Harda Factory Blast: हरदा के लिए 6 फरवरी एक काला दिन है।
एक साल पहले इसी दिन पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे शहर को दहला दिया था।
इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
यह विस्फोट इतना भयावह था कि पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी।
आज इस घटना को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन पीड़ित परिवार अब भी न्याय की तलाश में भटक रहे हैं।
एक साल बाद भी ताजा है हरदा का दर्द
साल 2024 तारीख 6 फरवरी, सुबह अचानक पटाखा फैक्ट्री में भीषण ब्लास्ट हुआ।
देखते ही देखते सड़कों पर लाशें बिछ गई, भगदड़ मचने लगी।
पटाखा फैक्ट्री में एक के बाद एक लगातार हुए तीन धमाके और लोगों की चीख पुकार से पूरा शहर गूंज उठा।
प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 13 मौत हुई और कई लोग घायल हुए।

हादसे के बाद पूरे शहर में अफरा तफरी और गमगीन माहौल बन चुका था।
यह हरदा के लिए वो काला दिन था, जिसके दर्द को भूल पाना एक साल बाद भी मुमकिन नहीं है।
आज हरदा त्रासदी यानी पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट की पहली बरसी है।
लेकिन, पीड़ित परिवारों को अभी तक पूर्ण रूप से न्याय नहीं मिल पाया है।

इस हादसे पर राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक ने सोशल मीडिया के जरिए शोक संवेदनाएं तो व्यक्त की थीं।
लेकिन, पीड़ितों का कहना है कि सरकार ने अब तक उन्हें पूरी मदद नहीं दी है।
पीड़ित परिवार न्याय से वंचित
इस हादसे में कई परिवारों ने अपने घर, दुकान और परिवार वालों को खो दिया।
विस्फोट के बाद जिला प्रशासन ने पीड़ितों को राहत शिविरों में ठहराया था और खाने-पीने की व्यवस्था की थी।
लेकिन, एक साल बीत जाने के बाद भी कई परिवारों को स्थायी आवास नहीं मिल पाया है।
आज भी जब वे फैक्ट्री के मलबे को देखते हैं, तो उनका जख्म ताजा हो जाता है।

पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगानी पड़ी, लेकिन अब तक उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है।
मजबूर होकर पीड़ितों ने धरना प्रदर्शन किया, भूख हड़ताल की और मुख्यमंत्री से मिलने तक का प्रयास किया।
हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के एक साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन पीड़ित परिवारों की तकलीफ कम नहीं हुई है।
वे आज भी अपने हक और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें कुछ राहत जरूर मिली है।
लेकिन, पीड़ितों का मानना है कि यह राशि उनकी क्षति की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
हाईकोर्ट के आदेश ने दी पीड़ितों को राहत
16 दिसंबर 2024 को इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया था।
कोर्ट ने फैक्ट्री मालिकों को निर्देश दिया कि मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए और घायलों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
इससे पहले, एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने भी पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन फैक्ट्री मालिकों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

पीड़ित परिवारों को राहत राशि के रूप में प्रशासनिक स्तर पर कुल 1.95 करोड़ रुपये बांटे गए हैं।
एनजीटी के आदेश पर 13 मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रूपये की राशि वितरित की जा चुकी है।
राहत शिविर में निवासरत मकान क्षतिग्रस्त हुए पीड़ितों को 2 लाख रूपये के मान से 23 पीड़ितों को कुल 46 लाख रूपये की तात्कालिक सहायता प्रदान की गई है।
इसके अलावा 6 फरवरी को घटना के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 13 मृतकों के उत्तराधिकारियों को 2-2 लाख रूपये के मान से कुल 26 लाख रूपये की राशि हस्तांतरित कर दी गई थी।
वहीं, 1 गंभीर घायल को 50 हजार रूपये की सहायता राशि भी उसी समय दे दी गई थी।