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27% OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से किया इनकार, 24 सितंबर को फाइनल सुनवाई

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Supreme Court on 27% OBC reservation: 12 अगस्त, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में सरकारी भर्तियों में 27% OBC आरक्षण पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अंतिम सुनवाई 24 सितंबर को होगी, जिसमें सभी पक्षों के तर्क सुने जाएंगे।

यह मामला 2019 से लंबित है और अब इसका निर्णायक फैसला होगा।

क्या है पूरा मामला?

  • मध्य प्रदेश सरकार ने 2019 में OBC आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला लिया था।
  • इसके खिलाफ अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर स्टे लगा दिया गया।
  • छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह का मामला था, जहां कोर्ट ने अंतरिम राहत देकर 27% OBC आरक्षण लागू करने की अनुमति दी थी।
  • मध्य प्रदेश में अब तक 90,000 से अधिक पद होल्ड हैं, जिन पर भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है।

कांग्रेस ने उतारे अपने वकील, OBC आरक्षण पर श्रेय की लड़ाई तेज

इस मामले में पहली बार कांग्रेस ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपने वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी को कोर्ट में पेश किया।

सिंघवी ने कहा कि OBC कल्याण समिति की ओर से वे 27% आरक्षण लागू करने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने छत्तीसगढ़ केस का हवाला देते हुए अंतरिम राहत देने की गुजारिश की, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।

राजनीतिक मोर्चा: कांग्रेस vs BJP

  • कांग्रेस का दावा है कि 27% OBC आरक्षण उनकी सरकार ने लागू किया था, जबकि BJP इसे लागू करने में विफल रही।
  • BJP का कहना है कि कांग्रेस ने गलत तरीके से प्रस्ताव पारित किया था, जबकि उनकी सरकार ने OBC आरक्षण को प्राथमिकता दी है।
  • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि वे “डंके की चोट पर 27% OBC आरक्षण देंगे”।

अब क्या होगा? 24 सितंबर को फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब अंतरिम राहत नहीं, बल्कि पूर्ण फैसला होगा। इसके लिए 24 सितंबर को फाइनल सुनवाई होगी। मामले में दो मुख्य तर्क होंगे:

  1. इंदिरा साहनी केस का 50% आरक्षण लिमिट – अनारक्षित वर्ग का कहना है कि 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
  2. EWS आरक्षण का उदाहरण – OBC पक्ष का तर्क है कि 10% EWS आरक्षण देकर सरकार ने 50% की सीमा पहले ही तोड़ दी है।

किसको क्या चाहिए?

  • OBC वर्ग – 27% आरक्षण तुरंत लागू हो और होल्ड पदों पर भर्ती शुरू हो।
  • अनारक्षित वर्ग – आरक्षण 50% से अधिक न हो और मामला वापस हाईकोर्ट में जाए।

अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही मायने रखेगा

यह मामला अब सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक महत्व का हो गया है।

24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला लाखों युवाओं के भविष्य का रास्ता तय करेगा।

अगर OBC को 27% आरक्षण मिलता है, तो मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में भर्तियां होंगी।

वहीं, अगर कोर्ट 50% की सीमा को लेकर सख्त रुख अपनाता है, तो सरकार को नई रणनीति बनानी पड़ सकती है।

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