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रामभद्राचार्य का मुस्लिमों पर विवादित बयान: “25-25 बच्चे पैदा करना और फिर तीन ‘तलाक’ देकर छोड़ देना”

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Rambhadracharya Muslim women: मेरठ के विक्टोरिया पार्क में चल रही रामकथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बार फिर एक ऐसा बयान दिया है जिसने तूफान ला दिया है।

उन्होंने इस्लाम धर्म और मुस्लिम महिलाओं की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज में महिलाओं के साथ ‘यूज एंड थ्रो’ (इस्तेमाल करो और फेंक दो) जैसा व्यवहार किया जाता है।

इसके साथ ही उन्होंने हिंदू धर्म में महिलाओं की देवी के सम्मानजनक स्थिति की तुलना करते हुए अपने बयान को और विवादास्पद बना दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला…

“इस्लाम में महिलाओं की दुर्गति” 

स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने संबोधन में कहा,

“इस्लाम में महिलाओं की दुर्गति होती है। ऐसा कहीं और नहीं देखा जाता। एक-एक महिला से 25-25 बच्चे पैदा करना और फिर वृद्ध होने पर तीन बार ‘तलाक-तलाक-तलाक’ कहकर छोड़ देना। ‘यूज एंड थ्रो’ जैसी बातें देखने को मिलती हैं।”

उन्होंने इसकी तुलना हिंदू धर्म से करते हुए कहा,

“हिंदू धर्म ही ऐसा है, जहां महिलाओं को देवी माना जाता है। जबकि अन्य धर्मों में उन्हें बेबी या बीवी कहा जाता है। हिंदू धर्म में महिलाएं ‘देवी मां’ का स्वरूप हैं और मां को पिता से बड़ा दर्जा दिया गया है।”

“अधिक बच्चे पैदा करना नरक की ओर ले जाता है”

अपने भाषण के दौरान, स्वामी ने केवल धर्म पर ही टिप्पणी नहीं की, बल्कि परिवार नियोजन और शिक्षा पर भी अपने विचार रखे।

उन्होंने कहा कि अधिक बच्चे पैदा करना व्यक्ति को “नरक की ओर ले जाता है”।

उनका सुझाव था कि दो या तीन से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए, चाहे वे लड़का हो या लड़की, लेकिन उन्हें अच्छे संस्कार देना जरूरी है।

शिक्षा के संदर्भ में उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को “कॉन्वेंट स्कूल या मदरसे में न भेजकर, सरस्वती विद्यालय (आरएसएस से जुड़े स्कूल) में पढ़ाएं” ताकि उन्हें सांस्कृतिक आदर्शों से जोड़ा जा सके।

पहले भी बयानों से मचा चुके हैं हंगामा

यह पहली बार नहीं है जब स्वामी रामभद्राचार्य का नाम किसी विवाद में घिरा है।

इससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहकर हिंदुओं से “मुखर” होने की अपील की थी।

उस बयान की भी विपक्षी नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी।

समाजवादी पार्टी (SP) के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने उस बयान को पश्चिमी UP के सभी निवासियों का अपमान बताया था।

क्यों विवादास्पद हैं ये बयान?

  1. रूढ़िवादिता: स्वामी का बयान एक पूरे धर्म और समुदाय की महिलाओं के बारे में एक गंभीर टिप्पणी है।
  2. तथ्यहीन दावा: ’25-25 बच्चे पैदा करना’ एक अतिशयोक्तिपूर्ण और तथ्यहीन दावा है जिनका कोई आधार नहीं  है।
  3. तलाक की गलत व्याख्या: भारत में ‘तीन तलाक’ (तलाक़-ए-बिद्दत) को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अवैध घोषित कर दिया था और संसद ने 2019 में उस पर कानून बनाया था। इसलिए, ऐसे बयान देना पूरी तरह गलत है।
  4. साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काना: एक धार्मिक गुरु द्वारा दूसरे धर्म की प्रथाओं की इस तरह से आलोचना करना साम्प्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है और समाज में तनाव पैदा कर सकता है।

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बहस का सिलसिला जारी

स्वामी रामभद्राचार्य के ये बयान एक बार फिर उस सार्वजनिक बहस को हवा दे रहे हैं जहां धार्मिक नेता अपने भाषणों की सीमा और सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में सवाल खड़े करते हैं।

जहां एक तरफ उनके समर्थक उन्हें हिंदू धर्म का मुखर स्वर मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ, इन टिप्पणियों को धार्मिक भावनाएं आहत करने और समाज में फूट डालने वाला बताया जा रहा है।

ऐसे में, यह जरूरी हो जाता है कि सार्वजनिक बहस तथ्यों, संवेदनशीलता और परस्पर सम्मान के आधार पर हो।

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