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“‘बैन लगे-झूठे केस हुए, पर संघ ने कभी कड़वाहट नहीं दिखाई”, RSS के शताब्दी समारोह में बोले PM

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

PM Modi RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दशहरा से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं।

इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इसके अलावा, संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में भी कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।

इससे पहले 1 अक्टूबर, 2025 को रामनवमी के पावन पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया।

इस ऐतिहासिक मौके पर उन्होंने संघ के 100 वर्षों के राष्ट्र निर्माण के सफर को याद किया और एक विशेष डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।

“विजय मल्होत्रा को श्रद्धांजलि” के साथ शुरू किया भाषण

प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण शुरू करते हुए पहले हाल ही में स्वर्गवासी हुए वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री विजय कुमार मल्होत्रा को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा, “कल हमारे एक पुराने स्वयंसेवक और संघ के हर मोड़ पर कहीं न कहीं उनका स्थान रहा है, ऐसे विजय कुमार जी को हमने खो दिया। मैं सबसे पहले उनको श्रद्धांजलि देता हूं।”

इसके साथ ही उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

“प्रतिबंध और साजिशों के बावजूद संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई”

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के केंद्र में संघ के स्वयंसेवकों के सहनशीलता और राष्ट्रभक्ति के भाव को रखा।

उन्होंने जोर देकर कहा, “संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता नहीं दिखाई। चाहे प्रतिबंध लगे या साजिश हुई हो। सभी का मंत्र रहा है कि जो अच्छा है, जो कम अच्छा, सब हमारा है।”

उन्होंने आजादी के बाद के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि संघ को मुख्यधारा में आने से रोकने के लिए साजिशें हुईं, उस पर प्रतिबंध लगे और संघ के दूसरे सरसंघचालक पूज्य गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) को जेल तक भेजा गया।लेकिन संघ ने कभी प्रतिक्रिया में कड़वाहट नहीं दिखाई।

उन्होंने गुरुजी का एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा, “गुरुजी कहा करते थे कि कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, कुचल जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते, क्योंकि दांत भी हमारे हैं और जीभ भी हमारी है।”

इसका अर्थ यह था कि विपरीत परिस्थितियों में भी संघ ने राष्ट्र के प्रति अपनी एकता और समर्पण की भावना को कभी नहीं छोड़ा।

“घुसपैठियों से बड़ी चुनौती, डटकर मुकाबला करना है”

प्रधानमंत्री ने देश के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए ‘घुसपैठ’ को एक बड़ा खतरा बताया।

उन्होंने कहा, “हमें घुसपैठियों से बड़ी चुनौती मिल रही है। हमें इससे सतर्क रहना है और डटकर मुकाबला करना है।”

उन्होंने दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता और जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में बदलाव के ‘षड्यंत्र’ जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार इनसे तेजी से निपट रही है।

साथ ही, उन्होंने खुशी जताई कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए आरएसएस ने एक ठोस रोडमैप भी बनाया है।

“हर आपदा में स्वयंसेवक रहे सबसे आगे”

पीएम मोदी ने देश के इतिहास के मुश्किल दौर में आरएसएस के योगदान को याद किया।

उन्होंने कहा कि विभाजन की पीड़ा के दौरान जब लाखों परिवार बेघर हुए, तब स्वयंसेवक सबसे आगे खड़े थे।

यह सिर्फ राहत का काम नहीं, बल्कि “राष्ट्र की आत्मा को संबल देने का काम” था।

1956 में गुजरात के अंजार में आए भयंकर भूकंप में भी स्वयंसेवकों ने राहत और बचाव कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

उन्होंने गुरुजी के उस कथन को दोहराया जिसमें कहा गया था, “किसी दूसरे के दुख को दूर करने खुद कष्ट उठाना निस्वार्थ हृदय का परिचायक है।”

“नदी की धाराओं की तरह फैला संघ का कार्य”

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के विस्तार और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उसके प्रभाव की तुलना एक नदी से की।

उन्होंने कहा, “जिस तरह नदी कई धाराओं में बंटकर अलग-अलग क्षेत्रों को पोषित करती है, संघ की हर धारा भी ऐसी ही है।”

उन्होंने कहा कि संघ से निकली विभिन्न संस्थाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य और भाव एक ही था – “राष्ट्र प्रथम”

“व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मंत्र”

पीएम मोदी ने डॉ. हेडगेवार द्वारा अपनाए गए ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के सिद्धांत को विस्तार से समझाया।

उन्होंने कहा कि यह काम ‘शाखा’ के माध्यम से किया गया। हेडगेवार जी कहते थे, “जैसा है वैसा लेना है, जैसा चाहिए वैसा बनाना है।”

उन्होंने इस प्रक्रिया की तुलना एक कुम्हार से की, जो मिट्टी लेकर उसे आकार देता है और उसे तपाकर मजबूत बनाता है, और इस प्रक्रिया में खुद भी तपता है।

इसी तरह संघ सामान्य व्यक्ति को चुनकर उसे देश सेवा के लिए तैयार करता है।

“संघ ऐसी भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की ‘अहं’ से ‘वयं’ (हम) की यात्रा शुरू होती है,” उन्होंने कहा।

विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी

इस ऐतिहासिक अवसर पर पीएम मोदी ने आरएसएस के 100 वर्षों के योगदान को दर्शाता एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया।

उन्होंने कहा कि यह डाक टिकट संघ के स्वयंसेवकों की निरंतर देश सेवा और समाज सशक्तिकरण की झलक दिखाता है।

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जारी किए गए सिक्के के एक तरफ राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ है और दूसरी तरफ सिंह पर विराजमान भारत माता की छवि और संघ के कार्यकर्ताओं को दर्शाया गया है।

शताब्दी वर्ष का महत्व और भविष्य की योजनाएं

पीएम मोदी ने कहा कि रामनवमी के दिन आरएसएस की स्थापना कोई संयोग नहीं था, बल्कि यह हजारों साल की परंपरा का पुनरुत्थान था।

उन्होंने कहा, “संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है।”

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने देश सेवा में समर्पित करोड़ों स्वयंसेवकों को शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनकी पीढ़ी के स्वयंसेवकों के लिए यह एक सौभाग्य की बात है कि उन्हें यह महान अवसर देखने को मिल रहा है।

जानिए संघ के बारे में

  • RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी।
  • यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। यह संघ या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम से ही ज्यादा जाना जाता है।
  • इसकी पहली शाखा में सिर्फ पांच लोग शामिल हुए थे। अब 56 हजार से अधिक शाखाएं और लाखों स्वयंसेवक हैं।
  • सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संघ समेत RSS के 55 अनुशांगिक संगठन हैं।
  • RSS की क्लास शाखा कही जाती है। प्रभात शाखा, सायं शाखा के अलावा सप्ताह में मिलन शाखा और महीने में संघ मंडली होती है।
  • संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले…1940 से गाई जाने लगी। इससे पहले एक श्लोक मराठी और एक श्लोक हिंदी में गाया जाता था।
  • RSS के प्रचारक को संघ के लिए काम करते समय तक अविवाहित रहना होता है। हालांकि, विस्तारक गृहस्थ रह सकते हैं।
  • संघ का सबसे बड़ा पदाधिकारी सरसंघचालक होता है। पिछला सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है।
  • वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत पहले वेटरनरी डॉक्टर थे। 1975 में इमरजेंसी के दौरान वे पूरी तरह संघ से जुड़ गए।
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