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इंदौर में भीख देने पर होगी FIR दर्ज, आदेश के खिलाफ भिखारियों ने खोला मोर्चा

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FIR For Giving Alms: देश में नए साल से नया रूल लागू होने जा रहा है।

यह पहली बार होगा जब भारत के किसी शहर में भिक्षा देने वाले को जेल हो सकती है।

यह जगह है मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी, जहां ना सिर्फ भीख मांगना बल्कि भीख देना भी जुर्म है।

स्वच्छता में नंबर वन शहर से भिक्षावृत्ति खत्म करने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है।

एक जनवरी से इंदौर में भिखारी नहीं बल्कि भीख देने वालों के खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी।

नए साल से भीख देने वालों की खैर नहीं

इंदौर में तमाम प्रयासों के बावजूद भिक्षावृत्ति अभी भी जारी है।

शहर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन ने बड़ा निर्णय ले लिया है।

अभी तक तो भिखारियों को भीख मांगने पर पकड़ा जाता था।

लेकिन, नए साल भीख देने वाला अपराधी कहलाएगा और उसे सजा के दायरे में लाया जाएगा।

1 जनवरी से इंदौर में भिखारियों को भीख देने वाले लोगों के खिलाफ FIR दर्ज होगी।

FIR For Giving Alms
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इंदौर कलेक्टर द्वारा इसे रोकने के लिए धारा 144 लागू की जा सकती है।

भिक्षावृत्ति के खिलाफ 7 दलों का गठन किया गया है।

साथ ही भीख लेने और देने के 30 हॉट स्पॉट चिह्नित किए गए हैं।

इंदौर कलेक्टर का कहना है यह कदम इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के प्रशासन के मिशन का हिस्सा है।

FIR For Giving Alms
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वहीं शहर के प्रबुद्धजनों का मानना है कि इंदौर पूरे प्रदेश के लिए मार्गदर्शक रहा है।

स्वच्छता अभियान से लेकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और मेट्रो परियोजना को लागू करने वाले प्रदेश में अब भिक्षावृत्ति की कुरीति मिटाने की पहल इंदौर ने शुरू की है।

यहां बड़ी तादाद में भिखारी प्रदेश की छवि खराब कर रहें हैं, जिन पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।

अब भिक्षावृत्ति जरूरत नहीं, बल्कि धंधे का माध्यम बन गई है।

आदेश के खिलाफ भिखारियों ने खोला मोर्चा

इंदौर में सरकारी आदेश के अनुसार नए साल भीख मांगकर अपना गुजारा करने वाले लोगों के लिए भिक्षावृत्ति करना मुश्किल हो जाएगा।

एक जनवारी से भिखारी ही नहीं, बल्कि भीख देने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश कलेक्टर ने जारी किया है।

वहीं इस आदेश के खिलाफ शहर के भिखारियों ने मोर्चा खोल दिया है।

सहयोग कुष्ठ निवारण संघ के बैनर तले भिक्षावृत्ति को लेकर बड़ी संख्या में भिक्षुक रैली की शक्ल में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे।

वे अपने हाथों पर पोस्टर लिए हुए थे जिसमें लिखा था, भिक्षावृत्ति पेशा नहीं मजबूरी है।

FIR For Giving Alms
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कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सहयोग कुष्ठ निवारण संघ ने आर्थिक मदद की मांग की है।

वहीं कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि कुछ लोग खुद को दया का पात्र बनकर भिक्षावृत्ति करते हैं।

भिक्षावृत्ति करने वालों का पूरा गिरोह सक्रिय है, जो कि छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का इस्तेमाल भिक्षावृत्ति के लिए कर रहा है।

FIR For Giving Alms
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कई लोग अपनी जरूरत पूरा करने के लिए नहीं बल्कि नशा करने के लिए भी भिक्षावृत्ति कर रहे हैं।

ऐसे लोगों को रोकना समाज की भी जिम्मेदारी है, इसी के चलते नया प्रयोग किया जा रहा है।

यदि भीख देने वाले अपना हाथ रोक देंगे तो भिक्षुकों की संख्या खत्म करने में उनका भी योगदान साबित होगा।

इस शहर में नहीं हैं एक भी भिखारी

फिलहाल मध्य प्रदेश का इंदौर शहर भिखारी मुक्त होने की राह पर है।

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी शहर है, जहां एक भी भिखारी नहीं हैं और यह जगह एमपी में ही है।

सांची के अधिकारियों ने बताया कि उनके क्षेत्र में एक भी भिखारी नहीं है, यानी सांची भिखारी मुक्त शहर है।

FIR For Giving Alms
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बता दें कि केंद्र सरकार ने एक मुहिम शुरू की हुई है।

जिसका लक्ष्य देश को भिक्षावृत्ति मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए समान सर्वेक्षण और पुनर्वास दिशानिर्देशों के अनुसार निगरानी सुनिश्चित करना है।

इसके लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय पोर्टल और एक मोबाइल ऐप लॉन्च भी किया गया है।

इस ऐप पर भिक्षावृत्ति में लिप्त पाए जाने वाले लोगों की पहचान कर उसे अपडेट किया जाता है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 4 लाख से ज्यादा लोग भीख मांगकर अपना घर चला रहे हैं।

FIR For Giving Alms
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पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे ज्यादा लोग भीख मांगने का काम करते हैं।

पश्चिम बंगाल में 81 हजार से ज्यादा, तो वहीं उत्तर प्रदेश में 65 हजार से ज्यादा भिखारी है।

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