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क्या है RBI Repo Rate? जिसके घटने से लोन लेना होगा सस्ता, EMI भी हो सकती है कम

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 9 अप्रैल 2025 को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में 25 बेसिस प्वाइंट्स (0.25%) की कमी की घोषणा की है।

अब रेपो रेट 6% पर आ गया है। यह इस साल की दूसरी कटौती है, जिससे होम लोन और कार लोन लेना सस्ता हो जाएगा।

लोन सस्ते होने से EMI में भी गिरावट आएगी। जिसका फायदा आम लोग की जेब पर पड़ेगा।

RBI के गवर्नर का बयान

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 9 अप्रैल को रेपो रेट में 0.25% की कमी की घोषणा की।

इस फैसले के बाद बैंकों को अपनी लोन ब्याज दरों को घटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

हालांकि, बैंकों को अपनी ब्याज दरों में कटौती करने में कुछ समय लग सकता है।

इस दौरान, ग्राहकों को कुछ हफ्ते इंतजार करना पड़ सकता है।

क्या है रेपो रेट (What is Repo Rate)

सबसे पहले जानते हैं रेपो रेट है क्या?

रेपो रेट वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कमर्शियल बैंकों को पैसे उधार देता है।

जब बैंकों को पैसों की जरूरत होती है, तो वे RBI से कुछ समय के लिए पैसे उधार लेते हैं और इस पर जो ब्याज दर लगती है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

RBI रेपो रेट को बढ़ा या घटा सकता है, जिससे बैंकों के ब्याज दर पर असर पड़ता है।

अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों के लिए पैसे उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे लोन की EMI भी बढ़ सकती है।

इसके उलट, रेपो रेट घटने से EMI कम हो सकती है।

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EMI भी होगी कम

इस बदलाव से न केवल मौजूदा ग्राहकों को फायदा होगा, बल्कि जो लोग नए लोन लेने का सोच रहे हैं, उन्हें भी कम ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है।

इससे न केवल उनके लोन की EMI कम होगी, बल्कि नए लोन लेने वालों के लिए भी इस बदलाव का फायदा होगा।

होम लोन, कार लोन लेना आसान

अगर आप होम लोन या कार लोन लेने का सोच रहे हैं, तो इसके लिए सबसे अच्छा समय हो सकता है।

आपको बैंकों से लोन पर बातचीत करने से पहले कुछ हफ्ते इंतजार करना चाहिए, ताकि ब्याज दरों में कमी का फायदा उठाया जा सके।

बैंक और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन अपनी ब्याज दरों में कटौती करेंगे, जिससे होम लोन के ग्राहकों की EMI में कमी आएगी।

खासकर फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वाले ग्राहकों को इस कमी का सबसे बड़ा फायदा होगा।

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कार खरीदने की योजना बना रहे ग्राहकों के लिए भी यह एक अच्छा समय है।

रेपो रेट की कमी के कारण कार लोन पर ब्याज दरें कम होंगी, जिससे ग्राहकों की EMI कम होगी।

इससे उन ग्राहकों को भी फायदा होगा, जिन्होंने पहले से कार खरीदने के लिए बजट तय किया था और अब वे थोड़ी महंगी कार खरीदने का सोच सकते हैं।

फरवरी में भी हुई थी कटौती

इसस पहले फरवरी में भी रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की गई थी।

इस तरह दो बार में यह 50 आधार अंक यानी 0.5 फीसदी कम हो चुका है।

माना जा रहा है कि आगे भी इसमें कटौती की गुंजाइश है क्योंकि महंगाई में गिरावट देखने को मिली है।

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रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक पावरफुल तरीका है।

जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा।

बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है।

मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है।

ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है।

इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

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