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कौन है 24 बच्चों की मौत का जिम्मेदार जी. रंगनाथन? इसी की कंपनी ने बनाया था जहरीला कफ सिरप

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Who Is G Ranganathan: मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप की वजह से हुई 24 मासूम बच्चों की मौतों का मुख्य आरोपी और कंपनी ‘श्रीसन फार्मा’ का निदेशक गोविंदन रंगनाथन (जी. रंगनाथन) आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ गया है।

मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने बुधवार रात चेन्नई में एक छापेमारी के दौरान उसे गिरफ्तार किया।

रंगनाथन और उसकी पत्नी इस घटना के बाद से ही फरार चल रहे थे।

उनकी तलाश में पुलिस ने 20 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

गिरफ्तारी के बाद अपार्टमेंट सील

गिरफ्तारी के बाद, चेन्नई-बेंगलुरु हाईवे पर स्थित उनका 2000 वर्ग फुट का आलीशान अपार्टमेंट सील कर दिया गया, जबकि कोडम्बक्कम इलाके में उनका रजिस्टर्ड ऑफिस बंद पाया गया।

छिंदवाड़ा के एसपी अजय पांडे ने बताया कि एसआईटी रंगनाथन को चेन्नई की अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमांड मांगेगी, ताकि उसे मुख्य मामले की सुनवाई के लिए छिंदवाड़ा लाया जा सके।

इस गिरफ्तारी से उम्मीद जताई जा रही है कि इस सनसनीखेज मामले में अब और महत्वपूर्ण खुलासे होंगे।

486 गुना ज्यादा था जहर, हाथी की भी फेल हो सकती थी किडनी!

दूसरी तरफ जांच में जो खुलासे हुए हैं, उसने सभी को हैरान कर दिया हैं।

केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे घातक रसायनों की मात्रा तय सुरक्षित सीमा से 486 गुना अधिक पाई गई।

एक अनाम विशेषज्ञ ने बताया कि रसायनों की इतनी अधिक मात्रा न सिर्फ मासूम बच्चों, बल्कि एक हाथी जितने बड़े जानवर की भी किडनी और दिमाग को पूरी तरह नष्ट करने के लिए काफी है।

कंपनी के पास न बिल था न कोई रिकॉर्ड

जांच से यह भी पता चला कि कंपनी ने दवा बनाने के लिए घटिया और ‘नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड’ वाला प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था।

यह केमिकल दवा निर्माण के लिए उपयुक्त ही नहीं था।

हैरानी की बात यह है कि कंपनी ने इस केमिकल की शुद्धता की जांच तक नहीं करवाई और न ही यह सुनिश्चित किया कि इसमें जहरीले तत्व तो नहीं मिले हैं।

कंपनी ने चेन्नई की ही एक कंपनी ‘सनराइज बायोटेक’ से 25 मार्च, 2025 को यह घटिया केमिकल खरीदा था।

इसके अलावा, कंपनी के पास इस घातक केमिकल की खरीद का न तो कोई ठोस बिल था और न ही उसे अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया था।

पूछताछ में कंपनी प्रबंधन ने माना कि भुगतान कभी नकद और कभी जी-पे (Google Pay) के माध्यम से किया गया था।

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चार दशक का सफर: रंगनाथन के फार्मा साम्राज्य से विवादों तक का सफर

  • 73 वर्षीय गोविंदन रंगनाथन कोई नौसिखिया खिलाड़ी नहीं हैं।
  • वह तमिलनाडु के फार्मास्युटिकल क्षेत्र में लगभग चार दशकों से सक्रिय एक जाना-पहचाना चेहरा हैं।
  • मद्रास मेडिकल कॉलेज से फार्मेसी में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने 1980 के दशक में ‘प्रोनिट’ नामक एक न्यूट्रिशनल सिरप से अपने व्यवसाय की शुरुआत की थी।
  • यह सिरप गर्भवती महिलाओं के लिए था और चेन्नई के बाजार में जल्द ही इसने अपनी एक अलग पहचान बना ली।
  • 1990 के दशक में उन्होंने ‘श्रीसन फार्मास्युटिकल्स’ की स्थापना की और धीरे-धीरे लिक्विड नेजल प्रोडक्ट्स और अन्य दवाओं के क्षेत्र में अपने व्यवसाय का विस्तार किया।
  • मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह ‘सीगो लैब्स’ और ‘इवन हेल्थकेयर’ जैसी कंपनियों से भी जुड़े रहे।

दशकों के इस लंबे अनुभव के बावजूद, ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप मामले ने न केवल उनकी कंपनी की साख को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पूरे भारतीय फार्मा उद्योग पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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मौत का आंकड़ा बढ़कर 24 हुआ

इस त्रासदी का दर्द दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार, 8 अक्टूबर की रात को छिंदवाड़ा की उमरेठ तहसील के पचधार गांव के तीन साल के मासूम मयंक सूर्यवंशी ने भी इलाज के दौरान अपनी जान गंवा दी।

वह 25 सितंबर से नागपुर के एक मेडिकल कॉलेज में भर्ती था।

उसकी मौत के साथ ही इस जहरीले सिरप से मरने वाले बच्चों की कुल संख्या बढ़कर 24 हो गई है।

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589 बोतलें छिंदवाड़ा भेजी जानी थीं

जांच टीम को कंपनी की फैक्ट्री में ‘कोल्ड्रिफ’ नामक सिरप की 589 बोतलें मिलीं, जो मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा भेजी जानी थीं।

हैरानी की बात यह है कि इसी बैच नंबर (SR-13) की सिरप पीने से कहीं और कई बच्चों की किडनी फेल हो गई और उनके दिमाग में सूजन आ गई, जिससे उनकी मौत हो गई।

जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि कंपनी के पास खरीदे गए उस खतरनाक केमिकल का कोई स्टॉक नहीं बचा था, जिससे शक पैदा हुआ कि कंपनी ने सबूत छिपाने के लिए जानबूझकर उसे तेजी से खत्म कर दिया।

इसके अलावा, जांच दल को फैक्ट्री से कोल्ड्रिफ के अलावा भी चार अन्य सिरप मिले, जिनकी हजारों बोतलें तैयार थीं।

हालांकि, उनकी गुणवत्ता सही पाई गई।

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नागपुर जाएंगे मुख्यमंत्री  

मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 9 अक्टूबर को नागपुर का दौरा करेंगे।

यहां वो अस्पतालों में भर्ती चार बच्चों गार्विक पवार, अंबिका विश्वकर्मा, कुणाल यदुवंशी और हर्ष यदुवंशी का हालचाल जानेंगे।

इससे पहले सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार हर कदम पर पीड़ित परिवारों के साथ है।

सभी बच्चों का इलाज सरकार ही कराएगी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

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