Supreme Court On Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
इस बार मामला उनके एक पुराने बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान पर राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है।
आइए, जानते हैं क्या है पूरा मामला…
बयान ने मचाया बवाल
16 दिसंबर 2022 से, जब राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में थे।
एक सभा में उन्होंने कहा, “लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में सवाल करेंगे, लेकिन कोई यह नहीं पूछेगा कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए और अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों की पिटाई हो रही है।”
इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया। सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने इस बयान को भारतीय सेना का अपमान बताते हुए लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने राहुल गांधी को कड़े शब्दों में फटकार लगाई।
कोर्ट ने पूछा,
“आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? आपके पास इसके लिए क्या विश्वसनीय दस्तावेज हैं?“अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बातें नहीं कहेंगे। जब सीमा पर तनाव चल रहा हो, तो क्या आप इस तरह के बयान दे सकते हैं?”
कोर्ट ने राहुल से सवाल किया कि वह एक जिम्मेदार नेता होने के नाते ऐसे गंभीर मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाने के बजाय संसद में क्यों नहीं लाए।

जस्टिस दत्ता ने कहा, “आप विपक्ष के नेता हैं, आपकी बात का वजन है। संसद में सवाल उठाइए, ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया पर नहीं।”
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए)) होने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी कह सकते हैं।
राहुल गांधी को मिली राहत
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को कुछ राहत भी दी।
कोर्ट ने लखनऊ की निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही मानहानि की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी।
साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा।
राहुल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि राहुल का बयान सामान्य था और इसे मानहानि के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के मुकदमों से नेताओं को परेशान नहीं करना चाहिए।

पहले क्या हुआ था?
राहुल गांधी के इस बयान के बाद मामला पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था।
29 मई 2025 को हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने लखनऊ कोर्ट के समन को रद्द करने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी अपनी सीमाएं हैं और सेना का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इसके बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
राहुल गांधी केस में अब तक क्या-क्या हुआ…
- 16 दिसंबर 2022: राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर टिप्पणी की थी।
- अगस्त 2023: BRO के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल के खिलाफ याचिका दायर की।
- 11 फरवरी 2025 कोर्ट ने राहुल गांधी को समन जारी किया।
- 24 मार्च 2025: राजनीतिक व्यस्तता के कारण गैरहाजिर रहे।
- 29 अप्रैल: रायबरेली में दिशा की बैठक में शामिल होने की वजह से गैरहाजिर रहे।
- 17 मई: अगली तारीख पर हाजिर होने के लिए समय मांगा।
- 4 जून: समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर होने की बात बताई।
- 23 जून: सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर होने की बात बताई। कोर्ट ने राहुल गांधी को हाजिर होने का आदेश दिया।
- 15 जुलाई: राहुल ने सरेंडर किया। 20-20 हजार रुपए के निजी मुचलके पर कोर्ट ने उन्हें जमानत दी।

विवाद का दूसरा पहलू
राहुल गांधी के इस बयान पर सत्तारूढ़ दल ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने X पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि 1962 के बाद चीन ने भारत की एक इंच जमीन भी नहीं हड़पी।
उन्होंने राहुल के बयान को गैर-जिम्मेदाराना और सेना का मनोबल तोड़ने वाला बताया।
रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को कड़ा संदेश दिया है।
वहीं, कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने राहुल का बचाव करते हुए कहा कि वह बिना डर के मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता हैं।
उन्होंने कहा कि हमें अपने नेता पर गर्व है।

यह मामला क्यों अहम है?
यह मामला सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं है।
यह सवाल उठाता है कि क्या नेताओं को अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना चाहिए या संसद जैसे मंच का?
साथ ही, यह भी चर्चा का विषय है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल गैर-जिम्मेदाराना बयानों के लिए किया जा सकता है।
राहुल गांधी का यह बयान भारत-चीन सीमा विवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है, जिसके चलते यह और भी गंभीर हो जाता है।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है।
तब तक लखनऊ की निचली अदालत में कोई कार्रवाई नहीं होगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में राहुल गांधी की ओर से क्या दलीलें दी जाती हैं और कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होता है।
फिलहाल, यह मामला राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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