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लेह हिंसा के बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक को किया अरेस्ट: इंटरनेट बंद, लगातार तीसरे दिन कर्फ्यू

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Sonam Wangchuk Arrest: लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलन के अगुवा सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया है।

लेह पुलिस ने उन्हें शुक्रवार को हिरासत में लिया।

माना जा रहा है कि उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाया गया है।

इस गिरफ्तारी के बाद लेह में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।

क्या हुआ था 24 सितंबर को

लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत अधिकारों की मांग को लेकर 24 सितंबर को हिंसक प्रदर्शन हुए थे।

आंदोलनकारियों ने लद्दाख बंद का आह्वान किया था और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को लेह हिल काउंसिल के सामने इकट्ठा होने के लिए प्रेरित किया था।

जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड लगाए। मगर स्थिति तब बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।

पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसके जवाब में भीड़ हिंसक हो गई।

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के आफिस समेत एक पुलिस वाहन में आग लगा दी और कई जगहों पर तोड़फोड़ की।

4 की मौत, 80 से ज्यादा घायल

इस हिंसक झड़प में चार युवाओं की मौत हो गई और लगभग 80 लोग घायल हो गए, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल थे।

इस घटना के बाद से लेह में लगातार तीसरे दिन कर्फ्यू लागू है और स्कूल-कॉलेज शनिवार तक बंद रखे गए हैं।

अब तक इस मामले में 60 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

सोनम वांगचुक और उनकी संस्थाओं पर सरकार की नजर

हिंसा के बाद सरकार की नजर सोनम वांगचुक और उनसे जुड़ी संस्थाओं पर टिक गई है।

सरकार ने वांगचुक को इस हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है।

इसके बाद से उनके और उनकी संस्थाओं के खिलाफ कई मोर्चों पर कार्रवाई शुरू हो गई है:

FCRA लाइसेंस रद्द:

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वांगचुक की प्रमुख संस्था ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ (SECMOL) का विदेशी फंडिंग लाइसेंस (FCRA) रद्द कर दिया है।

सरकार का आरोप है कि संस्था ने विदेशी फंड का गलत इस्तेमाल किया।

CBI जांच:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने वांगचुक की एक अन्य संस्था ‘हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख’ (HIAL) के खिलाफ भी FCRA उल्लंघन के आरोप में जांच शुरू कर दी है।

CBI की टीम संस्था के खातों और रिकॉर्ड की जांच कर रही है।

जमीन का पट्टा रद्द:

सरकार ने HIAL को आवंटित जमीन का पट्टा भी यह कहकर रद्द कर दिया है कि लीज की राशि जमा नहीं कराई गई।

हालांकि, वांगचुक का दावा है कि उनके पास दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि सरकार ने ही फीस न लेने का निर्देश दिया था।

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सोनम वांगचुक की दलीलें क्या हैं?

गिरफ्तारी से पहले, वांगचुक ने अपने और अपनी संस्थाओं के खिलाफ चल रही कार्रवाइयों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा:

CBI जांच को लेकर उन्होंने कहा कि जहां जांच सिर्फ 2022 से 2024 के खातों तक सीमित होनी थी, वहीं एजेंसी 2020 और 2021 के रिकॉर्ड भी मांग रही है।

उन पर पहले राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया और एक चार साल पुराना मजदूरों को वेतन न देने का मामला फिर से खोला गया है।

उन्हें आयकर विभाग से भी नोटिस मिले हैं, जबकि उनका कहना है कि लद्दाख में तो कोई टैक्स है ही नहीं, फिर भी वे स्वेच्छा से टैक्स भरते हैं।

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ये हैं चार मुख्य मांगें

इस पूरे विवाद की जड़ वह मांग है जिसे लेकर लद्दाख में आंदोलन चल रहा है।

साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने के बाद से ही यहां असंतोष है।

सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख के लोगों की मुख्य रूप से चार मांगें हैं:

  1. पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख को फिर से एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां की जनता को अपनी सरकार चुनने और स्थानीय मुद्दों पर फैसला लेने का अधिकार मिल सके।
  2. छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा: अगर पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता, तो लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता प्रदान की जाए। इससे जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को जमीन, संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा मिलती है।
  3. दो लोकसभा सीटें: वर्तमान में लद्दाख की केवल एक लोकसभा सीट है। मांग है कि लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें आवंटित की जाएँ ताकि दोनों क्षेत्रों का बेहतर प्रतिनिधित्व हो सके।
  4. सरकारी नौकरियों में स्थानीय आरक्षण: सरकारी नौकरियों में लद्दाख के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाए ताकि उनके रोजगार के अवसर सुरक्षित रहें।

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कौन हैं सोनम वांगचुक

  • सोशल एक्टिविस्ट, इन्हीं पर 3 इडियट्स फिल्म बनी
  • उम्र – 59 साल
  • एजुकेशन – इंजीनियर
  • 2017- ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर
  • 2016- रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज
  • 2008- रियल हीरोज अवॉर्ड
  • 2002- अशोक फेलोशिप फॉर सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप
  • 2018- रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

6 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक

इन्हीं मांगों पर केंद्र सरकार के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होनी है।

लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस जैसे संगठन इस बैठक में शामिल होंगे।

अब सभी की निगाहें इस बैठक के नतीजे पर टिकी हैं, जिससे लद्दाख में शांति और स्थिरता बहाल होने की उम्मीद की जा रही है।

फिलहाल, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने इस पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।

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