Spirit Of Life: इंदौर। सतना निवासी शिवलोक सिंह (39 वर्ष) एक भयानक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी पत्नी की मौत हो गयी।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल द्वारा किए गए इलाज और देखभाल के साथ, साहस जुटाते हुए शिवलोक फिर से चलने लगे हैं।
पिछले साल 2 नवंबर को सिंह के लिए एक सामान्य दिन अत्यंत कटु अनुभव में बदल गया।
एक सड़क दुर्घटना में उनके पेल्विस की हड्डी टूट गई और साइटिक नर्व पाल्सी हो गया, जिससे वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गए।
बहुत ही गंभीर हालत में उन्हें 3 नवंबर को इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
शिवलोक को बिल्कुल भी पता नहीं था कि वे इस दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति थे।
डॉक्टरों की एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने उनकी जान बचाने और उन्हें पूरी तरह से ठीक करने के लिए कई मोर्चों पर लड़ाई शुरू कर दी।
उन्हें कई गंभीर चोटें आईं थीं। पेल्विस के एसिटाबुलम का कॉमिन्यूटेड फ्रैक्चर हुआ था या सरल शब्दों में कहा जाए तो उनके कूल्हे के जोड़ का कप के आकार का हिस्सा या सॉकेट के कई टुकड़े हो चुके थे।
छोटी सी गलती दे सकती थी जिंदगी भर की विकलांगता –
आर्थोपेडिक सर्जनों के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी। यह एक ऐसी जटिल स्थिति थी जिसका इलाज करना मुश्किल था, जिससे पूरी ज़िन्दगी भर के लिए विकलांगता हो सकती थी।
यह मामला और भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि सिंह मोटापे से ग्रस्त थे और उनका वजन लगभग 155 किलोग्राम था।
अपने मोटापे के कारण उन्हें गंभीर स्लीप एपनिया और उच्च रक्तचाप की समस्या थी।
इन समस्याओं ने एनेस्थीसिया और सर्जरी से जुड़े जोखिमों को काफी हद तक बढ़ा दिया था।
उनके मामले की जटिलता देखते हुए उन्हें सबसे अच्छी देखभाल की आवश्यकता थी।
डॉक्टर्स की टीम ने किया चुनौती का सामना –
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की एक कुशल टीम ने इस चुनौती का सामना किया।
विशेषज्ञों की मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम का नेतृत्व डॉ. मनीष लधानिया, कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर की टीम ने किया।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर में कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. मनीष लधानिया ने बताया कि बहुत सावधानी से सर्जरी की योजना बनाई गई।
सर्जरी 12 घंटे से ज़्यादा समय में दो चरणों में की गई।
दूसरे चरण में शरीर के भीतर की चोटों को ठीक करने और पेल्विस को स्थिर करने के लिए पेट की तरफ़ से फ्रैक्चर तक पहुंचना था।
Spirit Of Life: अलग-अलग चरणों में हुआ इलाज –
पहले चरण में एसिटाबुलम को फिर से बनाने और साइटिक नर्व को हुए नुकसान की मरम्मत करने के लिए हिप साइड पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उनके पेट के मोटापे के कारण हमें सर्जरी के लिए विशेष उपकरण भी खरीदने पड़े।
सर्जरी सफल रही, लेकिन फिर भी सिंह को रिकवरी के दौरान सर्जरी वाली जगह पर खून का थक्का जम गया, जिसके लिए तुरंत इलाज की ज़रूरत थी।
सिंह को सांस लेने में भी गंभीर समस्या हो रही थी, जिसके कारण उन्हें इलेक्टिव ट्रेकियोस्टोमी और मैकेनिकल वेंटिलेशन की ज़रूरत पड़ी।
नर्सिंग स्टाफ़ ने बेडसोर्स और अन्य जटिलताओं को रोकने के लिए बहुत सावधानी से देखभाल की।
डिप्रेशन ने डाला बुरा असर –
डॉ. मनीष लधानिया ने बताया कि जब उन्हें अपनी पत्नी के निधन के बारे में पता चला और वे गंभीर डिप्रेशन में चले गए, जिसका बुरा असर उनके ठीक होने पर पड़ा।
समय पर मनोवैज्ञानिक सहायता और परामर्श ने उन्हें इस भावनात्मक आघात से उबरने में मदद की।
सिंह का परिवार, खास तौर पर उनके भाई लगातार मौजूद रहे, उन्होंने डॉक्टर्स के प्रयासों की सराहना की और अपने भाई का हौसला बढ़ाया।
Spirit Of Life: 40 किलो कम किया वजन –
सिंह को ठीक होने में एक महीना लगा।
उन्होंने दस महीने तक लगातार फिजियोथेरेपी करवाई और आखिरकार आज वे बिना सहारे के चल सकते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान उनका 40 किलो वजन भी कम हुआ।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर के उपाध्यक्ष सुनील मेहता ने कहा कि इस मामले ने रेखांकित किया कि हमारा अस्पताल न केवल बीमारियों का इलाज करता है, बल्कि शरीर के साथ-साथ लोगों के मन को भी ठीक करता है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की हमारी मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने मरीज की पूरी तरह से मदद की ताकि वे पूरी तरह से ठीक हो सकें।
इस जटिल मामले का सफलतापूर्वक इलाज करने में डॉक्टरों, नर्सों और सहायक कर्मचारियों की हमारी टीम ने जो सामूहिक प्रयास किए हैं, उन पर मुझे गर्व हैं।
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