HomeTrending Newsहथिनी माधुरी केस में अंबानी के 'वनतारा' को मिली क्लीन चिट, सुप्रीम...

हथिनी माधुरी केस में अंबानी के ‘वनतारा’ को मिली क्लीन चिट, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अब और बहस की इजाजत नहीं

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Vantara Clean Chit: सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित, अंबानी परिवार के ‘वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ को एक बड़ी राहत देते हुए क्लीनचिट दे दी है।

शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि जामनगर स्थित इस केंद्र पर जानवरों की खरीद-बिक्री के आरोप गलत हैं और यह सभी कार्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और अन्य नियमों के दायरे में किए गए हैं।

यह फैसला कोल्हापुर के एक जैन मठ से हथिनी ‘माधुरी’ को वनतारा स्थानांतरित किए जाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मामले को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी 

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा कि इस मामले में गठित विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट में कोई कमी नहीं पाई गई है।

कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अब इस मामले को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। स्वतंत्र समिति ने जांच की है और हम उसी पर भरोसा करेंगे।”

अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि SIT की पूरी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

SIT की रिपोर्ट क्यों नहीं होगी सार्वजनिक?

वनतारा की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत में दलील दी थी कि जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।

उनका तर्क था कि अगर रिपोर्ट सार्वजनिक हुई तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया (जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स) उसके केवल कुछ चुनिंदा हिस्से ही प्रकाशित करके एक गलत और भ्रामक नैरेटिव बना सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील से सहमति जताते हुए रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।

किसने की थी जांच और क्या थे मुख्य बिंदु?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित इस 4 सदस्यीय SIT का नेतृत्व पूर्व सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने किया था।

टीम में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता भी शामिल थे।

इस टीम ने 12 सितंबर को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी।

SIT ने अपनी जांच में मुख्य रूप से पाँच बड़े पहलुओं की छानबीन की:

  1. कानूनी पालन: भारत और विदेश से जानवरों, खासकर हाथियों के अधिग्रहण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, चिड़ियाघर नियम, CITES (अंतरराष्ट्रीय प्रजाति व्यापार संधि), और आयात-निर्यात कानूनों का पालन हुआ है या नहीं।
  2. पशु कल्याण: पशुपालन के मानक, पशु-चिकित्सा देखभाल, जानवरों की मृत्यु दर और उसके कारणों, जलवायु व पर्यावास से जुड़ी शिकायतों की जांच।
  3. आरोपों की जांच: निजी संग्रह बनाने, प्रजनन कार्यक्रमों, जैव विविधता के दोहन, वन्यजीव तस्करी और पशु उत्पादों के व्यापार जैसे गंभीर आरोपों की सच्चाई।
  4. वित्तीय अनुपालन: वित्तीय नियमों का पालन, मनी लॉन्ड्रिंग आदि से जुड़े मामले।
  5. हितधारकों से बातचीत: याचिकाकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों, नियामकों और पत्रकारों सहित सभी पक्षों से जानकारी लेना।

Vantara Clean Chit, Vantara Wildlife Centre, Supreme Court, Reliance Foundation, elephant Madhuri, Vantara Jain monastery Kolhapur, SIT investigation report, Wildlife Protection Act, PETA, buying and selling of animals, Supreme Court verdict, Vantara controversy, Jain community protest.

हथिनी माधुरी केस: धार्मिक भावनाएं बनाम पशु कल्याण

यह पूरा मामला मुख्य रूप से कोल्हापुर के नांदणी स्थित जैन मठ से हथिनी ‘माधुरी’ को वनतारा ले जाने को लेकर शुरू हुआ था।

  • माधुरी को लगभग 32 साल पहले, महज 4 साल की उम्र में इस मठ में लाया गया था।
  • जैन समुदाय के लिए यह एक सदियों पुरानी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा रहा है।
  • PETA इंडिया ने अक्टूबर 2023 में महाराष्ट्र वन विभाग और सुप्रीम कोर्ट की एक समिति के सामने माधुरी के खराब स्वास्थ्य, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर चिंता जताई थी।
  • इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर्ड कमेटी (HPC) ने दिसंबर 2023 में पहली बार माधुरी को वनतारा भेजने का आदेश दिया।

Vantara Clean Chit, Vantara Wildlife Centre, Supreme Court, Reliance Foundation, elephant Madhuri, Vantara Jain monastery Kolhapur, SIT investigation report, Wildlife Protection Act, PETA, buying and selling of animals, Supreme Court verdict, Vantara controversy, Jain community protest.

मठ प्रशासन ने आदेश को कोर्ट में दी चुनौती 

  • मठ प्रशासन ने इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी।
  • आखिरकार, 16 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने और फिर 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने HPC के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि माधुरी को बेहतर देखभाल और शांति की जरूरत है।
  • 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मठ की अंतिम याचिका को खारिज कर दिया और उसी रात माधुरी को वनतारा ले जाया गया।
  • इस स्थानांतरण का जैन समुदाय ने जोरदार विरोध किया।
  • कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और माधुरी को वापस लाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।
  • विरोधियों का मानना था कि यह कदम उनकी धार्मिक भावनाओं और सैकड़ों साल पुरानी परंपरा पर चोट है।

Vantara Clean Chit, Vantara Wildlife Centre, Supreme Court, Reliance Foundation, elephant Madhuri, Vantara Jain monastery Kolhapur, SIT investigation report, Wildlife Protection Act, PETA, buying and selling of animals, Supreme Court verdict, Vantara controversy, Jain community protest.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने वनतारा वाइल्डलाइफ सेंटर पर लगे सभी गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया है और उसकी कार्यप्रणाली को कानूनसम्मत बताया है।

हालांकि, हथिनी माधुरी का मामला अब भी एक संवेदनशील विषय बना हुआ है, जहां एक तरफ पशु कल्याण के नियम हैं तो दूसरी तरफ धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हैं।

अदालत के इस फैसले के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि इस मामले पर होने वाली सार्वजनिक बहस थमेगी और माधुरी को अपने नए घर में बेहतर देखभाल मिल पाएगी।

Vantara Clean Chit, Vantara Wildlife Centre, Supreme Court, Reliance Foundation, elephant Madhuri, Vantara, Kolhapur, SIT, Wildlife Protection Act, PETA, buying and selling of animals, Vantara controversy, Jain community protest

- Advertisement -spot_img