Seoni Hawala Loot Case: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
यहां हवाला के नाम पर 3 करोड़ रुपये से अधिक की लूट का मामला उजागर हुआ है, जिसमें खुद पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी आरोपी पाए गए हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में खुद बड़ा एक्शन लिया, जिसके बाद SDOP पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती, अपहरण और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की गई है।
एसडीओपी पूजा पांडे समेत 5 को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
#WATCH | Bhopal | On the Seoni loot case, Madhya Pradesh CM Mohan Yadav says, “We will not spare any person who violates the law. In the eyes of the law, officials, employees, and common citizens are all equal. Strict action will be taken against whoever makes a mistake. We have… pic.twitter.com/VfTSLE7TEs
— ANI (@ANI) October 14, 2025
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि 9 से 11 अक्टूबर के बीच नेशनल हाईवे-44 पर पुलिसकर्मियों के एक गिरोह ने हवाला के जरिए ले जाए जा रहे करीब 2.96 करोड़ रुपये की नकदी को लूट लिया।
शुरुआत में तो पुलिस ने इसे एक सामान्य लूट का मामला बताया और हवाला कारोबारियों के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया।
लेकिन, जैसे-जैसे तथ्य सामने आए, पुलिसकर्मियों की साजिश का पर्दाफाश हुआ।
- पहली शिकायत और पुलिस की कार्रवाई: 11 अक्टूबर को लखनवाड़ा थाने में सोहन परमार, इरफान पठान और शेख मुख्तार के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई। इसमें दावा किया गया कि पुलिस को जबलपुर से नागपुर अवैध रकम और मादक पदार्थ ले जाने की सूचना मिली थी। जांच में एक कार से 1.45 करोड़ रुपये बरामद हुए और आरोपी फरार हो गए। इस रकम को एसडीओपी पूजा पांडे और टीआई अर्पित भैराम ने कोतवाली मालखाने में जमा कराया।
- हवाला कारोबारियों का आरोप: दूसरी तरफ, हवाला कारोबारियों ने आरोप लगाया कि 9 अक्टूबर को पुलिस ने ही उनसे 2.96 करोड़ रुपये लूटे थे। उन्होंने कोतवाली थाने में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई।
- डील और धोखाधड़ी: जांच में खुलासा हुआ कि पुलिस और हवाला कारोबारियों के बीच रकम के बंटवारे को लेकर ‘डील’ चल रही थी। पुलिस वाले आधे-आधे पैसे (1.5-1.5 करोड़) बांटने पर अड़े थे, जबकि हवाला व्यापारी केवल 45 लाख रुपये देकर मामला रफा-दफा करना चाहते थे। बात बनती नहीं दिखी तो एसडीओपी पूजा पांडे ने हवाला कारोबारियों को 1.51 करोड़ रुपये वापस करके मामला खत्म करने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, जब व्यापारियों ने रास्ते में पैसे गिने तो 25 लाख रुपये कम निकले। इस धोखाधड़ी के बाद उन्होंने पूरी रकम की लूट की औपचारिक शिकायत दर्ज करा दी।
- उच्चस्तरीय हस्तक्षेप: मामला गंभीर होते देख जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा और डीआईजी राकेश सिंह सिवनी पहुंचे। उनकी बैठक के बाद ही एसडीओपी पूजा पांडे को हाजिर होना पड़ा। प्रारंभिक जांच में एफआईआर और विवेचना में गंभीर त्रुटियां पाई गईं। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव और डीजीपी कैलाश मकवाना ने सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया।
कटनी से महाराष्ट्र के जालना जा रहे लगभग तीन करोड़ रुपये को सिवनी पुलिस ने जब्त किया था, जिसे “खुर्द-बुर्द” कर आपसे में बांटने का प्लान एसडीओपी और पुलिस वालों ने मिलकर बनाया था।
रकम जब्त करने के बाद इसे पचाने या कम दिखाने का प्रयास किया।#PoojaPandey pic.twitter.com/HbbdGhbSt3— Dr. Anil Sirvaiya (@ASirvaiyya) October 10, 2025
गिरफ्तारी और कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देश पर 15 अक्टूबर को बड़ी कार्रवाई हुई।
लखनवाड़ा थाने में अपराध क्रमांक 473/2025 के तहत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया:
- धारा 310(2): डकैती – यह धारा बलपूर्वक संपत्ति छीनने के लिए लगाई जाती है।
- धारा 126(2): गलत तरीके से रोकना – बिना कानूनी अधिकार के किसी को रोकना।
- धारा 140(3): अपहरण – किसी व्यक्ति का गलत तरीके से उठा लेना।
- धारा 61(2): आपराधिक षड्यंत्र – अपराध करने की साजिश रचना।
इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने एसडीओपी पूजा पांडे एसआई अर्पित भैरम, कॉन्सटेबल योगेंद्र, कॉन्सटेबल नीरज और कॉन्सटेबल जगदीश को हिरासत में ले लिया है।
इनके अलावा जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, आरक्षक रविंद्र उईके, आरक्षक चालक रितेश, गनमैन केदार और गनमैन सदाफल शामिल हैं।
एसआई अर्पित भैयाराम और चार कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि बाकी आरोपी पुलिसकर्मी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है।
जांच के घेरे में वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस की छवि धूमिल
यह मामला सिर्फ निचले स्तर तक सीमित नहीं है।
वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही और संभावित मिलीभगत पर भी सवाल उठे हैं।
आईजी प्रमोद वर्मा ने सिवनी एसपी सुनील कुमार मेहता और एडिशनल एसपी दीपक मिश्रा को शो-कॉज नोटिस जारी किया है।
उनसे पूछा गया है कि इतनी बड़ी रकम की बरामदगी की सूचना उन्होंने तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों नहीं दी।
आईजी प्रमोद वर्मा ने खुद स्वीकार किया है कि इस घटना से “पुलिस की छवि निश्चित रूप से धूमिल हुई है।”
इसीलिए इसकी जांच बहुत बारीकी से की जा रही है।
पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए जबलपुर के एएसपी (क्राइम) जितेंद्र सिंह को विशेष जांच अधिकारी बनाया गया है।
मध्यप्रदेश में कानून सबके लिए समान है।
सिवनी हवाला मनी लूट प्रकरण में एसडीओपी समेत 11 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। 5 को हिरासत में लिया गया है।
कानून का उल्लंघन करने वालों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।
प्रदेश में सुशासन और कानून व्यवस्था सर्वोपरि है : CM… https://t.co/uensMV9beu
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) October 14, 2025
सिवनी का हवाला लूट कांड भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का एक चौंकाने वाला उदाहरण है।
यह मामला दिखाता है कि कैसे कानून का पालन कराने वाले खुद कानून के हाथों में आ सकते हैं।
CM मोहन यादव और डीजीपी कैलाश मकवाना की त्वरित कार्रवाई ने संदेश दिया है कि ऐसे किसी भी अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति क्यों न हो।