नई दिल्ली/भोपाल। वो कहते हैं ना कि राजनीति में कुछ भी अनएक्सपेक्टेड नहीं है। कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। कल तक जो नेता आखिरी दम तक साथ निभाने की कसमें खा रहे थे, कंधे से कंधे मिलाकर साथ चलने का वादा कर रहे थे। वो कुछ ही दिन, कुछ ही घंटे नहीं, कुछ ही पलों में पार्टी छोड़ने का ऐलान कर देते हैं।
खासतौर पर बीजेपी में जाने वाले दलबदलू नेताओं ने यही ट्रेंड सेट कर दिया है। सवाल ये है कि आखिर ऐसे नेताओं की क्या राजनीतिक मजबूरी होती है। क्या कोई राजनीतिक दवाब होता है या फिर उन्हें जिस पार्टी में वो जाते, वहां उन्हें अपना सुनहरा भविष्य दिखाई देता है।
बात करें मध्यप्रदेश की तो यहां दलबदल का सबसे सही उदाहरण ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सेट किया था जो अपने 19 समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में आ गए थे और सरकार में शामिल हो गए। तो आइए जरा उन दलबदलू नेताओं की कुंडली खोलते हैं और इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।
अशोक चव्हाण, पूर्व सीएम और सांसद
महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व सीएम और दो बार के सांसद अशोक चव्हाण को लेकर किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो रातोरात पार्टी बदल लेंगे। इधर चव्हाण कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए नहीं कि दूसरे ही दिन बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया।
ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस उन्हें राज्यसभा या लोकसभा के लिए नॉमिनेट नहीं करती, फिर कांग्रेस छोड़ने की असल वजह क्या है। क्या इसके पीछे आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में उनका आरोपी होना है क्योंकि वे इस मामले में ED-CBI की जांच के घेरे में हैं।
अजित पवार, डिप्टी सीएम, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक नेता शरद पवार से रिश्ता तोड़ बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के साथ हो लिए। इस बार भी उन्होंने डिप्टी सीएम पद लिया है। बता दें कि अजित पवार पर 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में शामिल होने के आरोप थे।
छगन भुजबल, मंत्री, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री रहे NCP नेता छगन भुजबल भी अजित पवार के साथ मौजूदा सरकार का हिस्सा बन गए। BJP सांसद किरीट सोमैया ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र सदन घोटाले का आरोप लगाया था और इस मामले में वे 18 महीने जेल में भी रहे। अब भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी और डकैती समेत 7 गंभीर मामले दर्ज हैं।
नारायण राणे, केंद्रीय मंत्री
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कांग्रेस में थे, तब BJP नेता उन्हें राज्य का सबसे भ्रष्ट नेता कहते थे। BJP सांसद किरीट सोमैया ने ED को लेटर लिखकर उनकी और उनके परिवार की कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए थे।
राणे के खिलाफ ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत भी मिले थे, लेकिन राणे ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से एक संगठन बनाया और जिसका बाद में उन्होंने बीजेपी में विलय कर दिया।
शुभेंदु अधिकारी, नेता बीजेपी
अभी पश्चिम बंगाल में BJP के सबसे बड़े चेहरे शुभेंदु अधिकारी कभी ममता सरकार में कद्दावर मंत्री थे। इसी दौरान CBI ने शारदा घोटाले में उनसे पूछताछ शुरू की थी। ED ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी, लेकिन बाद में वे बीजेपी में आ गए।
मुकुल रॉय, नेता, टीएमसी
पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय पर पैसे लेकर शारदा घोटाले में फंसी चिटफंड कंपनी का फेवर करने का आरोप लगा था। इस केस को CBI देख रही थी, उसी दौरान मुकुल बीजेपी में आ गए, उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।
2019 में मुकुल रॉय ने दावा किया कि CBI ने इस मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी है और गवाह के तौर पर सिर्फ पूछताछ की थी। 2021 में मुकुल रॉय BJP छोड़कर फिर से तृणमूल में शामिल हो गए।
हार्दिक पटेल, नेता, बीजेपी
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर BJP सरकार के दौरान राजद्रोह समेत 30 केस दर्ज हुए थे। इसकी वजह से हार्दिक को तड़ीपार भी रहना पड़ा था। हार्दिक गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे।
हार्दिक पटेल के अलावा असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, कर्नाटक पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा समेत कई प्रमुख नेता हैं जिनके बीजेपी में आते ही सारे घपले-घोटालों की फाइल अलमारी में बंद हो गई या केस ही बंद हो गए। अब हम आप पर छोड़ते हैं कि इस राजनीति के मायने आप ही निकालें।