PMO Renamed Seva Teerth: केंद्र सरकार ने प्रमुख सरकारी भवनों और कार्यालयों के नाम बदलने के अपने अभियान में एक बड़ा कदम उठाया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का आधिकारिक नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया गया है।
साथ ही, देश भर के सभी राजभवनों (राज्यपालों के आधिकारिक निवास) को अब ‘लोकभवन’ कहा जाएगा और केंद्रीय सचिवालय को ‘कर्तव्य भवन’ का नाम दिया जाएगा।
इस निर्णय की घोषणा करते हुए सरकार ने कहा कि यह सत्ता से सेवा की ओर बढ़ने का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि यह कोई साधारण प्रशासनिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक परिवर्तन है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक संस्थानों को जनता के और करीब लाना है।

क्यों किए जा रहे हैं यह बदलाव?
सरकार के अनुसार, ‘राजभवन’ जैसे नामों में औपनिवेशिक (कोलोनियल) प्रतिध्वनि होती है, जो शासक और शासित के बीच की दूरी को दर्शाते हैं।
इन्हें ‘लोकभवन’ में बदलने का उद्देश्य यह संदेश देना है कि ये भवन आम जनता के लिए खुले हैं और उनकी सेवा के लिए समर्पित हैं।
यह फैसला गृह मंत्रालय के निर्देश और राज्यपालों के सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है।
पीएमओ का नया ठिकाना: ‘सेवा तीर्थ’
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) अब दिल्ली के ऐतिहासिक 78 साल पुराने साउथ ब्लॉक से हटकर एक नए आधुनिक परिसर ‘सेवा तीर्थ’ में शिफ्ट होने जा रहा है।
यह बदलाव सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का एक अहम हिस्सा है।

‘सेवा तीर्थ’ में क्या-क्या होगा?
नए परिसर को तीन हिस्सों में बांटा गया है:
- सेवा तीर्थ-1: यहां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) काम करेगा।
- सेवा तीर्थ-2: यहां कैबिनेट सचिवालय स्थित होगा। पहले ही, कैबिनेट सचिव ने यहां एक उच्चस्तरीय बैठक भी की है।
- सेवा तीर्थ-3: इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का कार्यालय होगा।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
यह एक बहुत बड़ी विकास योजना है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के क्षेत्र (जिसे कर्तव्य पथ कहा जाता है) की इमारतों का पुनर्विकास और निर्माण शामिल है।
इस परियोजना की घोषणा 2019 में हुई थी और इसका उद्देश्य इस क्षेत्र को एक आधुनिक, पैदल चलने योग्य और एकीकृत सरकारी परिसर में बदलना है।
इसमें नया संसद भवन, नए मंत्रालयों के कार्यालय (कर्तव्य भवन), प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के निवास आदि का निर्माण हो रहा है।
इस पूरी परियोजना पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

बदलाव का असर
- अब तक अलग-अलग पुरानी इमारतों (जैसे शास्त्री भवन, निर्माण भवन) में फैले कई मंत्रालय, नए बने ‘कर्तव्य भवन’ (कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट) में एक साथ आ जाएंगे, जिससे कामकाज में तालमेल बेहतर होगा।
- ऐतिहासिक नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भवनों को भविष्य में ‘युग-युगीन भारत’ नामक एक विश्व स्तरीय संग्रहालय में बदला जाएगा।
यह अभियान नया नहीं है:
इससे पहले भी सरकार ने कई प्रतिष्ठित स्थानों के नाम बदले हैं।
राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ, और प्रधानमंत्री आवास के पते को 7, लोक कल्याण मार्ग किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री निवास (पूर्व में रेस कोर्स रोड) का नाम भी 2016 में बदल दिया गया था।
नए केंद्रीय विस्टा परिसर में बने प्रधानमंत्री कार्यालय परिसर को भी अब ‘सेवा तीर्थ’ नाम दिया गया है।

किन राज्यों में लागू हो चुका है बदलाव?
‘राजभवन’ से ‘लोकभवन’ होने की प्रक्रिया की शुरुआत पश्चिम बंगाल (कोलकाता और दार्जिलिंग) से हुई और अब इसे देशव्यापी बना दिया गया है।
अब तक तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने इस नाम परिवर्तन को लागू कर दिया है।
लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में भी ‘राज निवास’ को ‘लोक निवास’ नाम दे दिया गया है।
शेष राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया जारी है।

सरकार का मानना है कि यह नाम परिवर्तन भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करेगा और शासन को एक सेवा-उन्मुख, कर्तव्यपरायण एवं जन-केंद्रित मॉडल की ओर ले जाएगा।
‘सेवा तीर्थ’, ‘लोकभवन’ और ‘कर्तव्य भवन’ जैसे नामों के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि ये संस्थान सत्ता के प्रतीक नहीं, बल्कि जनसेवा के तीर्थस्थल हैं।


