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सुप्रीम कोर्ट ने नए वक्फ कानून के तहत नियुक्तियों पर लगाई रोक, केंद्र से 7 दिन में मांगा जवाब

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Supreme Court On Waqf Bill: 17 अप्रैल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 से अधिक याचिकाओं पर दूसरे दिन करीब 1 घंटे तक सुनवाई हुई।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है।

केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड को एक हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करना होगा।

जिसके बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा।

अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी।

वक्फ में किसी भी नई नियुक्ति पर रोक

केंद्र के उत्तर आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा, अर्थात् सरकार के उत्तर तक यथास्थिति बनी रहेगी।

नए कानून के तहत अगले आदेश तक कोई नई नियुक्तियां नहीं की जाएंगी।

अगले आदेश तक वक्फ में किसी भी नई नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने बताया कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब प्रस्तुत करना चाहते हैं और यह आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पहले से घोषित यूजर्स, जिनमें वक्फ भी शामिल है, की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

70 की जगह 5 याचिकाएं दायर की जाएं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ दायर 70 याचिकाओं की जगह सिर्फ 5 याचिकाएं ही दायर की जाएं। उन्हीं पर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं। ऐसे में ऐसे 5 पॉइंट तय करने होंगे।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी पक्ष आपस में मिलकर अपनी पांच आपत्तियों का निर्धारण करें।

याचिका की 3 बड़ी बातें…

  1. कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार), और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
  2. वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का फैसला करने का अधिकार देना सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाता है।
  3. यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर समान प्रतिबंध नहीं हैं।

CJI संजीव खन्ना ने कही ये बात

CJI ने कहा कि जो संपत्तियां वक्फ घोषित हैं या रजिस्टर्ड हैं, उन्हें अभी जैसी स्थिति में रहने दिया जाए।

सिब्बल ने कहा कि इसमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी जोड़ दीजिए. जिस पर CJI ने कहा,’मैं आदेश लिखवा रहा हूं, बीच में मत बोलिए’

CJI ने आगे कहा कि सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा है कि सरकार 7 दिन में जवाब दाखिल करेगी, और तब तक वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।

CJI ने पूछा सवाल

CJI ने पूछा-क्या 1995 के कानून के तहत जो संपत्तियां वक्फ में रजिस्टर्ड हैं, उन पर अभी कोई कार्रवाई नहीं होगी?

SG ने जवाब दिया-यह बात खुद कानून में शामिल है।

CJI ने कहा – ठीक है, लेकिन फिलहाल वक्फ बोर्ड या वक्फ काउंसिल में कोई नई नियुक्ति न की जाए।

लाइव प्रसारण की मांग

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाए।

कोर्ट में आज क्या हुआ?

आज की सुनवाई में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि यह एक कठोर निर्णय है। कृपया मुझे कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक उत्तर प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए।

यह मामला ऐसा नहीं है जिस पर इस प्रकार से विचार किया जा सके।

सीजेआई ने कहा कि हमने यह स्पष्ट किया है कि कानून में कुछ सकारात्मक पहलू हैं।

हमने यह भी कहा है कि पूर्ण रोक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन हम मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं चाहते, ताकि इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े। जैसे कि इस्लाम के बाद 5 साल, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन कुछ धाराएं हैं..

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वे कोई अंतिम निर्णय नहीं दे रहे हैं, बल्कि यह एक अंतरिम आदेश होगा।

कोर्ट के आदेश पर ओवैसी का रिएक्शन

कोर्ट के अंतरिम आदेश पर AIMIM के नेता ओवैसी ने बताया कि वक्फ बोर्ड के गठन पर रोक लगा दी गई है।

उन्होंने कहा कि वह JPC के सदस्य रहे हैं और बिल का विरोध किया था।

ओवैसी ने स्पष्ट किया कि वे इस अधिनियम के खिलाफ हैं, क्योंकि यह उनके अधिकारों पर हमला है और संविधान के विपरीत है।

बता दें कि यह अधिनियम 8 अप्रैल, 2025 को लागू हुआ था।

इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन में सुधार लाना बताया गया है।

इसे लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहा है और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तो बड़ी हिंसा भी हुई।

पूरी खबर यहां पढ़ें-

Waqf Amendment Bill 2025: जानें क्या है वक्फ, भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत और क्यों हो रहा है विरोध

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