Supreme Court On Sardar Jokes: भारत में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसने संता-बंता के जोक्स न सुने हो।
टीवी शो और फिल्मों में भी सरदारों को फनी कैरेक्टर के तौर पर दिखाया जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
दरअसल, एक 9 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है, जिसके बाद सरदारों पर चुटकुले बनना बंद हो सकते हैं।
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
चुटकुलों पर गंभीर सुप्रीम कोर्ट
सरदारों पर चुटकुले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गंभीर हो गई है। शीर्ष न्यायालय ने इसे एक महत्वपूर्ण विषय कहा है।
सरदारों का मजाक बनाने वाले इन जोक्स पर रोक लगाने की एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सिख संगठनों की तरफ से दिए गए सुझावों को संकलित कर रखें।
मामले की सुनवाई 8 सप्ताह बाद होगी।
2015 का है मामला
साल 2015 में वकील हरविंदर चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दाखिल की थी।
याचिका में कहा गया था कि इस तरह के चुटकुले सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार का हनन करते हैं। इसी याचिका पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।
गुरुवार (21 नवंबर 2024) को इस मामले को सुनते हुए जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
वेबसाइटों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग
इस जनहित याचिका में सिख/सरदार समुदाय को “कम बुद्धि, मूर्ख और बेवकूफ” के रूप में चित्रित करने वाले चुटकुले फैलाने वाली वेबसाइटों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
चुटकुलों से परेशान होकर युवक ने किया था सुसाइड
याचिकाकर्ता ने कहा कि सिख पुरुषों और महिलाओं को अपनी वेशभूषा के चलते मजाक झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि एक मामले में एक सिख युवक ने मज़ाक से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
वकील हरविंदर चौधरी ने की थी याचिका दाखिल
याचिकाकर्ता ने समाज के कई लोगों में सिखों को लेकर मजाक करने की प्रवृत्ति का भी जिक्र अपनी याचिका में किया था।
उन्होंने स्कूलों में सिख बच्चों को साथी छात्रों की तरफ से परेशान करने की भी बात कही।
बाद में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी, मनजीत सिंह जीके और मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी याचिका दाखिल की।
कोर्ट ने गाइडलाइंस बनाने से किया था इंकार
2016 में मामले को सुनते हुए कोर्ट ने साफ किया था कि वह इस तरह के चुटकुलों के खिलाफ गाइडलाइंस नहीं बना सकता। लेकिन इंटरनेट पर अवांछित सामग्री की मौजूदगी को रोकने को लेकर दिशानिर्देश दे सकता है।
इसके लिए कोर्ट ने सभी पक्षों से सलाह मांगी थी। कोर्ट ने सिर्फ सिख ही नहीं, तमाम वर्गों को उपहास का पात्र न बनाने को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की ज़रूरत भी बताई थी।