No Detention Policy: साल 2010 में लागू नो डिटेंशन पॉलिसी को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने खत्म कर दिया है।
इसके तहत अब से 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को प्रमोशन नहीं मिलेगा।
आसान भाषा में इसका मतलब है असफल होने पर स्टूडेंट को फेल कर दिया जाएगा।
हालांकि, इसके पहले छात्रों को फेल नहीं किया जाता था और प्रमोट कर दिया जाता था।
आइए जानते हैं सरकार ने बदलाव क्यों किया और नई पॉलिसी का क्या प्रभाव पड़ेगा-
केंद्र सरकार ने खत्म की ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’
23 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है।
नई पॉलिसी के तहत अब स्कूल कक्षा 5वीं और 8वीं में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को फेल कर सकेंगे।
फेल होने वाले छात्रों को परीक्षा देने का मौका एक मौका और दिया जायेगा।
इसके बाद भी अगर छात्र फेल होता है, तो उसे कक्षा में प्रमोट नहीं किया जायेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 में संशोधन के बाद यह फैसला लिया है।
वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है।
राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश अपने अनुसार फैसला ले सकते हैं और नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करें।
अगर कोई प्रदेश या केंद्र शासित राज्य इसे लागू नहीं करना चाहता है तो यह बाध्यकारी नहीं होगा।
क्या है ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’, जिसे किया गया खत्म
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ साल 2010 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत लागू की गई थी।
इसके अनुसार कक्षा 5वीं और 8वीं के सभी स्टूडेंट्स को पास कर उन्हें अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था।
इसके चलते स्टूडेंट्स परीक्षा को लेकर बेफिक्र रहते थे।
लेकिन, अब केंद्र सरकार ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों में इस पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया है।
5वीं और 8वीं कक्षा में असफल होने पर छात्रों को प्रमोट नहीं बल्कि फेल कर दिया जाएगा।
हालांकि, परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को एक बार फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
ऐसे स्टूडेंट्स के लिए स्कूलों को दोबारा से परीक्षा आयोजित करनी होगी।
फेल हुए छात्रों को 2 महीने के अंदर ही उस विषय की अच्छी तैयारी करके पास होना पड़ेगा।
अगर छात्र दूसरे अटेंम्पट में भी फेल हो जाते हैं, तो उन्हें आगे की कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
बल्कि फेल होने वाला छात्र जिस क्लास में अभी पढ़ रहा थे, उसी में दोबारा पढ़ेगा।
सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।
शिक्षा स्तर में गिरावट के कारण लिया गया फैसला
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2024 में विशेष रूप से प्रारंभिक शिक्षा में गिरावट दर्ज होने के बाद अधिनियम में बदलाव किया है।
नो डिटेंशन पॉलिसी का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, सैनिक स्कूलों और सभी निजी स्कूलों पर पड़ेगा।
सरकार की ओर से जारी राजपत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि रोके गए छात्रों की एक सूची विद्यालय प्रशासन को बनानी होगी।
स्कूल प्रशासन और शिक्षकों को उन छात्रों पर विशेष ध्यान देना होगा और समय-समय पर उनकी प्रगति की समीक्षा करनी होगी।
सरकार द्वारा यह पॉलिसी शिक्षा के स्तर को देखते हुए खत्म की जा रही है।
5वीं और 8वीं के स्टूडेंट्स के शिक्षा का असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में पड़ता है।
इसलिए सरकार इस नीति को खत्म कर छात्रों को अधिक सीखने पर जोर दे रही है।
दिल्ली में दिखा था पॉलिसी हटाने का असर
नो डिटेंशन पॉलिसी में मूल्यांकन के ट्रेडिशनल तरीके के बजाय Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE) की बात की गई थी।
लेकिन, यह पॉलिसी शायद बहुत सफल नहीं मानी जा रही थी।
उदाहरण के लिए बीते साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी हटाने के बाद परीक्षा परिणामों में भारी गिरावट देखी गई थी।
शैक्षणिक सत्र 2023-24 रिजल्ट बताते हैं कि सिर्फ आठवीं में ही 46622 विद्यार्थी फेल हो गए थे।
वहीं नौवीं में पढ़ने वाले एक लाख से अधिक और 11वीं में 50 हजार से अधिक विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा में फेल हो गए थे।
फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से 5वीं से लेकर 8वीं तक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इन कक्षाओं को बुनियादी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।