PM Modi RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दशहरा से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं।
इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इसके अलावा, संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में भी कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।
इससे पहले 1 अक्टूबर, 2025 को रामनवमी के पावन पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया।
इस ऐतिहासिक मौके पर उन्होंने संघ के 100 वर्षों के राष्ट्र निर्माण के सफर को याद किया और एक विशेष डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
“विजय मल्होत्रा को श्रद्धांजलि” के साथ शुरू किया भाषण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण शुरू करते हुए पहले हाल ही में स्वर्गवासी हुए वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री विजय कुमार मल्होत्रा को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, “कल हमारे एक पुराने स्वयंसेवक और संघ के हर मोड़ पर कहीं न कहीं उनका स्थान रहा है, ऐसे विजय कुमार जी को हमने खो दिया। मैं सबसे पहले उनको श्रद्धांजलि देता हूं।”
इसके साथ ही उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा त्याग, निःस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल है। RSS के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं।
https://t.co/S4gxc0X3IE— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2025
“प्रतिबंध और साजिशों के बावजूद संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई”
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के केंद्र में संघ के स्वयंसेवकों के सहनशीलता और राष्ट्रभक्ति के भाव को रखा।
उन्होंने जोर देकर कहा, “संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता नहीं दिखाई। चाहे प्रतिबंध लगे या साजिश हुई हो। सभी का मंत्र रहा है कि जो अच्छा है, जो कम अच्छा, सब हमारा है।”
उन्होंने आजादी के बाद के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि संघ को मुख्यधारा में आने से रोकने के लिए साजिशें हुईं, उस पर प्रतिबंध लगे और संघ के दूसरे सरसंघचालक पूज्य गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) को जेल तक भेजा गया।लेकिन संघ ने कभी प्रतिक्रिया में कड़वाहट नहीं दिखाई।
राष्ट्र साधना, जनसेवा और देशभक्ति की एक शताब्दी की अनवरत यात्रा का जीवंत उदाहरण – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ #RSS100Years pic.twitter.com/DHDscE4CKa
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 1, 2025
उन्होंने गुरुजी का एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा, “गुरुजी कहा करते थे कि कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, कुचल जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते, क्योंकि दांत भी हमारे हैं और जीभ भी हमारी है।”
इसका अर्थ यह था कि विपरीत परिस्थितियों में भी संघ ने राष्ट्र के प्रति अपनी एकता और समर्पण की भावना को कभी नहीं छोड़ा।
“घुसपैठियों से बड़ी चुनौती, डटकर मुकाबला करना है”
प्रधानमंत्री ने देश के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए ‘घुसपैठ’ को एक बड़ा खतरा बताया।
उन्होंने कहा, “हमें घुसपैठियों से बड़ी चुनौती मिल रही है। हमें इससे सतर्क रहना है और डटकर मुकाबला करना है।”
उन्होंने दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता और जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में बदलाव के ‘षड्यंत्र’ जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार इनसे तेजी से निपट रही है।
साथ ही, उन्होंने खुशी जताई कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए आरएसएस ने एक ठोस रोडमैप भी बनाया है।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय मुद्रा पर भारत माता दिखीं।
RSS के 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की स्थापना के 100 वर्ष विजयदशमी पर पूरे हो रहे हैं।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने राष्ट्र के प्रति आरएसएस के योगदान को… pic.twitter.com/SK7mAJRfdq
— Panchjanya (@epanchjanya) October 1, 2025
“हर आपदा में स्वयंसेवक रहे सबसे आगे”
पीएम मोदी ने देश के इतिहास के मुश्किल दौर में आरएसएस के योगदान को याद किया।
उन्होंने कहा कि विभाजन की पीड़ा के दौरान जब लाखों परिवार बेघर हुए, तब स्वयंसेवक सबसे आगे खड़े थे।
यह सिर्फ राहत का काम नहीं, बल्कि “राष्ट्र की आत्मा को संबल देने का काम” था।
1956 में गुजरात के अंजार में आए भयंकर भूकंप में भी स्वयंसेवकों ने राहत और बचाव कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
उन्होंने गुरुजी के उस कथन को दोहराया जिसमें कहा गया था, “किसी दूसरे के दुख को दूर करने खुद कष्ट उठाना निस्वार्थ हृदय का परिचायक है।”
खुद कष्ट उठाकर दूसरों के दुख हरना… ये हर स्वयंसेवक की पहचान है।
संघ देश के उन क्षेत्रों में भी कार्य करता रहा है जो दुर्गम हैं, जहां पहुंचना सबसे कठिन है।
