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उज्जैन की दरगाह में हनुमान चालीसा का पाठ, कमेटी बोली- सिर्फ चादर चढ़ाने की अनुमति दी थी

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ujjain Dargah Hanuman Chalisa: मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे स्थित मौलाना मौज दरगाह इस वक्त सुर्खियों में है।

यहां एक संत और उनके शिष्यों ने दरगाह परिसर के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ किया, जिसे लेकर दरगाह प्रबंधन कमेटी ने आपत्ति जताई है।

कमेटी का आरोप है कि उनसे सिर्फ चादर चढ़ाने और कव्वाली की अनुमति ली गई थी, हनुमान चालीसा पाठ की नहीं।

“धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची”, कमेटी ने कहा

दरगाह कमेटी के उपाध्यक्ष इरफान अहमद के अनुसार, हनुमान अष्टमी के दिन ‘बाबा बम-बम भोले’ नाम के एक संत ने चादर चढ़ाने की मौखिक अनुमति मांगी थी।

सभी धर्मों के लोगों के आदर को ध्यान में रखते हुए कमेटी ने यह अनुमति दे दी।

हालांकि, चादर चढ़ाने के बाद संत और उनके साथियों ने हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया, जिसकी कमेटी को कोई जानकारी नहीं थी।

कमेटी का मानना है कि इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है, हालांकि उन्होंने अभी तक कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

शिष्य ने क्या कहा?

संत के साथ मौजूद शिष्य कुलदीप ने बताया कि उन्होंने कमेटी से केवल चादर चढ़ाने की ही अनुमति ली थी।

चादर चढ़ाने के बाद संत ने अचानक हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया और बाकी लोग भी साथ देने लगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि हनुमान चालीसा पाठ के बारे में दरगाह प्रबंधन को पहले से सूचित नहीं किया गया था।

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साम्प्रदायिक सद्भाव की कसौटी

यह घटना धार्मिक स्थलों पर सभी पक्षों की संवेदनशीलता और पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित करती है।

दरगाह कमेटी ने शुरुआत में सद्भाव दिखाते हुए चादर चढ़ाने की अनुमति दी, लेकिन बाद की गतिविधि को लेकर उन्हें आश्चर्य और आपत्ति हुई।

घटना यह भी याद दिलाती है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर किसी भी कार्यक्रम के लिए पूरी और स्पष्ट अनुमति लेना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी तरह का भ्रम या तनाव पैदा न हो।

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फिलहाल, मामला शांत है, लेकिन यह विवाद सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए आपसी सम्मान और संवाद के महत्व को उजागर करता है।

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