Mahakal Temple VIP Culture: उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में एक श्रद्धालु दंपती ने सुरक्षाकर्मियों के साथ हुए विवाद को लेकर आरोप लगाए हैं।
महिला श्रद्धालु ने दावा किया कि मंदिर के गार्ड्स ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और बिना दर्शन कराए बाहर निकाल दिया।
वहीं, मंदिर प्रबंधन का कहना है कि दंपती मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे थे, जो मंदिर परिसर में प्रतिबंधित है।
क्या है पूरा मामला?
ऑल इंडिया बाइक राइडर नैना और उनके पति महाकाल मंदिर दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचे।
उन्होंने बताया कि सुबह 5:30 बजे तिलक लगवाकर वे कतार में लग गए।
दो घंटे बाद जब उनका नंबर आया, तो एक महिला सुरक्षाकर्मी ने उन्हें मोबाइल फोन लेकर चिल्लाया।
नैना ने कहा कि उन्हें मोबाइल बैन की जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने फोन रखने का आश्वासन दिया।
इसके बावजूद, एक अन्य गार्ड ने उन्हें दर्शन करने के बजाय कंट्रोल रूम ले जाया।
कंट्रोल रूम में उनसे पूछा गया, “क्या आप वीआईपी हैं?”
नैना ने आरोप लगाया कि उन्हें इतना परेशान किया गया कि वे बिना दर्शन किए ही वापस लौट आईं।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मोबाइल प्रतिबंधित है, तो प्रवेश द्वार पर ही चेकिंग क्यों नहीं होती?
मंदिर प्रबंधन का पक्ष
मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में नैना के पति को गणेश मंडपम में मोबाइल से वीडियो बनाते हुए देखा गया।
जब कर्मचारियों ने उन्हें नियमों के बारे में बताया, तो वे आपत्ति जताने लगे।
उनका कहना है कि सिर्फ नियमों का पालन करवाया जा रहा था।
वीआईपी कल्चर पर उठे सवाल
नैना ने अपने वीडियो में सेलिब्रिटीज जैसे विराट कोहली और सारा अली खान के मंदिर में लंबे समय तक पूजा करने के वीडियो दिखाए।
उन्होंने सवाल किया कि “आम श्रद्धालुओं को कुछ सेकंड के दर्शन मिलते हैं, जबकि वीआईपी और सेलिब्रिटीज को आधे घंटे तक पूजा की अनुमति क्यों दी जाती है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर में “धर्म के नाम पर धंधा” हो रहा है और नियम सिर्फ आम भक्तों पर ही लागू होते हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों ने जताई नाराजगी
नैना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिस पर 24 हजार से अधिक कमेंट आए।
अधिकांश लोगों ने मंदिर प्रशासन की व्यवस्था पर नाराजगी जताई।
कई यूजर्स ने वीआईपी कल्चर को गलत बताया, जबकि कुछ ने कहा कि नियमों का पालन जरूरी है।
प्रशासन ने क्या कहा?
जिला कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा कि वे वायरल वीडियो देखकर ही कोई कार्रवाई करेंगे।
मंदिर प्रबंधन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
यह घटना एक बार फिर मंदिरों में वीआईपी कल्चर और आम श्रद्धालुओं के साथ भेदभाव को लेकर बहस छेड़ रही है।
जहां एक ओर मंदिर प्रबंधन का कहना है कि नियमों का पालन जरूरी है, वहीं श्रद्धालुओं का आरोप है कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।