हमारे देश में लगभग 10 करोड़ आदिवासी भाई-बहन हैं। जिनके कल्याण के लिए संघ लगातार प्रयासरत है।
लंबे समय तक सरकारों ने… pic.twitter.com/Zx67Umyspv
— BJP (@BJP4India) October 1, 2025
“नदी की धाराओं की तरह फैला संघ का कार्य”
प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के विस्तार और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उसके प्रभाव की तुलना एक नदी से की।
उन्होंने कहा, “जिस तरह नदी कई धाराओं में बंटकर अलग-अलग क्षेत्रों को पोषित करती है, संघ की हर धारा भी ऐसी ही है।”
उन्होंने कहा कि संघ से निकली विभिन्न संस्थाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य और भाव एक ही था – “राष्ट्र प्रथम”।
#WATCH | Delhi | At the centenary celebrations of RSS, PM Narendra Modi says, “In its journey of dedication to the nation, it’s not as if RSS has not been targeted, or been conspired against. Even after Independence, efforts were made to crush the RSS. There were infinite… pic.twitter.com/ArMCacIDNl
— ANI (@ANI) October 1, 2025
“व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मंत्र”
पीएम मोदी ने डॉ. हेडगेवार द्वारा अपनाए गए ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के सिद्धांत को विस्तार से समझाया।
उन्होंने कहा कि यह काम ‘शाखा’ के माध्यम से किया गया। हेडगेवार जी कहते थे, “जैसा है वैसा लेना है, जैसा चाहिए वैसा बनाना है।”
उन्होंने इस प्रक्रिया की तुलना एक कुम्हार से की, जो मिट्टी लेकर उसे आकार देता है और उसे तपाकर मजबूत बनाता है, और इस प्रक्रिया में खुद भी तपता है।
इसी तरह संघ सामान्य व्यक्ति को चुनकर उसे देश सेवा के लिए तैयार करता है।
“संघ ऐसी भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की ‘अहं’ से ‘वयं’ (हम) की यात्रा शुरू होती है,” उन्होंने कहा।
#WATCH | Delhi | At the centenary celebrations of RSS, PM Narendra Modi says, “In 1984, during the Sikh massacre, so many Sikh families took refuge in the homes of RSS Swayamsewaks. This is the nature of the swayamsewaks… Former President Pranab Mukherjee was greatly influenced… pic.twitter.com/TCohvKpUXU
— ANI (@ANI) October 1, 2025
विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी
इस ऐतिहासिक अवसर पर पीएम मोदी ने आरएसएस के 100 वर्षों के योगदान को दर्शाता एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया।
उन्होंने कहा कि यह डाक टिकट संघ के स्वयंसेवकों की निरंतर देश सेवा और समाज सशक्तिकरण की झलक दिखाता है।
जारी किए गए सिक्के के एक तरफ राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ है और दूसरी तरफ सिंह पर विराजमान भारत माता की छवि और संघ के कार्यकर्ताओं को दर्शाया गया है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में राष्ट्र के प्रति संघ के योगदान को नमन करते हुए विशेष स्मारक डाक टिकट एवं सिक्के का लोकार्पण किया।
अनुशासन, सेवा, सांस्कृतिक जागरण और सामाजिक कल्याण के अविचल संकल्प पर आधारित @RSSorg ने… pic.twitter.com/I3wPYysRX0
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 1, 2025
शताब्दी वर्ष का महत्व और भविष्य की योजनाएं
पीएम मोदी ने कहा कि रामनवमी के दिन आरएसएस की स्थापना कोई संयोग नहीं था, बल्कि यह हजारों साल की परंपरा का पुनरुत्थान था।
उन्होंने कहा, “संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है।”
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने देश सेवा में समर्पित करोड़ों स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनकी पीढ़ी के स्वयंसेवकों के लिए यह एक सौभाग्य की बात है कि उन्हें यह महान अवसर देखने को मिल रहा है।
जानिए संघ के बारे में
- RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी।
- यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। यह संघ या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम से ही ज्यादा जाना जाता है।
- इसकी पहली शाखा में सिर्फ पांच लोग शामिल हुए थे। अब 56 हजार से अधिक शाखाएं और लाखों स्वयंसेवक हैं।
- सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संघ समेत RSS के 55 अनुशांगिक संगठन हैं।
- RSS की क्लास शाखा कही जाती है। प्रभात शाखा, सायं शाखा के अलावा सप्ताह में मिलन शाखा और महीने में संघ मंडली होती है।
- संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले…1940 से गाई जाने लगी। इससे पहले एक श्लोक मराठी और एक श्लोक हिंदी में गाया जाता था।
- RSS के प्रचारक को संघ के लिए काम करते समय तक अविवाहित रहना होता है। हालांकि, विस्तारक गृहस्थ रह सकते हैं।
- संघ का सबसे बड़ा पदाधिकारी सरसंघचालक होता है। पिछला सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है।
- वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत पहले वेटरनरी डॉक्टर थे। 1975 में इमरजेंसी के दौरान वे पूरी तरह संघ से जुड़ गए।