Politics On Promotion In MP: बीते रोज ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम मोहन ने घोषणा की थी कि MP के 4 लाख अधिकारी-कर्मचारियों का जल्द ही प्रमोशन होगा।
इनकी पदोन्नति पर 2016 से रोक लगी थी जो अब जाकर हटने वाली है।
अब इस मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है और नौकरी पर सियासत शुरू हो गई है।
जहां कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए है तो भारतीय जनता पार्टी ने भी पलटवार किया है।
कांग्रेस ने साधा बीजेपी पर निशाना
MP कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह पटेल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा-
डेढ़ लाख से अधिक अधिकारी और कर्मचारी रिटायर्ड हो गए हैं। पिछली जुलाई से अब तक DA नहीं बढ़ाया, सरकारी भर्तियां नहीं हो रही है।
अब सरकार प्रमोशन देकर वाह-वाह लूट रही है। थोड़ी सी उपलब्धि को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रही है।
सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति मिल रही है…
लेकिन उन 1.5 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों का क्या,
जो ज़िंदगी भर इंतज़ार करते-करते सेवा-निवृत्त हो गए?मध्यप्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सुस्त और लचीली है जिस कारण कर्मचारियों को उचित लाभ नहीं मिल पाया है।… pic.twitter.com/WjmfoEZKl1
— Shailendra Patel (@shailendrapinc) April 9, 2025
बीजेपी का पलटवार
पटेल के इस बयान पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने जवाब देते हुए कहा-
‘सरकार सभी वर्गों का ख्याल रख रही है। जिनको प्रमोशन नहीं मिल रहा, उन्हें प्रमोशन दिया जा रहा है और नई नौकरी भी देंगे।’
कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं किया- रामेश्वर शर्मा
रामेश्वर शर्मा ने आगे कहा- कर्मचारियों के हित में जितने निर्णय हो सकते हैं कर रहे हैं। उनके लिए मकान भी बना रहे हैं। किसान गरीब के हित में फैसले ले रहे हैं।
मगर कांग्रेस ने ऐसा कभी नहीं किया। लोक कल्याण के निर्णय लेने के लिए सरकार वचनबद्ध है और निर्णय ले रही है।

CM मोहन ने किया था प्रमोशन का ऐलान
8 अप्रैल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों की पदोन्नति का कार्य जल्द होगा।
इस फैसले से प्रदेश के लाखों अधिकारी-कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
उन्होंने कहा था कि अपने सेवा काल में कई वर्ष से पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे अनेक अधिकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए।
मध्य प्रदेश शासन की ओर से अधिकारियों-कर्मचारियों के हित में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा रहा है।
प्रदेश के सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हार्दिक बधाई…
मुझे प्रसन्नता है कि विगत 8 वर्षों से लंबित प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों-अधिकारियों की पदोन्नति की मांग जल्द ही पूरी होने जा रही है। हमने अलग-अलग स्तर पर चर्चा कर पदोन्नति का रास्ता तलाश लिया है। हम शीघ्र ही लगभग 4 लाख… pic.twitter.com/HAIvwePnuU
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 8, 2025
8 साल से अटका था मामला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ये भी कहा कि 8 साल से अधिक समय से कर्मचारियों, अधिकारियों की पदोन्नति का मसला उलझा हुआ है।
लेकिन अब पदोन्नति में बनी बाधा को हटाने का रास्ता निकाल लिया है और जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
अलग-अलग स्तर पर की बातचीत
सीएम ने कहा कि अब सरकार ने अलग-अलग स्तर पर चर्चा के बाद समस्या का समाधान निकाला है।
उन्होंने कहा कि मंत्रियों, डिप्टी सीएम और सभी वर्गों के साथ मिलकर प्रमोशन का रास्ता तलाशा है।
धीरे-धीरे प्रमोशन के नजदीक आ गए हैं।

हर महीने 3000 कर्मचारी होते हैं रिटायर
पदोन्नति पर रोक लगे 8 साल 11 माह और 8 दिन हो गए हैं।
इस अवधि में 1 लाख 50 हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर हुए हैं, इनमें से करीब 1 लाख कर्मचारियों को इन्हीं 8 साल 11 माह में पदोन्नति मिलनी थी।
बता दें कि हर माह प्रदेश में लगभग 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं।

क्यों लगी थी 8 साल से प्रमोशन पर रोक
साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था।
ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए।
जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे।
उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया।
कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए।
इन तर्कों के आधार पर मप्र हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया।
सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है।