देश में आम चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं और अब सभी को इंतजार है कि किस के सिर बंधेगा जीत का सेहरा और किसके हिस्से आएगा हार का तमगा।
इन तमाम बातों पर चौक-चौराहों से लेकर सियासी गलियारों तक बहस मुबाहिसों का दौर जारी है और इसी बीच परिणाम से पहले एग्जिट पोल आने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है।
इंतजार इसलिए कि अंतिम चरण के बाद चुनाव परिणाम आने के बीच के वक्त ये एग्जिट पोल आभास करा देते हैं कि हवा का रूख किसकी तरफ जा रहा है।
खैर वो बेला भी आ ही गई है जब तमाम एजेंसियों के एग्जिट पोल हमारे सामने होंगे, लेकिन एक बात जो ज्यादातर लोगों के ज़हन में रहती है, वो ये कि आखिर ये एग्जिट पोल होते क्या हैं?
कैसे सर्वे किया जाता है और कैसे अनुमान लगाया जाता है कि किसकी सरकार बनेगी किसकी नहीं। हालांकि कई बार ये एग्जिट पोल फेल भी साबित हुए हैं और कई बार सटीक भी।
आइए जानते हैं क्या होता है एग्जिट पोल…
- एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है
- मतदान के दिन सर्वे करने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं
- मतदान करके आने वाले मतदाताओं से चुनाव से जुड़े सवाल किए जाते हैं
- मतदाताओं के जवाब के मुताबिक रिपोर्ट तैयार की जाती है
- रिपोर्ट के आंकलन से पता चलता है कि मतदाताओं का झुकाव किस तरफ है
- एग्जिट पोल में सिर्फ मतदाताओं को शामिल किया जाता है
- अंतिम चरण का मतदान संपन्न होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं
- अंतिम चरण के मतदान संपन्न होने से पहले एग्जिट पोल के आंकड़े जारी नहीं किए जा सकते
- नियम का उल्लंघन करने पर 2 साल की सजा या जुर्माना हो सकता है।
क्या हैं गाइडलाइंस –
यहां ये जानना भी जरूरी है कि एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइंस कब बनी थी और एग्जिट पोल को लेकर क्या नियम कानून हैं।
1998 में बनी थी गाइडलाइंस –
भारत निर्वाचन आयोग ने एग्जिट पोल के लिेए साल 1998 में गाइडलाइंस बनाई थीं। आयोग ने अखबार और टीवी चैनल को चुनाव प्रक्रिया शुरू होने और अंतिम चरण का मतदान खत्म होने से पहले तक Exit Poll सार्वजनिक करने से रोका।
इसको लेकर मीडिया और चुनाव आयोग आमने-सामने आ गए जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया जहां चुनाव आयोग की गाइडलाइन पर रोक लगाने से कोर्ट ने इनकार कर दिया।
साल 2010 में 6 राष्ट्रीय और 18 क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बाद धारा 126-A के तहत मतदान के दौरान एग्जिट पोल पर रोक लगाई गई थी। इसके साथ ही ओपिनियन और एग्जिट पोल जारी करते वक्त सर्वे एजेंसी का नाम, कितने मतदाताओं से और क्या सवाल पूछे, यह बताने का भी निर्देश है।
यह है कानून –
भारत में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 126 (अ) के तहत मतदान प्रक्रिया शुरू होने से 48 घंटे पहले तक Opinion Poll दिखाया जा सकता है जबकि Exit Poll के आंकड़े सभी चरणों की मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिखाए जाते है।
Exit Poll और Opinion Poll में अंतर –
एग्जिट पोल के साथ ओपिनियन पोल को भी समझना जरूरी है। ओपिनियन पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे है जो एग्जिट पोल से ठीक उलट चुनाव से पहले किया जाता है।
इसमें मतदाताओं समेत सभी को शामिल किया जाता है जिसमें तमाम ज्वलंत और चुनावी मुद्दों पर जनता का क्षेत्रवार मिजाज पता किया जाता है कि जनता के मन में क्या है, जनता को कौन सी पार्टी पसंद है, मौजूदा सरकार का कामकाज पसंद है या नहीं, कौन सी पार्टी को पसंद करते हैं वगैरह-वगैरह।
ओपिनियन पोल से जनता को मूड का पता करने की कोशिश की जाती है। बहरहाल फिलवक्त तो एग्जिट पोल आने वाले हैं और लोगों को बेसब्री से इंतजार भी है क्योंकि 2019 में सर्वे करने वाली एजेंसियों ने मोदी के पीएम बनने का सटीक अनुमान लगाया था।
इस बार सर्वे रिपोर्ट क्या कहती है देखना बाकी है…