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हनुमानजी के परम भक्त संत सियाराम बाबा ने 110 साल की उम्र में किया देह त्याग, 4 बजे अंतिम संस्कार

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Manish Kumar
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Siyaram Baba Passes Away: खरगोन। देश के ख्याति प्राप्त संत सियाराम बाबा ने बुधवार की सुबह 6.10 बजे अपना देह त्याग दिया।

नर्मदा तट पर भट्यान आश्रम में बुधवार मोक्षदा एकादशी की सुबह करीब 6.10 बजे बाबा ने ग्यारस पर शरीर त्यागा।

खरगोन एसपी धर्मराज मीना ने संत सियाराम बाबा के देवलोक गमन की पुष्टि की है।

उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे नर्मदा तट पर भट्यान आश्रम के पास किया जाएगा।

मूलतः गुजरात के निवासी संत सियाराम बाबा यहां कई सालों से नर्मदा भक्ति कर रहे थे।

Siyaram Baba Passes Away

आश्रम में सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ लगी है।

बता दें कि इंदौर के डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया था।

कुछ दिनों पहले बाबा को निमोनिया की शिकायत पर सनावद के निजी अस्पताल में भर्ती किया था।

इसके बाद बाबा की इच्छानुसार उनका आश्रम में ही जिला चिकित्सालय और कसरावद के डॉक्टरों द्वारा इलाज जारी था।

Siyaram Baba Passes Away: 21 घंटों तक करते थे रामायण पाठ –

Siyaram Baba Passes Away

संत सियाराम बाबा अपनी दिनचर्या में लगातार रामायण पाठ करते रहते थे।

भक्तों के मुताबिक, वे 21 घंटों तक रामायण का पाठ करते थे।

110 साल की आयु में भी उन्हें चश्मा नहीं लगा था।

भक्तों ने सियाराम बाबा को हमेशा लंगोट में ही देखा है।

सर्दी, गर्मी या बरसात में भी वे लंगोट के अलावा कोई कपड़ा नहीं पहनते थे।

Siyaram Baba Passes Away: सीएम मोहन यादव भी होंगे शामिल –

Siyaram Baba Passes Away

अंतिम संस्कार में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल हो सकते हैं।

प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव बुधवार को उनसे मुलाकात कर स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए जाने वाले थे।

लेकिन, इससे पहले ही उनके देवलोक गमन की खबर सामने आ गई।

संत सियाराम बाबा बीते लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

हाल ही में उनकी मृत्यु की अफवाह भी उड़ी थी जिससे उनके भक्त काफी परेशान हो गए थे।

Siyaram Baba Passes Away: ऐसे पड़ा ‘सियाराम बाबा’ नाम –

Siyaram Baba Passes Away

वर्ष 1933 में करीब 17 साल की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया था।

गुजरात के भावनगर में जन्मे बाबा ने कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया।

वे 1962 में भट्यान आए थे, जहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की।

जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने ‘सियाराम’ का उच्चारण किया।

इसके बाद से ही भगवान हनुमान के परम भक्त बाबा ‘सियाराम बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं।

Siyaram Baba Passes Away: भक्तों से मात्र 10 रुपये का लेते थे दान –

संत सियाराम बाबा प्रत्येक श्रद्धालु से मात्र 10 रुपये दान स्वरूप लेते थे।

भक्तों के मुताबिक, बाबा ने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपये क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर में दान स्वरूप दे दिए थे।

इसके साथ ही करीब 20 लाख रुपये व चांदी का छत्र जाम घाट स्थित पार्वती माता मंदिर में दान किया था।

आश्रम से नर्मदा तक जो घाट बना है, वह भी सियाराम बाबा ने लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से बनवाया था।

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