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सेंट्रल जेल के कैदी ने किया सुसाइड, अस्पताल के बाथरूम में फांसी के फंदे पर लटका मिल शव

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Prisoner Committed Suicide: इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती सेंट्रल जेल के एक कैदी ने सुसाइड कर लिया।

गुरुवार सुबह अस्पताल के बाथरूम में फांसी के फंदे पर कैदी का शव लटका मिला।

फिलहाल आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है।

पुलिस मामले की हर एंगल से जांच कर रही है।

राजस्थान का रहने वाला था रेप का आरोपी

इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती सेंट्रल जेल के एक कैदी ने ऑक्सीजन की नली से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

मृतक की पहचान महेंद्र प्रजापत के नाम से हुई, जो राजस्थान में पाली जिले के नयागांव चापड़ा का निवासी था।

संयोगितागंज पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक महेंद्र रेप के मामले में आरोपी था और उसे 16 नवंबर को इंदौर सेंट्रल जेल भेजा गया था।

23 दिसंबर को उसका एमवाय अस्पताल में हार्निया का ऑपरेशन हुआ था।

इसके बाद उसे अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती किया गया था।

घटना के दौरान उसकी पत्नी काजल किसी काम से बाहर गई हुई थी।

इस बीच, कैदी वार्ड में तैनात डीआरपी लाइन के पुलिसकर्मी भी अपनी ड्यूटी से चूक गए।

मौके का फायदा उठाकर महेंद्र ने ऑक्सीजन की नली से फांसी लगा ली।

जब पत्नी काजल वापस लौटी, तब घटना का पता चला।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और महेंद्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

महेंद्र की आत्महत्या से परिजनों और प्रशासन में शोक और आक्रोश का माहौल है।

रातभर दर्द से चिल्लाता रहा कैदी

सूत्रों के मुताबिक बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात महेंद्र को हार्निया का दर्द उठा था और वह रातभर चिल्लाता रहा।

गार्ड ने इसकी जानकारी अस्पताल स्टाफ को दी, लेकिन उन्होंने अनदेखा कर दिया।

गुरुवार को जब गार्ड ने कैदी की मौत की सूचना दी, तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों से उनका विवाद हो गया।

डॉक्टर इसे इलाज के दौरान हुई मौत बता रहे थे।

लेकिन, पुलिस ने जब मौके पर पहुंचकर जांच की तो महेंद्र के गले पर फांसी के निशान पाए।

जिससे यह पुष्टि हुई कि उसकी मौत फंदा लगाने से हुई।

जहां कैदी वार्ड में इस तरह की घटना सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।

वहीं प्रशासन अब यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

मामले में आरआई दीपक पाटील ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।

प्रथम दृष्टया पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आई है, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है।

जांच पूरी होने के बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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