Premanand Maharaj Kidney: आज के दौर में जहां हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नफरत फैलाने वाली खबरें आम हैं, वहीं एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने हर किसी के दिल को छू लिया है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के इटारसी शहर के एक मुस्लिम युवक आरिफ खान चिश्ती ने वृंदावन के हिंदू संत प्रेमानंद जी महाराज को अपनी किडनी दान करने की पेशकश की।
हैरानी की बात यह है कि संत ने इस पेशकश को प्यार से ठुकरा दिया, लेकिन इसके बाद दोनों तरफ से जो बातचीत हुई वो सांप्रदायिक सद्भाव और इंसानियत की एक मिसाल बन गई।
कौन हैं संत प्रेमानंद और क्या है पूरा मामला?
वृंदावन के रहने वाले संत प्रेमानंद महाराज एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु हैं।
वह ‘ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज’ नाम की एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
इस बीमारी की वजह से उनकी दोनों किडनी काम करना बंद कर चुकी हैं।

मीडिया में इस बात की खबरें आईं कि संत की हालत गंभीर है और उन्हें एक नई किडनी की सख्त जरूरत है।
यह खबर जब मध्य प्रदेश के इटारसी शहर में रहने वाले एक युवक आरिफ खान चिश्ती तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत एक बड़ा फैसला लिया।
आरिफ ने 20 अगस्त को इटारसी की कलेक्टर सोनिया मीणा के जरिए संत प्रेमानंद महाराज को एक भावनात्मक पत्र लिखा। उन्होंने यह पत्र ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए भी भेजा।

आरिफ के पत्र में क्या था?
आरिफ ने अपने पत्र में लिखा, “प्रेमानंद महाराज हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। वे समाज में प्रेम और शांति का संदेश देते हैं। मैंने मीडिया से जाना कि महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं, इसलिए मैं उन्हें अपनी एक किडनी दान करना चाहता हूँ।”
आरिफ ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी भी उनके इस फैसले का पूरी तरह से साथ दे रही हैं।

संत प्रेमानंद ने क्या जवाब दिया?
संत प्रेमानंद महाराज को जब आरिफ का पत्र मिला, तो वह उसकी उदारता और पवित्र भावना से बहुत प्रभावित हुए।
महाराज के सहायक प्रतीक ने आरिफ को फोन करके बताया कि उनका संदेश महाराज तक पहुंच गया है।
महाराज की तरफ से कहा गया कि, “आरिफ की यह भावना सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देती है। यह मानवता की राह पर चलने का एक बेहतरीन उदाहरण है। दुनिया के हर व्यक्ति में ऐसी भावना होनी चाहिए।”
हालांकि, संत ने यह भी कहा कि वह आरिफ की किडनी नहीं ले सकते।
उन्होंने आरिफ को उनकी इस पवित्र भावना के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए वृंदावन आमंत्रित किया।

आरिफ ने क्यों लिया ये फैसला?
आरिफ खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके लिए समाज की सोच मायने नहीं रखती। यह उनका खुद का निजी फैसला था।
उन्होंने कहा, “प्रेमानंद महाराज समाज में शांति और प्रेम का संदेश देते हैं, इसीलिए मैंने यह पेशकश की।”
आरिफ के परिवार में उनके पिता और तीन भाई हैं। वह परिवार में सबसे छोटे हैं और उनकी शादी को अभी सिर्फ एक साल ही हुआ है।

राज कुंद्रा ने भी की थी किडनी दान करने की इच्छा
इससे पहले, अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा भी संत प्रेमानंद से मिलने वृंदावन गए थे।
जब महाराज ने उन्हें अपनी तकलीफ के बारे में बताया, तो राज कुंद्रा ने भी तुरंत उन्हें अपनी किडनी देने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा था, “मैं आपकी तकलीफ को जानता हूँ, मेरी एक किडनी आपके नाम।”
हालांकि, संत प्रेमानंद ने उनके प्रस्ताव को भी प्यार से ठुकरा दिया था और कहा था कि उनका यह सद्भाव ही उनके लिए बहुत बड़ी बात है।

राज कुंद्रा के इस कदम की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना भी हुई थी, जिसके जवाब में राज ने कहा था, “कम जज करो, प्यार ज्यादा करो।”


