HomeTrending Newsलद्दाख में हिंसक झड़प के बाद सोनम वांगचुक ने तोड़ा 15 दिन...

लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद सोनम वांगचुक ने तोड़ा 15 दिन का अनशन, छात्रों से कहा- बेवकूफी बंद करें

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ladakh Statehood-Sonam Wangchuk: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर बुधवार को लेह में हिंसक प्रदर्शन हुआ।

इस हिंसा के बाद प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपना 15 दिन का अनशन समाप्त कर दिया और युवाओं से हिंसा बंद करने की गुहार लगाई।

दरअसल, लेह में प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस तथा सुरक्षा बलों के बीच ज़ोरदार झड़प हुई।

प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यालय और सीआरपीएफ की एक गाड़ी में आग लगा दी, जबकि पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

ये छात्र सोनम वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे, जो पिछले 15 दिनों से लद्दाख के लिए चार मुख्य मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे।

सोनम ने तोड़ा अनशन, युवाओं से की ये अपील

हिंसा भड़कने के बाद सोनम वांगचुक ने एक वीडियो संदेश जारी कर इस घटना को “लद्दाख के लिए दुख का दिन” बताया।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से वे और उनके सहयोगी शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी बात रखते आए हैं, जिसमें अनशन और लेह से दिल्ली तक पदयात्रा जैसे कदम शामिल थे।

वांगचुक ने कहा, “आज हम अपने शांति के संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं। हिंसा, गोलीबारी और आगजनी हो रही है।”

उन्होंने लद्दाख के युवाओं से आग्रह किया, “मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें। यह लद्दाख के मुद्दे का समर्थन नहीं है। इससे स्थिति और गंभीर होगी।”

साथ ही, उन्होंने प्रशासन से भी हिंसा रोकने और दबाव कम करने का अनुरोध किया।

वांगचुक ने घोषणा की कि वे अपना अनशन तोड़ रहे हैं और आंदोलन को रोक रहे हैं ताकि लद्दाख और देश में अशांति न फैले। उनकी यही अपील युवाओं से हिंसा रोकने की है। यह घटना लद्दाख में बढ़ते राजनीतिक तनाव को

बुधवार को क्यों भड़की हिंसा 

बुधवार को वांगचुक की भूख हड़ताल के दो सप्ताह पूरे होने और मांगें न माने जाने के विरोध में लेह में बंद का आह्वान किया गया था।

छात्रों ने एक बड़ा प्रदर्शन निकाला, जो शांतिपूर्ण शुरू हुआ। हालांकि, जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच तनाव बढ़ने लगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के एक कार्यालय और सीआरपीएफ की एक खाली गाड़ी को आग के हवाले कर दिया।

झड़प में अंचुक और अंचुक डोल्मा नामक दो प्रदर्शनकारी बेहोश हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

पूरे इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

आंदोलन की जड़: अनुच्छेद 370 के विशेष दर्जे की समाप्ति

इस आंदोलन की जड़ें 5 अगस्त, 2019 के केंद्र सरकार के उस ऐतिहासिक फैसले में हैं, जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करते हुए अनुच्छेद 370 और 35A को हटा लिया गया।

इसके साथ ही पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (बिना विधानसभा के) में विभाजित कर दिया गया।

लद्दाख के लोगों का मानना है कि इस फैसले के बाद से उनकी राजनीतिक आवाज़ दब गई है, क्योंकि अब उनकी अपनी कोई निर्वाचित विधानसभा नहीं है।

उन्हें डर है कि बिना संवैधानिक सुरक्षा के उनकी जमीन, नौकरियों और सांस्कृतिक पहचान पर बाहरी लोगों का दबदबा बढ़ जाएगा, जिसकी सुरक्षा पहले अनुच्छेद 370 और 35A के तहत होती थी।

सोनम वांगचुक की चार मुख्य मांगें

सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख के लोगों की मुख्य रूप से चार मांगें हैं:

  1. पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख को फिर से एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां की जनता को अपनी सरकार चुनने और स्थानीय मुद्दों पर फैसला लेने का अधिकार मिल सके।
  2. छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा: अगर पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता, तो लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता प्रदान की जाए। इससे जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को जमीन, संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा मिलती है।
  3. दो लोकसभा सीटें: वर्तमान में लद्दाख की केवल एक लोकसभा सीट है। मांग है कि लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें आवंटित की जाएँ ताकि दोनों क्षेत्रों का बेहतर प्रतिनिधित्व हो सके।
  4. सरकारी नौकरियों में स्थानीय आरक्षण: सरकारी नौकरियों में लद्दाख के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाए ताकि उनके रोजगार के अवसर सुरक्षित रहें।

कौन हैं सोनम वांगचुक

  • सोशल एक्टिविस्ट, इन्हीं पर 3 इडियट्स फिल्म बनी
  • उम्र – 59 साल
  • एजुकेशन – इंजीनियर
  • 2017- ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर
  • 2016- रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज
  • 2008- रियल हीरोज अवॉर्ड
  • 2002- अशोक फेलोशिप फॉर सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप
  • 2018- रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

6 अक्टूबर को नई दिल्ली में सुनवाई

हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने लद्दाख के विकास के लिए कुछ कदम उठाए हैं।

अगस्त 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख में पांच नए जिले (जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग) के गठन की घोषणा की थी, जिससे जिलों की कुल संख्या सात हो गई है।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह उनकी मुख्य मांगों का समाधान नहीं है।

इस मामले में अगली महत्वपूर्ण बैठक 6 अक्टूबर को नई दिल्ली में होने वाली है, जहां लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ केंद्र सरकार के अधिकारी बातचीत करेंगे।

स्थानीय लोगों और नेताओं की नजर इस बैठक पर टिकी है, उम्मीद है कि इस गतिरोध को समाप्त करने का कोई रास्ता निकलेगा।

- Advertisement -spot_img