What Is Pager: 17 सितंबर को लेबनान में पेजर ब्लास्ट (Lebanon Pager Blast) में करीब 18 लोगों की मौत हो गई और 3000 से ज्यादा लोग घायल हैं।
लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने पेजर ब्लास्ट के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि वो इसका बदला जरूर लेंगे।
हालांकि इजरायल (Israel) की तरफ से अभी तक इस घटना पर कोई बयान नहीं आया है।
इस घटना के बाद से हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये पेजर है क्या और पेजर के जरिए ब्लास्ट हुआ कैसे…
तो आइए जानते हैं सब कुछ…
क्या है पेजर? (What Is Pager)
पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो 80 और 90 के दशक में मैसेज के लिए इस्तेमाल होती है।
लेकिन मोबाइल और दूसरी टेक्नोलॉजी के आने के बाद पेजर बाजार से गायब हो गए।
पेजर रेडियो वेव्स के जरिये ऑपरेट होता है। ऑपरेटर किसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर पेजर से मैसेज भेज सकता है।
जब भी कोई मैसेज आता है तो पेजर की टोन बजती है।
कैसे काम करता है पेजर? (How does a pager work?)
अगर आपको पेजर के जरिए किसी को मैसेज भेजना है तो पहले रिसीवर की रेडियो फ्रीक्वेंसी अपने डिवाइस में सेट करनी होगी और फिर आप मैसेज भेज सकते हैं।
मैसेज उसी यूनिक फ्रीक्वेंसी पर रिसीव होगा।
पेजर में कॉलिंग वगैरह की कोई सुविधा नहीं होती है।
इसे बीपर भी कहा जाता है।
तीन तरह के होते हैं पेजर (three types of pagers)
वन वे पेजर (One way pager)
इस तरह के पेजर में सिर्फ मैसेज रिसीव किया जा सकता है।
टू वे पेजर (two way pager)
इसमें मैसेज रिसीव करने के साथ-साथ मैसेज भेजने की भी सुविधा होती है।
वॉइस पेजर (Voice Pager)
इस तरह के पेजर में वाइस रिकॉर्डेड मैसेज भेजे जा सकते हैं।
दूसरी डिवाइसेस के मुकाबले सुरक्षित (Pager Is Safer than other devices)
पेजर, मोबाइल फोन और दूसरी टेक्नोलॉजी के मुकाबले बहुत सिक्योर माने जाते हैं।
पेजर में बहुत बेसिक टेक्नोलॉजी यूज होती है और तमाम फिजिकल हार्डवेयर हैं, इसलिए उसको मॉनिटर करना मुश्किल होता है।
पेजर से भेजे गए मैसेज को ट्रैक करना भी मुश्किल है।
शायद इसीलिए हिजबुल्लाह जैसे संगठन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पेजर का इस्तेमाल करते हैं।
कब से शुरू हुआ पेजर का इस्तेमाल? (When did the use of pagers start?)
1980 के दशक के आखिर में और 2000 के दशक की शुरुआत में प्री-मोबाइल युग में पेजर का इस्तेमाल किया जाता था।
पेजर का उपयोग तुरंत अलर्ट और संपर्क जानकारी के लिए किया जाता है, खासकर उन प्रोफेशन में जहां तत्काल संचार जरूरी है
जैसे मेडिकल, पुलिस या अन्य इमरजेंसी सर्विस में।
पेजर का इस्तेमाल करने के फायदे? (What are the benefits of using pager?)
पेजर का कवरेज क्षेत्र आम तौर पर शुरुआती मोबाइल फोन की तुलना में बड़ा होता है,
खासकर दूरदराज के इलाकों में जहां सेलुलर सिग्नल कमजोर हो सकते हैं और इसलिए ये विश्वसनीय होते हैं।
ये कम से कम सुविधाओं वाले सीधे-सादे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होते हैं, जिससे उन्हें इस्तेमाल करना आसान हो जाता है और तकनीकी समस्याओं का खतरा कम होता है।
वन-वे पेजर आम तौर पर ट्रैस नहीं होते हैं, क्योंकि इनके बेस स्टेशन पर कोई सिग्नल ट्रांसमिशन नहीं होता है।
मोबाइल आने के बाद कम हुआ पेजर का इस्तेमाल?
मोबाइल फोन के आने के बाद बाद पेजर का इस्तेमाल काफी कम हो गया है।
मोबाइल फोन वॉयस कॉल, टेक्स्ट मैसेज और इंटरनेट एक्सेस सहित ज्यादा एडवांस कम्युनिकेशन देता हैं।
इसके बावजूद विश्वसनीयता, लंबी बैटरी लाइफ और खराब सेलुलर कवरेज वाले क्षेत्रों में काम करने की क्षमता के कारण पेजर अभी भी कुछ खास उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि हेल्थ सर्विस और इमरजेंसी सेवाएं।
किन देशों में आज भी इस्तेमाल होता है पेजर? (which countries still used pager)
अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, कनाडा, स्विट्जरलैंड जैसे देशों में आज भी पेजर का इस्तेमाल होता है।
इसका इस्तेमाल हॉस्पिटल और हेल्थकेयर सेक्टर में किया जाता है हालांकि, इनकी संख्या बहुत कम है।
इसके अलावा जिन देशों में इंटरनेट की कवरेज बेहद खराब है, वहां भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेजर में कैसे हुआ विस्फोट How did the pager explode?
खबरों के मुताबिक इजरायली एजेंसी मोसाद ने पेजर्स में विस्फोटक लगाया था।
रिपोर्ट कहती है कि मंगलवार को जिन पेजर में विस्फोट हुए उनको महीनों पहले हिजबुल्लाह ने ऑर्डर किया।
ये 5,000 पेजर ताइवान में बने थे और सभी पेजर के अंदर थोड़ा-थोड़ा विस्फोटक था।
एक पेजर में करीब तीन ग्राम विस्फोटक रखा गया था।
सूत्र ने कहा, ‘मोसाद ने डिवाइस के अंदर एक बोर्ड लगाया, जिसमें विस्फोटक सामग्री थी और ये एक कोड प्राप्त करता है।
इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। किसी भी डिवाइस या स्कैनर से इसे पकड़ा नहीं जा सकता है।
जब उन्हें कोडिड मैसेज भेजा गया तो विस्फोटक एक्टिव हुए और 3,000 पेजर फट गए।’
विस्फोट के बाद सामने आई पेजर की तस्वीरों में ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी के मार्क मिले हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह साजिश कई महीनों से चल रही थी।
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