Rath Yatra World Record: सिद्ध चक्र महामंडल विधान के समापन पर रथयात्रा निकाली गई।
समें देशभर से आए श्रद्धालु शामिल हुए।
इस दौरान पहली बार सोने-चांदी और बेशकीमती लकड़ी से बने 108 रथों का काफिला एक साथ निकला।
इस ऐतिहासिक रथयात्रा ने गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड बन लिया है।
जैन समाज की ऐतिहासिक रथयात्रा ने बनाया रिकॉर्ड
इंदौर में जैन समाज की ऐतिहासिक रथयात्रा निकली गई।
जिसमें देश के 28 राज्यों के हजारों समाजजन शामिल हुए।
ऐसा आयोजन दुनिया में पहले कभी नहीं हुआ।
सिद्ध चक्र महामंडल विधान के समापन पर निकाली जा रही यात्रा में बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत सहित कई अन्य प्रदेशों के 108 रथ शामिल हुए।
इनमें से दो रथ सोने के, दो रथ चांदी के और 35 से ज्यादा सोने-चांदी और बेशकीमती लकड़ियों से बने रथ शामिल रहे।
इस रथयात्रा के साथ गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम भी चली और सबसे बड़े रथों के काफिले का रिकॉर्ड दर्ज हो गया।
गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम ने आयोजकों को सर्टिफिकेट दिया।
पारंपरिक परिवेश के साथ देश भक्ति की भी झलक
रथ यात्रा सुबह करीब साढ़े 9 बजे विजय नगर बिजनेस पार्क आईडीए ग्राउंड से प्रारंभ हुई थी।
यात्रा का जगह जगह मंच लगाकर स्वागत किया गया।
लोग पारंपरिक वेशभूषा के साथ देशभक्ति के रंग में नजर आए।
आदिवासी वेशभूषा में शामिल लोगों ने आदिवासी नृत्य भी किया।
रथयात्रा के सबसे पीछे मुनि प्रमाण सागर जी महाराज पदयात्रा करते हुए अपने शिष्यों और सेवादारों के साथ निकले।
एलआईजी चौराहा, पाटनीपुरा चौराहा, भमोरी और रसोमा चौराहा से होते हुए यात्रा का समापन दोपहर 2 बजे हुआ।
रथावर्तन महोत्सव समिति के संयोजक जैनेश झांझरी और पवन सिंघई हैं।
धर्म प्रभावना समिति के प्रचार प्रमुख राहुल जैन ने बताया कि 108 सिद्ध चक्र महामंडल विधान संभवत: पहली बार मालवा की इस धरती पर मुनिश्री 108 प्रमाण सागर के सानिध्य में हो रहा है।
यात्रा में आए कुछ रथ तो ऐसे भी हैं, जो विश्व में कहीं भी नहीं, सिर्फ भारत में हैं।
महोत्सव अध्यक्ष नवीन गोधा ने बताया कि सभी रथों की अपनी महिमा है।
सभी 108 रथों की है अपनी महिमा
सभी 108 रथों की अपनी महिमा है।
महावीर जयंती पर रथ यात्रा निकलती है, लेकिन इस दफा पहली बार गुरु प्रमाण सागर जी के सानिध्य में सभी रथ इंदौर बुलवाए गए हैं।
चांदी से बना एक विशाल रथ अर्थुना (बांसवाड़ा, राजस्थान) से यहां आया है।
यह रथ निर्यापत वीरसागरजी की प्रेरणा से समाज द्वारा बनवाया गया है।
यह कई किलो चांदी से बना होकर सुंदर है।
इसमें नक्काशी के रूप में कई स्थानों पर एरावत हाथी, सिंह, लक्ष्मीजी को ढाला गया है।
ऐसे ही आगे दो बड़े श्वेत एरावत हैं, एक और रजत रथ अशोकनगर से आया है।
यह 2019 में बना है, कई किलो चांदी से इसकी नक्काशी की गई है।
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