Pope Francis Died: कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल, सोमवार को निधन हो गया है। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र में वेटिकन में अंतिम सांस ली।
इस बात की जानकारी ने वेटिकन ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को दी।
वेटिकन के मुताबिक स्थानीय समयानुसार आज सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने आखिरी सांस ली।
पोप फ्रांसिस काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
उनके निधन से दुनियाभर में मौजूद 1.4 अरब कैथोलिक शोक में डूब गए हैं।
पोप फ्रांसिस के निधन की खबर सुनते ही दुनिया के कई बड़े नेताओं, बड़ी हस्तियों और धार्मिक गुरुओं ने शोक व्यक्त किया है।
निमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती
पोप फ्रांसिस पिछले एक हफ्ते से ब्रोंकाइटिस से पीड़ित थे। उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।
निमोनिया की शिकायत के बाद शुक्रवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उनकी हालत बिगड़ती गई।
एक्स-रे कराने पर पुष्टि हुई कि वह डबल निमोनिया से पीड़ित थे।
Pope Francis died on Easter Monday, April 21, 2025, at the age of 88 at his residence in the Vatican’s Casa Santa Marta. pic.twitter.com/jUIkbplVi2
— Vatican News (@VaticanNews) April 21, 2025
इलाज के दौरान कैथलिक चर्च के हेडक्वॉर्टर वेटिकन ने बताया था कि पोप की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे थे।
साथ ही प्लेटलेट्स की कमी का भी पता चला था। हालांकि उन्हें बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया था।
सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार अंतिम क्रिया
पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार होगा।
इसमें कई दिनों तक चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
उनके पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए रखा जाएगा।
दुनिया भर से लोग अंतिम संस्कार से पहले उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
अभी तक अंतिम संस्कार के समय की घोषणा नहीं की गई है।
पीएम मोदी ने जताया दुख
पीएम मोदी ने भी पोप के निधन पर दुख जताया है।
उन्होंनें X पर लिखा, “पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में दुनिया के कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।”
पीएम मोदी ने करीब 5 बार पोप से मुलाकात की थी।
Deeply pained by the passing of His Holiness Pope Francis. In this hour of grief and remembrance, my heartfelt condolences to the global Catholic community. Pope Francis will always be remembered as a beacon of compassion, humility and spiritual courage by millions across the… pic.twitter.com/QKod5yTXrB
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2025
एक हफ्ते बाद दफनाया जाएगा
पोप के शव को आम तौर पर उनके निधन के एक हफ्ते बाद दफनाया जाता है।
इस प्रक्रिया की अगुआई कार्डिनल्स कॉलेज के डीन करते हैं। अभी ये पद 91 साल के इटली के जियोवानी बतिस्ता रे के पास है।
आम तौर पर पोप के शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे बने तहखाने ‘वेटिकन ग्रोटोज’ में दफनाया जाता है।
हालांकि, पोप फ्रांसिस ने 2023 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्होंने रोम में सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका को अपने अंतिम विश्राम स्थल के रूप में चुना है।
ये चर्च फ्रांसिस की सबसे पसंदीदा चर्च रही है। वह अक्सर यहां जाते रहे।
नवंबर 2024 में उनकी अनुमति के बाद पोप को दफनाने के साल 2000 के नियमों में कुछ बदलाव कर उन्हें आसान बनाया गया था।
इन बदलावों के पीछे पोप की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार एक सामान्य पादरी की ही तरह किया जाए।
कौन थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था।
पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे।
पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।
उन्होंने हाई स्कूल से केमिकल टेक्नीशियन की डिग्री प्राप्त की और मार्च 1958 में जेसुइट संप्रदाय (Jesuit Novitiate) में प्रवेश लिया था।
अपनी धार्मिक शिक्षा के दौरान, उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में जेसुइट स्कूलों में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया।

1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय
- पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
- 13 दिसंबर, 1969 को वो पादरी (प्रिस्ट) नियुक्त किए गए थे।
- 1973 में उन्हें अर्जेंटीना में जेसुइट प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
- 1992 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें ब्यूनस आयर्स का सहायक बिशप बनाया।
- 1997 में वे कोअज्यूटर आर्कबिशप (Coadjutor Archbishop) बनाए गए और 1998 में आर्चडायोसीज (Archdiocese) के प्रमुख बने।
- तीन साल बाद, सेंट जॉन पॉल ने उन्हें कार्डिनल की उपाधि दी।
- 13 मार्च, 2013 को, 76 साल की आयु में, वे पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के उत्तराधिकारी चुने गए और उन्होंने “फ्रांसिस” नाम अपनाया था।
- पोप फ्रांसिस ने 13 मार्च 2013 को रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप का पद संभाला था।
- पोप फ्रांसिस लैटिन अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे।
पोप बनने से पहले बाउंसर थे
पोप बनने से पहले जॉर्ज मारियो अर्जेंटीना के नाइट क्लब में बाउंसर थे।
इस बात का खुलासा उन्होंने खुद किया था।
इसके अलावा उन्होंने कुछ समय तक लाइब्रेरी में भी काम किया था।

पोप फ्रांसिस के बड़े फैसले
पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में चर्च में सुधारों को बढ़ावा दिया। उनको अपने मानवीय क्षेत्र में किए कामों के लिए भी जाना जाता है।
समलैंगिकता पर
पद संभालने के 4 महीने बाद ही पोप से समलैंगिकता के मुद्दे पर सवाल किया था।
इस पर उन्होंने कहा, ‘अगर कोई समलैंगिक व्यक्ति ईश्वर की खोज कर रहा है, तो मैं उसे जज करने वाला कौन होता हूं।’
पुनर्विवाह को धार्मिक मंजूरी
पोप ने दोबारा शादी करने वाले तलाकशुदा कैथोलिक लोगों को धार्मिक मान्यता दी।
उन्होंने सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने के लिए ऐसे लोगों को कम्यूनियन हासिल करने का अधिकार दिया।
कम्यूनियन एक प्रथा है जिसमें यीशु के अंतिम भोज को याद करने के लिए ब्रेड/पवित्र रोटी और वाइन/अंगूर के रस का सेवन किया जाता है। इसे प्रभु भोज या यूकरिस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी
पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात स्वीकार की और सार्वजनिक माफी भी मांगी।
चर्च के पादरियों की तरफ से किए गए इस अपराध को उन्होंने नैतिक मूल्यों की गिरावट कहा था।
इससे पहले तक किसी पोप की तरफ से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं देने की वजह से वेटिकन की आलोचना की जाती थी।
पोप कौन होते हैं, कितना शक्तिशाली है ये पद?
