भोपाल। मध्यप्रदेश की जिन 6 सीटों पर 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ है उनमें से 4 महाकौशल की छिंदवाड़ा, बालाघाट, जबलपुर, मंडला तथा विंध्य की सीधी व शहडोल सीट शामिल हैं।
इन छह सीटों के मतदान में औसत से 2019 के मुकाबले 8 प्रतिशत तक गिरावट है। सबसे ज्यादा सीधी में औसत से 14 प्रतिशत कम मतदान हुआ जबकि औसत से सबसे कम छिंदवाड़ा में 2.8 प्रतिशत मतदान हुआ है।
जबलपुर में पिछले चुनाव की अपेक्षा लगभग 9 प्रतिशत कम, शहडोल में 2019 के मुकाबले इस बार 11 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। बालाघाट में 5 प्रतिशत के करीब पिछले चुनाव की तुलना में कम वोटिंग हुई। उधर मंडला सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले 5 फीसदी कम वोटिंग हुई है।
कम मतदान के क्या मायने?
सीधी लोकसभा सीट
2024 2019 कम
56.18% 69.50% 14%
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट
2024 2019 कम
79.18% 82.42% 2.8%
जबलपुर लोकसभा सीट
2024 2019 कम
60.52% 69.43% 9%
शहोडल लोकसभा सीट
2024 2019 कम
64.11% 74.73 10%
बालाघाट लोकसभा सीट
2024 2019 कम
72.66% 77.61% 5%
मंडला लोकसभा सीट
2024 2019 कम
72.92% 77.76% 5%
आखिर पहले चरण में औसत से कम मतदान क्यों हुआ। इस सवाल के जवाब में राजनीतिक पंडित बताते हैं कि पहले चरण का वोटिंग प्रतिशत गीला कचरा, सूखा कचरा और मेडिकल वेस्ट के संक्रमण का शिकार हुआ है यानि इन छह सीटों पर कांग्रेसियों के भाजपा में आने से वोटिंग प्रतिशित में गिरावट हुई है।
पहले चरण के मतदान के पश्चात विंध्य-महाकौशल में कुछ ऐसे सवाल हवाओं में तैर रहे हैं। क्या यह कम वोटिंग बीजेपी के प्रतिकूल जाएगी? क्या इसके लिए कांग्रेस से बीजेपी में आई दलबदलुओं की भीड़ जिम्मेदार है? क्या नई भर्ती से पुराने कार्यकर्ताओं के मनोबल पर प्रभाव पड़ा और वे तटस्थ हो गए हैं? पूरे प्रदेश में कांग्रेस खाली हुई है तो क्या पूरे प्रदेश में वोटिंग ट्रेंड यही रहने वाला है? ये वोटिंग ट्रेंड किसके पक्ष में जाएगा? यही सबसे बड़ा सवाल है जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
2019 के मुकाबले कम वोटिंग के क्या मायने?
- एमपी की 6 सीटों पर औसत से कम वोटिंग
- सीधी सीट पर सबसे ज्यादा 15% कम वोटिंग
- छिंदवाड़ा में औसत से 2.8% कम वोटिंग
- क्या बीजेपी की ‘नेता आयात नीति’ का असर?
- क्या नई भर्ती से पुरानों के मनोबल पर प्रभाव पड़ा है?
- कम मतदान के लिए दलबदलुओं की भीड़ जिम्मेदार है?
- मतदान में घटत बीजेपी के प्रतिकूल तो नहीं जाएगी?
- क्या दलबदलुओं से कांग्रेस को होगा भारी नुकसान?