Bhopal Diwali Poster Controversy: दिवाली से पहले भोपाल के चौक-चौराहों पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा लगाए गए पोस्टरों ने एक नई सियासी बहस छेड़ दी है।
इन पोस्टरों पर लिखा है- ‘अपना त्योहार अपनों से व्यवहार’ और ‘दीपावली की खरीदारी उनसे करें, जो आपकी खरीदी से दीपावली मना सकें’।
इस संदेश को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।
विहिप ने क्या कहा?
वीएचपी के प्रचार प्रमुख जितेंद्र चौहान ने इन पोस्टरों के पीछे का मकसद स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य हिंदू समाज का समर्थन और लोगों को जागरुक करना है।
उनका कहना है कि यह अभियान हिंदू उत्सव समिति की एक बैठक में लिए गए फैसले का हिस्सा है, जिसमें सनातनी (हिंदू) दुकानदारों से ही खरीदारी करने का आह्वान किया गया है।
इसके तहत पुताई, ज्वेलरी, मिठाई, पटाखे आदि सभी सामान हिंदू दुकानदारों से खरीदने की बात कही गई है।

भाजपा विधायक ने दिया ‘स्वच्छ सामान’ का तर्क
इस मामले पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वदेशी अभियान पहले से चल रहा है।
उन्होंने कहा, “जो भारत माता और हिंदुस्तान को अपनी मातृभूमि मानते हैं, उनसे ही पटाखे-फुलझड़ी, मिठाई और दीपक खरीदने चाहिए।”
उन्होंने एक और विवादित बयान देते हुए कहा, “अगर कोई सब्जी और फल पर थूकेगा, तो जनता उस पर थूकेगी। जो सामान सुरक्षित और स्वच्छ होगा, वही खरीदा जाएगा।”
उनका कहना था कि अपनों से सामान खरीदने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- ‘संस्कृति पर चोट’
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इन पोस्टरों की सख्त आलोचना की।
उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का हवाला देते हुए कहा, “क्या ये लोग मोहन भागवत जी के खिलाफ हैं? भागवत जी कहते हैं कि सब अपने हैं। बाबा आदम के जमाने से सब अपने हैं। यह भारतीय संस्कृति है, इस संस्कृति पर चोट करोगे तो ज्यादा दिन नहीं चलेगी।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश के सभी त्योहार सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए होते हैं और कोविड काल में हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी ने भाईचारे का परिचय दिया था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिवाली से पहले हिंदू संगठनों ने एक अभियान के तहत भोपाल में यह पोस्टर लगवाए हैं।
इनमें सीधे तौर पर हिंदू समुदाय से अपने धर्म के दुकानदारों से ही त्योहार की खरीदारी करने की अपील की गई है।
इसके पीछे ‘हिंदू एकता’ का नारा दिया जा रहा है।
हालांकि, विपक्ष इसे साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काने और समाज को बांटने का प्रयास बता रहा है।
भोपाल ..शहर में लगे अपना त्यौहार,अपनों के साथ व्यवहार के पोस्टर
.
.
.
.
.
.
.
.
#HBTVNews #HBTVBreakingNews #HBTVLiveUpdates #IndiaTrendingNews #MadhyaPradesh #MadhyaPradeshNews #bhopal #diwali #festival #poster #viralvideo pic.twitter.com/uB4oU0XY5c— HBTV News (@hbtv_in) October 13, 2025
क्या त्योहारों की खरीदारी को धर्म से जोड़ना सही?
यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि यह सवाल उठाता है कि क्या त्योहारों की खरीदारी को धर्म से जोड़ा जाना चाहिए?
एक तरफ जहां एक वर्ग इसे ‘आर्थिक बहिष्कार’ की रणनीति का हिस्सा मान रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसे ‘स्वदेशी’ और ‘सामुदायिक समर्थन’ का नाम दिया जा रहा है।
भोपाल में लगे ये पोस्टर सिर्फ होर्डिंग नहीं, बल्कि एक बड़ी सामाजिक-राजनीतिक बहस की शुरुआत हैं।
यह घटना दर्शाती है कि कैसे त्योहारों के सांस्कृतिक और आर्थिक पहलू अब राजनीतिक मोर्चे का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
अब देखना यह है कि आम जनता इस अपील पर कितनी और कैसी प्रतिक्रिया देती है।


