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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को पत्नी ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, PM और राष्ट्रपति को भी लिखा लेटर

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Sonam Wangchuk Wife: लेह हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

डॉ. अंगमो ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर करते हुए अपने पति की तत्काल रिहाई की मांग की है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी अवैध है और उन्हें अभी तक हिरासत के आदेश की एक प्रति तक नहीं दी गई है, जो कि नियमों का सीधा उल्लंघन है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला लद्दाख के लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।

इस हिंसा को भड़काने के आरोप में सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

उन्हें फिलहाल जोधपुर की जेल में रखा गया है।

सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए अलग राज्य का दर्जा और संवैधानिक छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।

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गीतांजलि अंगमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखकर अपनी चिंता जताई। उन्होंने लिखा,

“आज एक हफ्ता हो गया है। अभी भी मुझे सोनम की सेहत, उनकी हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अदालत के हिरासत आदेश की एक प्रति तक नहीं दी गई है, जिससे उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ना मुश्किल हो रहा है।

क्या है ‘हेबियस कार्पस’ याचिका?

  • गीतांजलि अंगमो ने जो याचिका दायर की है, उसे ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ या ‘हेबियस कार्पस’ (Habeas Corpus) कहा जाता है।
  • यह लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “शरीर को सामने लाओ”।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि अगर किसी को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की याचिका दायर कर सकता है।
  • इसके जरिए अदालत सरकार या पुलिस से उस व्यक्ति को कोर्ट के सामने पेश करने और यह बताने का आदेश देती है कि उसे गिरफ्तार क्यों किया गया है।
  • यह नागरिक स्वतंत्रता के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानूनी उपाय है।

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प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू में दी ढील, स्कूल खुले

लेह में हिंसा के बाद लगाए गए सख्त कर्फ्यू के नौ दिन बाद प्रशासन ने कुछ ढील दी है।

दुकानों को सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई है।

कई दिनों बाद स्कूल भी फिर से खुल गए हैं। लेह के डीएम ने मिनी बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को भी फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी है, जिससे लोगों के रोजमर्रा के कामकाज में सुविधा होगी।

हालांकि, स्थिति अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है।

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गीतांजलि अंगमो ने PM और राष्ट्रपति को भी लिखे थे पत्र

सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर गीतांजलि अंगमो ने सिर्फ अदालत का ही रुख नहीं किया है।

इससे पहले, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह और लद्दाख के उपराज्यपाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी।

उन्होंने राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा था कि एक आदिवासी महिला होने के नाते वह लद्दाख के लोगों की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ सकती हैं।

गिरफ्तारी के बाद गीतांजलि के प्रमुख बयान

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद से गीतांजलि अंगमो लगातार एक्टिव रही हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण बयान दिए हैं:

  1. 2 अक्टूबर: उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने वर्तमान स्थिति की तुलना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से की। उन्होंने लिखा कि आज प्रशासन लद्दाख के लोगों पर “अत्याचार” कर रहा है।
  2. 1 अक्टूबर: उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखकर सोनम की बिना शर्त रिहाई की मांग की।
  3. 28 सितंबर: पीटीआई न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक हमेशा से शांतिपूर्ण और गांधीवादी तरीके से आंदोलन करते रहे हैं। उन्होंने 24 सितंबर की हिंसा के लिए सीआरपीएफ को जिम्मेदार ठहराया और सोनम की पाकिस्तान यात्राओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर स्पष्ट किया।

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आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट में दायर यह हेबियस कार्पस याचिका अब एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई का रूप लेगी।

अदालत सरकार से जवाब मांगेगी कि सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे कड़े कानून के तहत क्यों गिरफ्तार किया गया और क्या उनकी हिरासत वैध है।

इस मामले की सुनवाई पूरे देश, खासकर लद्दाख और मानवाधिकार संगठनों की नजर में रहेगी।

वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर चल रहा यह संघर्ष अब कानून की अदालत में पहुंच चुका है, जिसका परिणाम लद्दाख के आंदोलन और वहां की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।

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