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मध्य प्रदेश में कोविड के बाद युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा: रिपोर्ट में खुलासा, जानें कैसे करें बचाव

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MP Youth Heart Attack Risk: देश के दिल कहलाने वाले मध्य प्रदेश के नागरिकों का दिल लगातार कमजोर होता जा रहा है।

यह बात केंद्र सरकार के आधिकारिक आंकड़ों में सामने आई है।

जून 2025 में जारी भारत के महापंजीयक की ‘मेडिकली सर्टिफाइड केजेज ऑफ डेथ (एमसीसीडी)’ रिपोर्ट-2022 के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद मध्य प्रदेश में दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि देखी गई है, खासकर युवाओं और कम उम्र के बच्चों में।

यह आंकड़ा राज्य में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय बन चुका है।

युवा और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े वाकई हैरान करने वाले और डरावने हैं।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 के बाद के सालों में हृदय रोगों के शिकार होने वालों की उम्र में भारी गिरावट आई है।

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सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति छोटे बच्चों की है।

  • रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में 1 से 4 साल की उम्र के बच्चों में हृदय रोगों से होने वाली मौतों का प्रतिशत मात्र 0.6% था, जो 2022 में बढ़कर 14.1% हो गया।
  • यानी इस आयु वर्ग में हार्ट अटैक से मौतों में 2250% की अकल्पनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
  • 5 से 14 साल के स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों में यह आंकड़ा 3.7% से बढ़कर 18.6% पर पहुंच गया, जो लगभग 403% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
  • वहीं, 15 से 24 साल के युवाओं में भी इन मौतों में 39.64% की बढ़ोतरी हुई है।

दिलचस्प बात यह है कि इन युवा आयु वर्ग के उलट, 25 साल से अधिक उम्र के वयस्कों और बुजुर्गों में हृदय रोगों से मृत्यु दर में गिरावट देखी गई है।

इससे साफ जाहिर होता है कि कोविड-19 का प्रभाव सीधे तौर पर युवा आबादी के हृदय स्वास्थ्य पर पड़ा है।

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ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा मामले, 18 साल के युवा भी आ रहे चपेट में

राज्य के ग्वालियर और चंबल संभाग में युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से पहले आमतौर पर 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ही हार्ट अटैक का शिकार होते थे, लेकिन कोविड के बाद अब 18 साल के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

क्यों बढ़ रहा है युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा? जानें मुख्य कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, हार्ट अटैक के इस बढ़ते खतरे के पीछे कई कारण हैं:

  1. कोविड-19 का दीर्घकालिक प्रभाव: माना जा रहा है कि कोरोना वायरस शरीर में सूजन पैदा करता है और ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भविष्य में हार्ट डिसीज का खतरा बढ़ जाता है।
  2. मानसिक तनाव: कोविड काल में लॉकडाउन, अनिश्चितता, नौकरी जाने का डर और अलग-थलग पड़ने की वजह से युवाओं में तनाव का स्तर बहुत बढ़ गया। लंबे समय तक रहने वाला यह तनाव दिल की सेहत के लिए घातक साबित हो रहा है।
  3. फिजिकल एक्टिविटी की कमी: महामारी के दौरान घरों में बंद रहने और ऑनलाइन कक्षाओं/वर्क फ्रॉम होम की वजह से शारीरिक गतिविधियां लगभग खत्म हो गईं। व्यायाम की कमी ने हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा दिया।
  4. अनियमित खान-पान: बाहर का खाना, जंक फूड का अधिक सेवन और पोषण की कमी ने भी इस समस्या को गहराया है।
  5. वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स?: कुछ अध्ययनों में कोविड वैक्सीन और हृदय की मांसपेशियों में सूजन (मायोकार्डिटिस) के बीच संबंध की बात की गई है, खासकर युवा पुरुषों में। हालांकि, यह अभी भी गहन शोध का विषय है और वैक्सीन के फायदे जोखिमों से कहीं अधिक माने जाते हैं।

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डॉक्टर्स के अनुसार, हार्ट अटैक का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसके एक या दो दिन पहले तक कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते।

उन्होंने बताया कि यदि किसी को सीने में दर्द महसूस हो और यह दर्द गले तथा बाएं हाथ तक फैल जाए, तो तुरंत जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी होता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हार्ट अटैक से बचाव के लिए सही जीवनशैली, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेना सबसे प्रभावी तरीका है।

कैसे करें बचाव? अपनाएं ये आसान उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए जीवनशैली में बदलाव सबसे जरूरी है।

  • नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या तैराकी दिल को स्वस्थ रखती है।
  • स्वस्थ आहार: ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार (जैसे अखरोट, मछली) लें। तला-भुना, जंक फूड, अत्यधिक नमक और चीनी के सेवन से बचें।
  • धूम्रपान और शराब से परहेज: तंबाकू और धूम्रपान हृदय रोग के सबसे बड़े कारणों में से एक हैं। इनसे पूरी तरह दूरी बनाएं।
  • तनाव प्रबंधन: योग, प्राणायाम, ध्यान (मेडिटेशन) और पर्याप्त नींद लेकर तनाव को नियंत्रित करें।
  • नियमित जांच: 30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें। अगर पारिवारिक इतिहास है तो और भी सजग रहें।

राज्यों के आंकड़े: मध्य प्रदेश कहां खड़ा है?

रिपोर्ट में अन्य राज्यों के आंकड़े भी शामिल हैं।

  • वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में कुल मौतों में से 33.9% मौतों का कारण हृदय रोग थे, जबकि देश का औसत 47.1% था।
  • यह आंकड़ा 2008 के 19.2% और 2013 के 24.6% की तुलना में काफी अधिक है, जो राज्य में हृदय रोगों के बढ़ते बोझ को दर्शाता है।
  • देश में सबसे ज्यादा हृदय रोग से मौतें लक्षद्वीप (70.3%), असम (62.7%) और आंध्र प्रदेश (60.3%) में दर्ज की गईं।
  • वहीं, सबसे कम मामले मिजोरम (15.8%) और नागालैंड (16.3%) में देखे गए।

केंद्रीय महापंजीयक की यह रिपोर्ट एक बड़े स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करती है।

कोविड-19 महामारी ने न केवल तात्कालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कीं, बल्कि इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव, विशेष रूप से युवाओं के हृदय स्वास्थ्य पर, अब सामने आ रहे हैं।

इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार, स्वास्थ्य अधिकारियों और समाज को मिलकर जागरूकता फैलाने और निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर जोर देने की सख्त जरूरत है।

व्यक्तिगत स्तर पर हर किसी को अपनी जीवनशैली में सुधार लाना होगा, तभी इस ‘साइलेंट किलर’ से बचा जा सकता है।

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