Trump Tariff On Pharma: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 8 अप्रैल को एक और टैरिफ बम फोड़ा है। ट्रंप ने अब फार्मा कंपनियों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
मंगलवार रात को वाशिंगटन में नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के डिनर में अपने भाषण के दौरान कहा,
“हम बहुत जल्द फार्मास्यूटिकल्स पर एक बड़ा टैरिफ लगाने की घोषणा करने जा रहे हैं।”
इस खबर से कई बड़े देशों के साथ-साथ भारत की फार्मा कंपनीज में भी हलचल मच गई है।
क्योंकि दवाओं पर टैरिफ लगने से भारतीय फर्मा कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा।
बता दें कि पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ बुधवार, 9 अप्रैल 2025 से लागू हो गए हैं।
ट्रंप ने कहा- घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है
फर्मा पर टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि हम जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं।
इसका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।
ट्रम्प ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं।
वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं, लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है।
एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी।
ट्रंप का कहना है कि यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “मुक्ति दिवस” देगी, लेकिन इसके वैश्विक प्रभाव गहरे हो सकते हैं।

ट्रंप की इस नीति से भारत की दवा कंपनियों पर भारी दबाव पड़ सकता है, जो पहले से ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और प्रतिस्पर्धा से जूझ रही हैं।
अमेरिका को 94 हजार करोड़ की दवाएं एक्सपोर्ट करता है भारत
भारत, जो अपने फार्मा निर्यात का 31.5 प्रतिशत अमेरिका को भेजता है, के लिए यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा दवाएं खरीदने वाला देश है।
अमेरिका के दवाओं पर टैरिफ लगाने के फैसले का असर भारत पर भी पड़ेगा।
भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं।
यूएस ट्रेड डेटा के मुताबिक भारत, अमेरिका को सबसे ज्यादा दवा बेचने वाले टॉप-5 देशों में शामिल है।
वर्ष 2023 में भारत अमेरिका को हर साल 94 हजार करोड़ रुपये की जेनेरिक दवाइयां और एंटीबायोटिक्स एक्सपोर्ट करता है।

भारत का फार्मा निर्यात और अमेरिका पर निर्भरता
भारत अमेरिका को हर साल करीब 12.7 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है, जिसमें जेनेरिक दवाओं का बड़ा हिस्सा शामिल है।
हेल्थकेयर डेटा कंपनी आईक्यूवीआईए के अनुसार, 2022 में अमेरिका में दी गई हर 10 प्रिस्क्रिप्शनों में से 4 भारतीय कंपनियों की थीं।
ये जेनेरिक दवाएं अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम की लागत को कम रखने में अहम भूमिका निभाती हैं, जो दुनिया के सबसे महंगे स्वास्थ्य सिस्टमों में से एक है।
पिछले हफ्ते जब ट्रंप ने 180 से अधिक देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी, तब फार्मास्यूटिकल्स को कॉपर, सेमीकंडक्टर, लकड़ी, बुलियन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के साथ छूट दी गई थी।
लेकिन अब ट्रंप का ताजा बयान इस छूट को खत्म करने की ओर इशारा करता है, जिससे भारत की फार्मा इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है।

भारत पर क्या होगा असर
भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है।
अगर फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ लगता है, तो भारतीय दवाओं की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय कंपनियां, जो पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं, इस अतिरिक्त लागत को पूरी तरह से ग्राहकों पर नहीं डाल पाएंगी।
इससे उनकी आय और निर्यात में कमी आ सकती है।
साथ ही, अगर अमेरिका में उत्पादन शुरू करने की बात आई, तो वहां की ऊंची श्रम लागत और नए प्लांट स्थापित करने में लगने वाला समय भारतीय कंपनियों के लिए चुनौती बन सकता है।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि भारत के पास अभी भी मौका है।
अगर भारत अमेरिका से आयातित दवाओं पर 10.91 प्रतिशत टैरिफ को हटा दे, तो शायद ट्रंप प्रशासन फार्मा पर टैरिफ लगाने से पीछे हटे।
लेकिन यह आसान नहीं होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता जटिल है और इसमें समय लग सकता है।

2 अप्रैल को हर देश पर लगाया था बेसलाइन टैरिफ
ट्रम्प ने हाल ही में 2 अप्रैल को “लिबरेशन डे” टैरिफ की घोषणा की थी।
इसके तहत अमेरिका ने 5 अप्रैल से हर देश पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगा दिया था।
9 अप्रैल से अलग-अलग देशों पर जैसे को तैसा यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगा।
इन दोनों टैरिफ में दवा इंडस्ट्री को छूट दी गई थी।
अमेरिका ने भारत से आयात होने वाली सामानों पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था जो आज से लागू हो गया है।

चीन पर लगाया 104 फीसदी टैरिफ
दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप ने चीन पर 104 फीसदी टैरिफ का एलान किया था।
पहले चीन पर अमेरिका ने कुल 54 फीसदी टैरिफ लगाया था।
इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर 34 फीसदी टैरिफ की घोषणा की।