझाव सामने आया है।
मध्य प्रदेश में अब मांग उठी है कि गरबा पंडालों के प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु के वराह की तस्वीर लगाई जाए और जो लोग वराह अवतार की पूजा करेंगे उन्हें ही प्रवेश की अनुमति दी जाए।
अब हिंदू संगठन के इस सुझाव को विवादास्पद क्यों कहा जा रहा है और वराह की पूजा से गैर-हिंदुओं को कैसे रोका जा सकेगा, आइए जानते हैं –
Garba Pandal Entry Rule: पहले ‘वराह’ की पूजा फिर मिलेगी एंट्री
मध्य प्रदेश में नवरात्रि से पहले ही गरबे को लेकर सियासत शुरू हो गई है।
गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक के लिए गौमूत्र पिलाने के बाद अब नया सुझाव दिया गया है।
राजधानी भोपाल में एक स्थानीय दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने मांग की है कि गरबा आयोजकों को सिर्फ ‘वराह’ की पूजा करने वालों को ही एंट्री देना चाहिए।
दरअसल ये नया आइडिया किसी और का नहीं बल्कि संस्कृति बचाओ मंच के प्रमुख चंद्रशेखर तिवारी का है।
उन्होंने कहा कि गरबा पंडालों के प्रवेश द्वार पर ‘वराह’ की तस्वीर लगा दी जाए और जो उसकी पूजा करें सिर्फ उसे ही प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें – गरबा पंडाल पहुंचे मुस्लिम युवकों की धुनाई, हिंदू युवतियों के फोटो-वीडियो बनाते पकड़े गए
ये शर्तें अन्य समुदायों के सदस्यों को प्रवेश से रोकेंगी जो वराह को अपवित्र मानते हैं।
वहीं चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि इसके अलावा, हर प्रतिभागी को ‘पंच-गव्य’ दिया जाना चाहिए। जिसमें गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी शामिल है।
केवल सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोग ही ‘पंच-गव्य’ लेने के लिए तैयार होंगे।
Garba Pandal Entry Rule: इससे पहले आ चुका है ‘गौमूत्र’ का सुझाव
‘वराह’ की पूजा से पहले एमपी के ही भाजपा नेता ने गौमूत्र पीने का सुझाव दिया था।
इंदौर जिला भाजपा अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने बीते दिनों कहा था कि गरबा में प्रवेश के लिए गौमूत्र पीना अनिवार्य कर देना चाहिए।
हालांकि जहां इस विवादित बयान का विरोध हो रहा था।
वहीं कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने बयान का समर्थन कर कहा था कि इसमें गलत क्या है? जिसके धर्म की बात है, वो उसका पालन करें।
पूरी खबर यहां पढ़ें – गरबा में गैर हिंदुओं को रोकने का अजीब आइडिया, पंडाल में आने वाले को पिलाएंगे गौमूत्र
Garba Pandal Entry Rule: वराह की पूजा से गैर-हिंदुओं पर कैसे लगेगी रोक
अब सवाल ये कि वराह की पूजा से गैर-हिंदुओं पर रोक कैसे लगेगी?
आपकी जानकारी के लिए बता दें वराह भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से तीसरे अवतार हैं।
भगवान विष्णु ने अब तक 24 अवतार लिए हैं, इन्हीं में से एक वराह अवतार भी है।
प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि विष्णु जी ने यह अवतार पृथ्वी को बचाने के लिए और दैत्य हिरण्याक्ष का वध करने के लिए लिया था।
यह भगवान विष्णु का मानवीय शरीर में धरती पर पहला अवतार था।
इस अवतार में भगवान विष्णु ने शरीर मानवीय लिया था, जबकि उनका मुख वराह के समान था।
हिंदू पौराणिक कथाओं में ‘वराह अवतार’ को सुअर के रूप में दर्शाया गया है।
यही कारण है कि कुछ समुदायों में वराह और गाय से जुड़े उत्पादों का सेवन अपवित्र माना जाता है।
वहीं हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु के भक्त यानी वैष्णव उनकी पूजा आराधना करते हैं।
ये खबर भी पढ़ें – कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने किया गरबा पंडाल में गौमूत्र पीने का समर्थन, कहा- इसमें गलत क्या है?