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Orphanage Death: अनाथ आश्रम में अचानक तबीयत खराब होने के बाद दो बच्‍चों की मौत, खून में संक्रमण की आशंका

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Manish Kumar
Manish Kumarhttps://chauthakhambha.com/
मनीष आधुनिक पत्रकारिता के इस डिजिटल माध्यम को अच्छी तरह समझते हैं। इसके पीछे उनका करीब 16 वर्ष का अनुभव ही वजह है। वे दैनिक भास्कर, नईदुनिया जैसे संस्थानों की वेबसाइट में काफ़ी समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशगांव डॉट कॉम और न्यूज निब (शॉर्ट न्यूज ऐप) की मुख्य टीम का हिस्सा रहे। मनीष फैक्ट चैकिंग में निपुण हैं। वे गूगल न्यूज इनिशिएटिव व डाटालीड्स के संयुक्त कार्यक्रम फैक्टशाला के सर्टिफाइट फैक्ट चेकर व ट्रेनर हैं। भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके मनीष मानते हैं कि गांव और शहर की खबरों को जोड़ने के लिए मीडिया में माध्यमों की लगातार ज़रूरत है।

Orphanage Death: इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में मल्‍हारगंज क्षेत्र में स्थित एक अनाथ आश्रम में दो बच्‍चों की दो दिन में मौत हो गई।

शहर के युगपुरुष धाम आश्रम में रह रहे 12 बच्चों को सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

इनमें से एक बच्चे की रात में मौत हो गई जबकि दूसरे बच्चे ने मंगलवार की सुबह दम तोड़ दिया जिसके बाद इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह चाचा नेहरू अस्पताल पहुंचे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बच्‍चों की तबीयत खून में संक्रमण के कारण बिगड़ी है।

वहीं, इंदौर कलेक्‍टर ने बच्‍चों की मौत डायरिया अथवा डि‍हाइड्रेशन और मिर्गी जैसी बीमारी से होने की आशंका जताई है, लेकिन पूरी जांच के बाद ही स्‍पष्‍ट कारण पता चल सकेगा।

इंदौर कलेक्‍टर आशीष सिंह ने दो बच्‍चों की मौत की पुष्‍ट‍ि की है जिसमें से एक बच्‍चे की मौत मिर्गी से होने की जानकारी दी है।

मल्‍हारगंज पुलिस के मुताबिक, आश्रम में रह रहे 12 वर्षीय करण की सोमवार को अस्‍वस्‍थ होने के बाद मौत हो गई जबकि मंगलवार की सुबह सात वर्षीय आकाश नामक बच्‍चे की भी मौत हो गई।

इन बच्‍चों की मौत के बाद पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है जबकि बच्चों की मौत (Orphanage Death) के बाद आश्रम प्रबंधन ने बाल कल्‍याण समिति को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दे दी है।

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इंदौर शहर के पंचकुइया इलाके में 2006 में शुरू किए गए युगपुरुष धाम आश्रम में मानसिक दिव्‍यांग बच्‍चों को रखा जाता है जिसमें वर्तमान में 200 से अधिक बच्‍चे हैं। इनमें 100 से अधिक बालक और इतनी ही बालिकाएं हैं।

स्‍वामी परमानंद गिरी के सानिध्‍य में यह आश्रम संचालित होता है और यहां सभी बच्‍चों के पिता का नाम आश्रम के सचिव तुलसी शादीजा के नाम पर और मां का नाम प्राचार्य अनीता के नाम पर है। सभी के उपनाम स्‍वामीजी के नाम पर परमानंद ही रखे गए हैं।

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