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फिर अपने बयान से पलटे ट्रंप: बोले- ‘मोदी मेरे अच्छे दोस्त’, अब भारतीय पीएम ने दिया ये जवाब

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

PM Modi Trump Friendship: हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेदों और टैरिफ को लेकर तनाव के बादल छाए हुए थे।

इन्हीं बिगड़ते रिश्तों के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “अच्छा मित्र” और “एक महान प्रधानमंत्री” बताया।

ट्रंप के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने ट्विटर के जरिए उनकी सकारात्मक भावनाओं की सराहना करते हुए जवाब दिया और भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को महत्वपूर्ण बताया।

शी जिनपिंग, पुतिन और मोदी को साथ देख परेशान हुए ट्रंप

यह सब तब शुरू हुआ जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत, रूस और चीन के गठजोड़ पर चिंता जताई।

उन्होंने एक पोस्ट लिखा जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तस्वीर साझा की और कहा कि “ऐसा लगता है कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि अब ये तीनों देश मिलकर एक साथ लंबा और सुखद भविष्य बिताएं। यह बयान काफी चौंकाने वाला था, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर हमेशा से ही सकारात्मक बातें होती रही हैं।

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हालांकि, बाद में ट्रंप ने अपने इस बयान से पीछे हटते हुए सफाई दी।

उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी को दोषी ठहराने का नहीं था, लेकिन वह इस बात से निराश हैं कि भारत रूस से बहुत अधिक मात्रा में तेल खरीद रहा है।

ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50% का भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया है, जो इस नाराजगी का एक कारण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या जवाब दिया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के बयान का जवाब देते हुए एक ट्वीट किया।

उन्होंने लिखा कि वह राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक आकलन की गहराई से सराहना करते हैं और पूरी तरह से उनका समर्थन करते हैं।

मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक “बहुत ही सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी” है।

इसका मतलब यह है कि भले ही छोटे-मोटे मतभेद हों, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हैं।

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मोदी के इस जवाब को कूटनीतिक समझदारी का एक बेहतरीन उदाहरण माना जा रहा है।

उन्होंने न तो ट्रंप के बयान को सीधे तौर पर नकारा और न ही उसे पूरी तरह से स्वीकार किया, बल्कि दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी पर जोर दिया।

ट्रंप ने मोदी के साथ दोस्ती की बात क्यों दोहराई?

इस पूरे विवाद के बीच एक बात जो सामने आई, वह यह है कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने अच्छे संबंधों का जिक्र किया।

व्हाइट हाउस में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, “मैं मोदी के साथ हमेशा मित्र रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। भारत और अमेरिका के बीच एक विशेष संबंध है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कुछ महीने पहले मोदी अमेरिका आए थे और उनके साथ रोज गार्डन में समय बिताया था।

यह स्पष्ट है कि ट्रंप व्यक्तिगत तौर पर मोदी के प्रति सम्मान रखते हैं, लेकिन व्यापार और अंतरराष्ट्रीय नीतियों को लेकर उनकी सरकार की कुछ शिकायतें हैं।

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टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर क्यों है विवाद?

इस पूरे मामले की जड़ में दो मुख्य मुद्दे हैं: टैरिफ और रूस से तेल की खरीद।

  1. टैरिफ का मुद्दा: अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ा दिए हैं। अमेरिका का कहना है कि भारत की ऊंची टैरिफ नीतियों की वजह से अमेरिकी कंपनियों और नौकरियों को नुकसान हो रहा है। इसके जवाब में अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50% तक का भारी टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत के निर्यात पर असर पड़ रहा है।

  2. रूस से तेल खरीद: यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पश्चिमी देश रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं। ऐसे में भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू कर दिया है, जिससे अमेरिका नाराज है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करे या कम करे। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने तो यहाँ तक कहा कि भारत को ब्रिक्स समूह से भी दूरी बनानी चाहिए।

भारत ने इन दोनों मुद्दों पर स्पष्ट और दृढ़ रुख अपनाया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि “हमें वही करना होगा जो हमारे हित में है। हम निस्संदेह रूस से तेल खरीदते रहेंगे।”

इसका सीधा सा मतलब है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा, चाहे इसकी वजह से अमेरिका जैसे दोस्त देशों से थोड़ा तनाव ही क्यों न हो।

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भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य क्या है?

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में एक जटिलता है। एक तरफ दोनों देश रणनीतिक, सैन्य और आर्थिक साझेदारी को महत्व देते हैं, तो दूसरी तरफ अपने-अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करना चाहते।

  • अमेरिका का नजरिया: अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी विदेश नीति और व्यापार नीतियों का पालन करे, खासकर रूस और चीन के मामले में।

  • भारत का नजरिया: भारत की नीति हमेशा से ही स्वतंत्र विदेश नीति रही है। वह अपने फैसले अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर लेता है, न कि किसी दबाव में। भारत चाहता है कि अमेरिका उसकी इस स्वायत्तता का सम्मान करे।

हालांकि, दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी पर जोर देकर यह संदेश दिया है कि मतभेदों के बावजूद दोनों देशों के संबंध मजबूत बने रहेंगे।

यह कूटनीति की दुनिया का एक सामान्य हिस्सा है, जहां दोस्त देश भी कुछ मुद्दों पर एक-दूसरे से असहमत हो सकते हैं।

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कुलमिलाकर ट्रंप के बयान और पीएम मोदी के जवाब ने भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलताओं और मजबूतियों, दोनों को उजागर किया है।

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।

साथ ही, दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी जारी रखने की इच्छा भी बनी हुई है।

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