HomeTrending Newsबिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव ने किया 'हर घर सरकारी नौकरी' का...

बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव ने किया ‘हर घर सरकारी नौकरी’ का बड़ा ऐलान, 20 महीने में देने का वादा

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Tejashwi Yadav Announcement: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के युवा नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक ऐतिहासिक घोषणा की है।

उन्होंने वादा किया है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो राज्य के हर उस परिवार को एक सरकारी नौकरी दी जाएगी, जिसके पास फिलहाल कोई सरकारी रोजगार नहीं है।

इस लक्ष्य को उन्होंने सरकार बनने के 20 महीने के अंदर पूरा करने का दावा किया है।

क्यों खास है यह घोषणा?

तेजस्वी यादव ने इस वादे को महज एक चुनावी वादा नहीं, बल्कि अपनी सरकार का एक “प्रण” और “संकल्प” बताया है।

तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनी इस योजना के बारे में विस्तार से बताया।

तेजस्वी यादव के ‘हर घर नौकरी’ वादे की मुख्य बातें

  1. लक्ष्य: बिहार का कोई भी ऐसा परिवार नहीं बचेगा, जिसके पास कम से कम एक सदस्य की सरकारी नौकरी न हो।
  2. समयसीमा: सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर इसके लिए एक विशेष अधिनियम बनाया जाएगा और 20 महीनों के अंदर लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।
  3. कार्ययोजना: तेजस्वी ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास इस मुद्दे पर वैज्ञानिक अध्ययन और सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा है, जिसमें ऐसे सभी परिवारों की सूची शामिल है जिन्हें नौकरी की जरूरत है।
  4. पिछला रिकॉर्ड: उन्होंने 2020 में महागठबंधन की 17 महीने की सरकार का हवाला देते हुए दावा किया कि उनके कार्यकाल में 5 लाख नौकरियां दी गई थीं। उनका कहना है कि पूरे 5 साल का मौका मिलने पर वे इससे कहीं बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कर सकते हैं।

‘जुमलेबाजी नहीं, प्रण है’: तेजस्वी यादव ने क्या कहा?

अपनी घोषणा को लेकर तेजस्वी यादव ने कई मजबूत बयान दिए:

वादे बनाम जुमले:

उन्होंने जोर देकर कहा, “हम जुमलेबाजी नहीं, वादों को पूरा करने में विश्वास रखते हैं। यह कोई जुमला नहीं, बल्कि मेरा प्रण है।”

आर्थिक न्याय का एजेंडा:

उन्होंने कहा, “अब सामाजिक न्याय के बाद आर्थिक न्याय की बारी है। जिस भी परिवार के पास नौकरी नहीं है, उसे नौकरी दी जाएगी।”

मौजूदा सरकार पर हमला:

तेजस्वी ने वर्तमान NDA सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पिछली 20 साल की सरकार ने हर घर को खौफ दिया, हम अब हर घर को सरकारी नौकरी देंगे। उनकी सरकार बेरोजगारी भत्ता दे रही है, हम सीधे नौकरी देंगे।”

मेरा कर्म बिहार है, मेरा धर्म बिहारी:

उन्होंने “मेरा कर्म बिहार है, मेरा धर्म बिहारी” और “हर घर सरकारी नौकरी” का नारा देकर युवाओं से अपील की।

चुनावी रणनीति 

यह घोषणा बिहार की राजनीति में एक बड़ा दांव मानी जा रही है।

  • युवा मतदाताओं पर फोकस: बिहार में युवा मतदाताओं की संख्या बहुत बड़ी है। बेरोजगारी यहाँ का सबसे प्रमुख मुद्दा है। सीधे तौर पर हर परिवार को नौकरी का वादा करके RJD सीधे इस जनसंख्यांकिकी को लक्षित कर रही है।
  • महागठबंधन का मुख्य वायदा: यह घोषणा महागठबंधन के चुनावी घोषणापत्र की रीढ़ बन गई है। इससे उन्हें एक मजबूत और स्पष्ट आर्थिक मुद्दा मिल गया है।
  • NDA के लिए चुनौती: तेजस्वी का यह वादा सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक सीधी चुनौती है। अब NDA को यह साबित करना होगा कि उनके पास बेरोजगारी दूर करने का कोई बेहतर और विश्वसनीय प्लान है।

क्या है चुनौतियां?

हालाँकि यह वादा आकर्षक लगता है, लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं:

  • व्यवहारिकता: क्या बिहार सरकार के पास इतनी बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करने का वित्तीय और प्रशासनिक संसाधन है?
  • सरकारी नौकरियों की सीमा: सरकारी नौकरियों की संख्या सीमित होती है। क्या निजी क्षेत्र की नौकरियों को इसमें शामिल किया जाएगा?
  • परिभाषा: ‘सरकारी नौकरी’ की स्पष्ट परिभाषा क्या होगी? क्या इसमें अनुबंध आधारित नौकरियां या ग्रुप-डी के पद भी शामिल होंगे?
  • विरोधी दलों की प्रतिक्रिया: विपक्षी दल इसे एक “चुनावी जुमला” बता रहे हैं और इसकी व्यवहारिकता पर सवाल उठा रहे हैं।

एक साहसिक वादा, लेकिन…

बिहार चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव का “हर घर सरकारी नौकरी” का वादा निस्संदेह एक महत्वाकांक्षी राजनीतिक दांव है।

लेकिन जनता को यह तय करना है कि वह इस वादे को कितना विश्वसनीय और व्यवहारिक मानती है।

चुनाव परिणाम इस बात का संकेत होंगे कि बिहार का मतदाता इस “आर्थिक न्याय” के एजेंडे को कितना स्वीकार करता है।

फिलहाल, इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।

 

- Advertisement -spot_img