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शिवराज सिंह चौहान की एक और योजना को मोहन सरकार की चुनौती, पशु संजीवनी एंबुलेंस पर लटकी जांच की तलवार

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Pashu Sanjeevani Yojana: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लॉन्च हुई पशु संजीवनी एंबुलेंस सेवा अब विवादों में घिर गई है।

शिवराज सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई इस योजना के तहत 406 एंबुलेंस खरीदी गई थीं, जिसकी जांच अब एमपी की मोहन सरकार कराने जा रही है।

पशु संजीवनी एंबुलेंस की जांच कराएगी मोहन सरकार

शिवराज सिंह चौहान जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कई योजनाएं शुरु की।

फिलहाल प्रदेश में मोहन यादव की सरकार है और वह पहले की कई योजनाएं पर सवाल उठा चुके हैं।

अबकी बार बारी है विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई पशु संजीवनी योजना की।

12 मई 2023 को शिवराज सरकार ने 65 करोड़ रुपये की लागत से 406 विशेष एंबुलेंस खरीदी थीं।

लेकिन, अब पशु संजीवनी योजना संजीवनी की जगह सरकार के गले की फांस बन गई है।

एक तरफ करोड़ों का खर्च, दूसरी तरफ धरातल पर बेकार खड़ी एंबुलेंस।

इस मामले में पशुपालन मंत्री लखन पटेल का कहना है कि इन एंबुलेंस की जरूरत ही नहीं थी, फिर भी भारी भरकम खर्च कर इन्हें खरीदा गया।

अब सरकार जांच कर यह तय करेगी कि इन एंबुलेंस का भविष्य क्या होगा।

यह भी देखा जाएगा कि क्या योजना की जरूरत थी या सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इसे लाया गया।

साथ ही, यदि खरीद में किसी तरह की गड़बड़ी या घोटाला सामने आता है तो जिम्मेदार अफसरों और अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

क्या था पशु संजीवनी योजना का उद्देश्य

चिकित्सा सुविधाओं से लैस एंबुलेंस का मकसद ग्रामीण इलाकों में पशुओं को डोर-टू-डोर चिकित्सा सेवा देने की बात कही गई थी।

इसके लिए महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप वाहनों को एंबुलेंस में बदला गया।

इन एंबुलेंस में दवा कैबिनेट, वॉशबेसिन और फ्रिज जैसी सुविधाएं जोड़ी गईं, ताकि इलाज के दौरान जरूरी दवाएं और उपकरण मौजूद रहें।

बता दें 1 बोलेरो की कीमत 10 लाख थी, पर 6 लाख रुपये में मॉडिफाई करने के बाद इसकी कीमत 16 लाख रुपये हो गई थी।

भारीभरकम मॉडिफिकेशन बना मुसीबत

योजना शुरू होते ही एंबुलेंस की हालत बिगड़ने लगी।

पीछे रखे भारी सामानों (कैबिनेट, फ्रिज और वॉशबेसिन) की वजह से एंबुलेंस की चेसिस और कमानी (सस्पेंशन) खराब होने लगीं।

कई जिलों से गाड़ियों के पलटने और दुर्घटनाग्रस्त होने की शिकायतें आने लगीं।

आखिरकार विभाग ने भारी उपकरणों को हटाने का फैसला लिया।

यानी सरकार ने पहले करोड़ों खर्च कर गाड़ियां मॉडिफाई कराईं, फिर उन्हें सामान्य वाहन में बदलने के आदेश दे दिए।

राज्य के कई जिलों में ये एंबुलेंस या तो खराब पड़ी हैं या बेकार खड़ी हैं।

स्थिति ये है कि कई जिलों में आधी से ज्यादा एंबुलेंस सेवा में ही नहीं हैं।

इन जिलों में संजीवनी एंबुलेंस की हालत खराब – 
जिला कुल एंबुलेंस खराब एंबुलेंस
भिंड 9 2
ग्वालियर 6 3 (सर्विस सेंटर में खड़ी)
मऊगंज 4 1
सतना 7 1
पांढुर्ना व छिंदवाड़ा 12 3

 

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