Advisory For Indian media: भारत-पाकिस्तान तनाव के मद्देनजर सरकार ने मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए सुरक्षा संबंधी अहम एडवाइजरी जारी की है।
इसी बीच केंद्र सरकार ने द वायर और मकतूब मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है।
जिससे प्रेस की आजादी पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि सुरक्षा बलों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए ये बेहद जरूरी है।
इससे पहले भी रक्षा मंत्रालय ने मीडिया को सैन्य गतिविधियों की लाइव रिपोर्टिंग न करने की सलाह दी थी जिसे चैनलों ने नहीं माना और लगातार मनमानी करते रहे।
सरकार की बड़ी कार्रवाई
केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सख्त कार्रवाई की है।
इसी कड़ी में सरकार ने ‘द वायर’ की वेबसाइट को पूरे भारत में ब्लॉक कर दिया है और ‘मकतूब मीडिया’ के एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट को प्रतिबंधित कर दिया है।
इसके साथ ही, रक्षा मंत्रालय ने मीडिया संस्थानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सैन्य अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव रिपोर्टिंग से बचने को कहा गया है।

क्यों ब्लॉक हुई ‘द वायर’ और ‘मकतूब मीडिया’?
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के तहत ‘द वायर’ की वेबसाइट thewire.in को IT अधिनियम, 2000 के तहत ब्लॉक किया गया है।
द वायर ने इसे “प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला” बताते हुए कहा कि यह सरकार की मनमानी कार्रवाई है।
वहीं, ‘मकतूब मीडिया’ के एक्स अकाउंट को भी भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मकतूब मीडिया ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह “सच्चाई को दबाने की कोशिश” है।

रक्षा मंत्रालय की मीडिया को एडवाइजरी
रक्षा मंत्रालय ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए सभी मीडिया चैनलों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तियों को सलाह दी है कि वे सैन्य अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव कवरेज या रियल-टाइम रिपोर्टिंग से बचें।
मंत्रालय ने चेतावनी दी कि ऐसी संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने से ऑपरेशन की प्रभावशीलता खतरे में पड़ सकती है और जानमाल का नुकसान हो सकता है।
मंत्रालय ने कारगिल युद्ध, 26/11 मुंबई हमले और कंधार विमान अपहरण जैसी घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि समय से पहले की गई रिपोर्टिंग ने अतीत में सुरक्षा प्रयासों को नुकसान पहुंचाया है।

केबल टीवी नियमों का पालन करने को कहा गया
रक्षा मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 की धारा 6(1)(p) का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान केवल नामित अधिकारियों द्वारा ही ब्रीफिंग दी जाएगी। मीडिया से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी रिपोर्टिंग में सतर्कता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी बरतें।
टीवी चैनलों ने उड़ाई गाइडलाइन्स की धज्जियां?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में कई मुख्यधारा के टीवी चैनलों ने सरकार की गाइडलाइन्स को नजरअंदाज करते हुए सेना की गतिविधियों की लाइव रिपोर्टिंग की है।
कुछ चैनलों ने सैन्य ऑपरेशन्स के स्थान तक का खुलासा कर दिया, जो युद्ध जैसी स्थिति में गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
सरकार ने 8,000 एक्स अकाउंट्स भी बंद किए
इससे पहले, केंद्र सरकार ने एक्स (ट्विटर) को भारतीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले 8,000 अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया था।
एक्स ने बताया कि उसे भारतीय कानून का पालन करना पड़ा, लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ भारत में लागू होगा।
कंपनी ने कहा कि वह इन आदेशों से सहमत नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उसने पालन करना शुरू कर दिया है।
कंपनी ने यह भी कहा कि अगर वह इन आदेशों का पालन नहीं करती, तो उसे भारी जुर्माने और भारत में मौजूद उसके कर्मचारियों को जेल की सज़ा जैसी सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध या तनाव के समय में संवेदनशील जानकारी का खुलासा करना देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।
हालांकि, प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के आरोपों को भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सरकार को मीडिया के साथ सहयोगात्मक तरीके से काम करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रेस की आजादी के बीच संतुलन बनाया जा सके।
आगे की कार्रवाई क्या हो सकती है?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साउथ ब्लॉक में सेना प्रमुखों और रक्षा अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की है।
इस बैठक में पाकिस्तान के साथ तनाव की स्थिति में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई।
संभावना है कि सरकार मीडिया कवरेज पर और सख्त नियम लागू कर सकती है।