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आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों से हटाए, प्रवेश पर प्रतिबंध

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Supreme Court stray dogs: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से निपटने और जनसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम आदेश जारी किया है।

कोर्ट ने देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों (स्कूल-कॉलेज) और अस्पताल परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने तथा उनके प्रवेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।

साथ ही, पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी कराकर शेल्टर होम में रखने और उन्हें उसी स्थान पर वापस न छोड़ने का आदेश दिया गया है।

राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश अब पूरे देश में लागू

शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 को सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीम मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने फैसला सुनाया कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में दिया गया आदेश अब पूरे देश में लागू होगा।

इसका सीधा सा मतलब है कि अब सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसका पालन करना अनिवार्य होगा।

कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने और तीन सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट व हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

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कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कई महत्वपूर्ण और ठोस निर्देश शामिल हैं:

  1. परिसरों को सुरक्षित बनाना: सभी स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों को अपने परिसर की चारदीवारी करनी होगी या बाड़ लगानी होगी, ताकि आवारा कुत्तों का प्रवेश रोका जा सके। राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को दो सप्ताह के भीतर ऐसे संस्थानों की पहचान करनी है।
  2. कुत्तों को वापस न छोड़ना: इन परिसरों से जिन आवारा कुत्तों को पकड़ा जाएगा, उन्हें नसबंदी (Sterilization) कराने के बाद ही शेल्टर होम में रखा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें उसी इलाके में वापस नहीं छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें उठाया गया था।
  3. नोडल अधिकारी की नियुक्ति: रखरखाव और निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत हर तीन महीने में इन कैंपस की नियमित जांच करेंगे।
  4. सड़कों और हाईवे से हटेंगे आवारा जानवर: कोर्ट ने केवल कुत्तों तक ही सीमित न रहते हुए सभी राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से आवारा मवेशियों और जानवरों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) और परिवहन प्राधिकरण इन जानवरों को हटाकर शेल्टर होम में पहुंचाएंगे।
  5. हेल्पलाइन नंबर: सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाएंगे, ताकि लोग आवारा जानवरों की मौजूदगी की सूचना दे सकें।

मामले की पृष्ठभूमि और टाइमलाइन

यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 28 जुलाई 2025 को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया गया था, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों का जिक्र था।

कोर्ट ने बाद में इस मामले का दायरा पूरे देश तक बढ़ा दिया।

  • 11 अगस्त 2025: कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह में हटाने का आदेश दिया।
  • 22 अगस्त 2025: कोर्ट ने कहा कि पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी की जाएगी और खूंखार कुत्तों को अलग रखा जाएगा।
  • 3 नवंबर 2025: कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। इसके बाद 7 नवंबर को यह अहम आदेश सुनाया गया।

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क्यों जरूरी था यह आदेश?

आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामले और उससे फैलने वाली रेबीज जैसी घातक बीमारी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है।

पशुपालन मंत्रालय के 2024 के आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र (4.8 लाख), तमिलनाडु (4.8 लाख) और गुजरात (3.9 लाख) जैसे राज्यों में डॉग बाइटिंग के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं।

ऐसे में, स्कूल और अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर बच्चों, छात्रों और मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया गया है।

अगली सुनवाई: इस मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी, जहां राज्यों द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।

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