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‘वोट चोरी’ के आरोपों के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगा विपक्ष!

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

चुनाव आयुक्त पर महाभियोग: भारत में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ का गंभीर आरोप लगाया है, जिसके बाद विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहे हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव

सूत्रों के अनुसार, कई विपक्षी दल इस मुद्दे पर एकजुट होकर रणनीति बना रहे हैं।

इस बीच, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों को खारिज किया और अपनी निष्पक्षता पर जोर दिया।

चुनाव आयोग का जवाब: ‘हम न डरते हैं, न झुकते हैं’

चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे दावे निराधार हैं और इनसे न तो आयोग डरता है और न ही मतदाता।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आयोग का काम निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से मतदान प्रक्रिया को संचालित करना है।

उन्होंने कहा कि आयोग सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से देखता है और किसी भी तरह के दबाव में नहीं आता।

आयोग ने मतदाताओं से अपील की कि वे अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल बिना किसी डर के करें।

साथ ही, आयोग ने बताया कि मतदाता सूची में सुधार के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें अब तक 28,370 लोग हिस्सा ले चुके हैं

सुप्रीम कोर्ट की दखल और विपक्ष का विरोध

बिहार में मतदाता सूची से करीब 65 लाख नाम हटाए जाने की खबर ने विवाद को और हवा दी है।

विपक्ष का दावा है कि इस प्रक्रिया से लाखों पात्र मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, खासकर उन लोगों को जो दस्तावेजों की कमी से जूझ रहे हैं।

इस मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र में भी तीखी बहस हुई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जिसने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह हटाए गए नामों का पूरा विवरण और उनके कारण सार्वजनिक करे।

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आयोग ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि वह इस आदेश का पालन करेगा।

दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी महाभियोग प्रस्ताव पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर नियमों के तहत यह कदम उठाया जा सकता है।

कैसे शुरू हुआ विवाद

यह विवाद बिहार में मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया से शुरू हुआ।

चुनाव आयोग का कहना है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदाता सूची में केवल पात्र लोगों के नाम हों और गलत या अपात्र नाम हटाए जाएं।

लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में कई सही मतदाताओं के नाम भी हटाए जा रहे हैं, जिससे उनका वोट देने का अधिकार छिन सकता है।

राहुल गांधी ने इसे ‘वोट चोरी’ करार दिया है, जिसके बाद विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने की बात शुरू की।

दूसरी ओर, आयोग का कहना है कि वह निष्पक्ष है और किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए आयोग से पारदर्शिता बरतने को कहा है।

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