Temples Built In Police Station: जबलपुर। मध्य प्रदेश के थानों में बने या बन रहे मंदिरों या धार्मिक स्थलों को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
सोमवार को जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार को प्रदेश भर के थाना परिसरों के अंदर बने मंदिर व अन्य धार्मिक स्थलों की पूरी लिस्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
पूरा ब्यौरा कोर्ट में पेश करने के दिए निर्देश –
कोर्ट ने साफ कहा कि मंदिरों की निर्माण की तिथि और किसके आदेश पर ऐसा हुआ, इसका पूरा ब्यौरा कोर्ट में पेश किया जाए।
हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन की आखिरी मोहलत दी है।
इससे पहले 19 नवंबर और इसके पहले 4 नवंबर को भी हाईकोर्ट ने सरकार से इस मामले को लेकर जवाब मांगा था।
Temples Built In Police Station: अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं को सुनने से किया इनकार –
कोर्ट ने फिलहाल हस्तक्षेपकर्ताओं विश्व हिंदू महासंघ, विधि प्रकोष्ठ सहित अन्य को सुनने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ व न्यायमूर्ति विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी निर्धारित की है।
Temples Built In Police Station: याचिकाकर्ता ने दिया SC के आदेश का हवाला –
सोमवार को सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा व ग्रीष्म जैन ने दलीलें दी।
उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जबलपुर सहित राज्य के विभिन्न थाना परिसरों में मंदिर निर्माण कराया जा रहा है।
जनहित याचिका में मांग की गई है कि संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ सिविल सर्विस रूल्स के तहत कार्रवाई की जाए।
एमपी हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में प्रदेश भर के थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी है।
याचिका में प्रदेश के 1259 में से करीब 800 थाना परिसरों में मंदिर और धार्मिक स्थल बनाए जाने को लेकर ऐतराज जताया गया है।
याचिका में थाना परिसरों में धार्मिक स्थलों के निर्माण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया गया है।
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