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VB-G RAM-G बिल पास: गांधी नाम हटाने के खिलाफ रातभर संसद की सीढ़ियों पर बैठे रहे TMC सांसद

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

TMC Protest In Parliament: विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, जिसे VB-G RAM-G बिल कहा जा रहा है, गुरुवार 18 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया।

इस बिल के पारित होने के खिलाफ विपक्षी सांसदों, खासकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

विपक्ष का आरोप है कि यह बिल महात्मा गांधी का अपमान है और किसानों-गरीबों के खिलाफ साजिश है।

विरोध की पराकाष्ठा में TMC सांसदों ने संसद की सीढ़ियों पर कंबल बिछाकर कड़कड़ाती ठंड में रातभर धरना दिया।

VB-G RAM-G बिल क्या है और क्यों हो रहा है विवाद?

VB-G RAM-G बिल का पूरा नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ है।

इसे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में पेश किया।

इस बिल का मुख्य उद्देश्य 2005 में लागू हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को बदलना है।

बिल के प्रमुख प्रावधान:

  • इसका लक्ष्य ‘विकसित भारत 2047’ के विजन के तहत ग्रामीण विकास का नया ढांचा बनाना है।
  • प्रति परिवार वार्षिक गारंटीड रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 किए जाएंगे।
  • वित्तीय बोझ का बंटवारा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में होगा।
  • पूर्वोत्तर, हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल जैसे राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 रहेगा।

विवाद के मुख्य बिंदु:

  1. महात्मा गांधी का नाम हटाना: विपक्ष का सबसे बड़ा आरोप है कि सरकार MGNREGA से महात्मा गांधी का नाम हटाकर उनका अपमान कर रही है। TMC सांसदों ने अपने धरने के दौरान इसी को प्रमुख मुद्दा बनाया।
  2. राज्यों पर वित्तीय बोझ: विपक्ष का कहना है कि वित्त पोषण में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर उन पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डाला जा रहा है, जिससे योजना के क्रियान्वयन पर असर पड़ेगा।
  3. जल्दबाजी में पारित करना: विपक्ष ने बिल को संसदीय समिति के पास भेजे जाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने ध्वनिमत से इसे पारित करवा दिया।

संसद में हंगामा और विपक्ष का रातभर धरना

बिल पर बहस के दौरान संसद के दोनों सदनों में गहन तनाव देखने को मिला।

लोकसभा में 14 घंटे तक चली बहस के बाद बुधवार को यह बिल पारित हुआ।

गुरुवार रात करीब 12:30 बजे राज्यसभा में भी लंबी बहस के बाद विपक्ष के वॉकआउट करने के बाद ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया गया।

विपक्षी सांसदों ने कृषि मंत्री के भाषण के दौरान जमकर नारेबाजी की।

कई सांसद सदन के वेल (Well) में उतर आए और बिल की प्रतियां फाड़कर फेंक दीं।

इसके बाद विपक्ष के कई दलों के सांसदों ने संसद भवन परिसर में ‘संविधान सदन’ के बाहर धरना शुरू कर दिया।

TMC के सांसदों ने यह धरना रातभर जारी रखा।

वे कंबल ओढ़कर सीढ़ियों पर बैठे रहे और अपना विरोध दर्ज कराते रहे।

राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं

TMC: पार्टी के सांसदों ने कहा कि यह बिल “महात्मा गांधी का अपमान” है और गरीबों के खिलाफ है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी सरकार अपनी राज्य-स्तरीय रोजगार गारंटी योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर ही रखेगी।

कांग्रेस: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह बिल गरीबों की भलाई के लिए नहीं है और आने वाले दिनों में सरकार को इसे भी तीन कृषि कानूनों की तरह वापस लेना पड़ सकता है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि “मोदी सरकार ने एक दिन में MGNREGA के 20 साल खत्म कर दिए।”

भाजपा/सरकार: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विपक्ष से उम्मीद थी कि वे गंभीर बहस करेंगे, लेकिन उन्होंने केवल आरोप लगाए।

उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा का नाम शुरू में केवल NREGA था और 2009 के चुनावों से पहले इसमें राजनीतिक लाभ के लिए महात्मा गांधी का नाम जोड़ा गया।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बन जाएगा कानून

बिल अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास अपनी स्वीकृति के लिए जाएगा।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। हालांकि, विपक्ष के तीखे विरोध से साफ है कि यह मुद्दा संसद के बाहर भी गर्माया रहेगा।

विपक्षी दल इसे ग्रामीण भारत और गरीबों पर हमला बताकर जनांदोलन खड़ा कर सकते हैं।

साथ ही, वित्तीय बोझ को लेकर राज्य सरकारों के साथ केंद्र का टकराव भी देखने को मिल सकता है।

इस बीच, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बिल पर हंगामा करने वाले 8 विपक्षी सांसदों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है और अगले सत्र में उनकी सदस्यता रोके जाने की मांग की है।

शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन इस बिल के अलावा डिजिटल डेटा संरक्षण संशोधन बिल, वायु प्रदूषण नियंत्रण संशोधन बिल और राष्ट्रीय उचित श्रम प्रथाएं आयोग बिल जैसे अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाने हैं, जिन पर भी चर्चा होनी है।

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