पोप रोमन कैथोलिक चर्च का सर्वोच्च धर्म गुरू का पद है।
रोम के बिशप और वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहा जाता है।
पोप कहां रहते हैं?
दुनिया में सबसे छोटा संप्रभु देश है वेटिकन सिटी। यहीं से पोप का राजकाज चलता है।
‘होली सी’ या ‘परमधर्म पीठ’ नाम की एक संस्था को रोमन कैथोलिक चर्च और पोप का राजनयिक प्रतिनिधि कहा जाता है।
इसका मुख्यालय भी वेटिकन सिटी में है। होली सी को एक तरह से रोमन चर्च और पोप की सरकार माना जाता है।
जिस तरह ज्यादातर देशों के दुनिया भर में दूतावास होते हैं। उसी तरह भारत सहित दुनिया के कई देशों में वेटिकन की इस होली सी के डिप्लोमेटिक मिशन हैं।
इन्हें वेटिकन का धार्मिक राजदूत आवास या ‘एपस्टोलिक ननसियेचर’ कहते हैं।
पोप कौन बन सकता है?
कोई भी पुरुष, जो कैथोलिक हो और जिसका बपतिस्मा हो चुका हो, वह पोप बन सकता है।
बपतिस्मा एक कैथोलिक रिवाज है, इसके बाद ही कोई कैथोलिक कहा जा सकता है।
कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक, कोई महिला पोप नहीं बन सकती।
अलग-अलग देशों के कार्डिनल्स, अपने देशों में कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु या पादरी होते हैं।
पोप को अलग-अलग मुद्दों पर सलाह देने वाली 9 कार्डिनल्स की एक काउंसिल होती है।
आम तौर पर इन्हीं में से किसी एक को अगला पोप चुना जाता है।
पोप फ्रासिंस की जिंदगी से जुड़ी 10 अहम बातें
- पिछले 1000 सालों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।
- पोप फ्रांसिस ने इटली के बाहर 47 देशों की यात्राएं कीं। उन्हें तीन भाषाएं आती थी
- पोप फ्रांसिस पहले भी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ चुके थे। युवावस्था में ही उन्होंने अर्जेंटीना में रहते हुए अपने फेफड़े का एक हिस्सा हटवा लिया था।
- पोप को साइटिका दर्द और घुटने की समस्या थी, जिसके कारण वे अक्सर वॉकर या व्हीलचेयर का सहारा लेते थे।
- उन्होंने पोप के कई पारंपरिक दिखावे को त्याग दिया। वो अपना भोजन खुद पकाते थे और एक छोटे से अपार्टमेंट में रहते थें।
- पोप ने दोबारा शादी करने वाले तलाकशुदा कैथोलिक लोगों को धार्मिक मान्यता दी थी।
- पादरी के शादी करने पर कोई विरोध नहीं- 13 मार्च 2023 को पोप फ्रांसिस ने अर्जेंटीना के इंफोबे पब्लिकेशन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि एक पादरी के शादी करने पर कोई विरोध नहीं है।
- स्वर्ग और नरक बस कहने की बातें हैं- एक बार पोप फ्रांसिस ने कहा था कि स्वर्ग और नरक जैसा असल में कुछ नहीं होता। ये सब कहने की बातें हैं।
- सोने के शौकीन पोप फ्रांसिस- पोप को नींद बड़ी प्यारी थी। घड़ी में रात के नौ बजते ही पोप बिस्तर पर चले जाते थे और सुबह पांच बजे उठते थे। वह दोपहर का खाना खाने के बाद भी थोड़ी देर के लिए झपकी मार लेते थे। एक चैनल पर पोप फ्रांसिस ने कहा था- कई बार जब आंख बंद करके गॉड की प्रे (प्रार्थना) करने के लिए बैठते हैं, तब नींद आ जाती है।’ पोप ने आगे कहा कि ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। उनसे पहले भी कई संत ऐसा करते आए हैं और करते हैं।
- साल 2013 में प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने पोप को पर्सन ऑफ द ईयर का खिताब दिया था।