Mahalaxmi Mandir Note Decoration: भारत का एक ऐसा मंदिर है जहां दिवाली के पर्व पर करोड़ों रुपये के साथ ही आभूषणों से सजावट की जाती है।
इस मंदिर से भक्तों की ऐसी आस्था जुड़ी है कि वहीं ये रुपये और आभूषण दान करते हैं।
वहीं प्रसाद के रूप में भक्तों को ये नोट और आभूषण दिए जाते हैं।
1.5 करोड़ के नोट और 3 करोड़ के आभूषणों से सजावट
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित महालक्ष्मी मंदिर सजावट को लेकर चर्चा में है।
दिवाली पर इस मंदिर को करोड़ों रुपयों और कीमती आभूषणों से सजाया जाता है, जो कुबेर के खजाने जैसा दिखाई देता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
अभी तक मंदिर में 1 करोड़ 47 लाख रुपए की गिनती हो चुकी है और अनुमान है कि आभूषणों की कीमत 3 करोड़ से ज्यादा है।
रोचक बात ये है कि भक्त अपने घरों की तिजोरियों से नोट लाते हैं ताकि वे इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बन सकें।
भक्त इस तरह से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
वहीं भक्तों को भाईदूज पर प्रसाद के तौर पर उनके नोट और गहने वापस कर दिए जाते हैं।
1 से लेकर 500 रुपए तक के नोटों से की गई सजावट
महालक्ष्मी मंदिर को 1 रुपए से लेकर 20, 50, 100 और 500 रुपए के नए नोटों से सजाया गया है।
श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले नोटों से मंदिर के लिए वंदनवार बनाया जाता है।
महालक्ष्मी का आकर्षक श्रृंगार कर गर्भगृह को खजाने के रूप में सजाया जाता है।
सजावट के लिए मंदिर में भक्त निशुल्क सेवा देते हैं।
कोई नोटों की लड़ियां बनाता है तो कोई नोट लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की एंट्री करता है।
रतलाम के अलावा मंदसौर, नीमच, इंदौर, उज्जैन, नागदा, खंडवा, देवास समेत राजस्थान के कोटा से आए भक्तों ने अपनी श्रद्धानुसार राशि जमा कराई है।
मान्यता है कि जिस व्यक्ति का धन महालक्ष्मी के श्रृंगार में इस्तेमाल होता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
बता दें कि महालक्ष्मी मंदिर में हर साल दिवाली के एक सप्ताह पहले से सजावट की तैयारी शुरू हो जाती है।
लेकिन, इस बार यहां 14 अक्टूबर यानी शरद पूर्णिमा से ही रुपए और गहने पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।
रुपयों में आज तक नहीं हुआ हेरफेर
मंदिर में सजावट के लिए दिए जाने वाले रुपयों में आज तक हेरफेर नहीं हुआ है।
महालक्ष्मी के दरबार में सजने वाले कुबेर के खजाने की सुरक्षा के लिए 4 गार्ड तैनात रहते हैं।
सीसीटीवी से भी निगरानी की जाती है।
मंदिर के पीछे ही माणक चौक पुलिस थाना है, जहां 24 घंटे फोर्स तैनात रहती है।
नगदी और आभूषण देने वाले भक्तों का नाम, पता और मोबाइल नंबर एक रजिस्टर में लिखा जाता है।
दान देने वाले का पासपोर्ट फोटो नाम के आगे चिपकाया जाता है।
फिर राशि लिखकर एक टोकन दिया जाता है, बाद में इसी टोकन को देखकर रुपए या आभूषण लौटाए जाते हैं।
महालक्ष्मी के 8 रूप देखने दूर-दूर से आते हैं भक्त
रतलाम के माणक चौक में स्थित इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
यहां महालक्ष्मी के 8 रूप विराजमान है, अधी लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, लक्ष्मीनारायण, धन लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और ऐश्वर्य लक्ष्मी।
गर्भ गृह में महालक्ष्मी के साथ भगवान गणेश और मां सरस्वती की पूजा होती है।
ऐसी मान्यता है कि लगभग 200 साल पहले राजा रतन सिंह अपनी कुल देवी के रूप में माता लक्ष्मी का पूजन करते थे।
राजा अपने राज्य के वैभव, निरोगी काया और प्रजा की खुशहाली के लिए पांच दिन तक अपनी सारी संपत्ति मंदिर में रखकर आराधना करते थे, तभी से ये परंपरा चली आ रही है।
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