Caste Of Rahul Gandhi : एक कहावत है जाति न पूछों साधु की पूछ लीजिए ज्ञान… सही भी है, जाति बहुत अहम नहीं है, ज्ञान महत्वपूर्ण है।
लेकिन, जब बात सियासत कि हो तो जाति का महत्व बढ़ जाता है।
दरअसल कुछ दिनों से देश की सियासत में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के लोकसभा में दिए बयान पर हंगामा बरपा हुआ है।
अनुराग ठाकुर ने भले ही किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा।
जहां विपक्ष ने उनके बयान पर ऐतराज जताया और इसे असंसदीय बताया। वहीं राहुल गांधी ने इसे खुद के लिए गाली करार दिया।
फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस बयान को थोड़ा ट्विस्ट दे दिया और कहा कि कोई व्यक्ति किसी और की जाति कैसे पूछ सकता है
इसके बाद पूरी बहस राहुल गांधी की जाति और जाति पूछने पर केंद्रित हो गई है, तो आज हम यही तफ्तीश कर लेते हैं कि राहुल गांधी की जाति क्या है?
तो सबसे पहले देखते हैं राहुल गांधी की वंशावली
राहुल गांधी का परिवार देश की फर्स्ट पॉलिटिकल फैमिली कही जाती है, वो नेहरू-गांधी परिवार की छठी पीढ़ी हैं।
उनके परिवार की राजनीतिक वंशावली तैयार की जाए तो सबसे पहला नाम मोतीलाल नेहरू का आता है।
वह ब्रिटिश जमाने में एक धाकड़ वकील थे फिर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। वे महात्मा गांधी के समकक्ष नेता थे।
इसके बाद मोतीलाल नेहरू के बेटे राजनीति में आए। जवाहरलाल नेहरू भी एक धाकड़ वकील थे और फिर वह कांग्रेस के अध्यक्ष और देश के पहले प्रधानमंत्री बने।
राजीव गांधी की बायोग्राफी
राजीव गांधी-द एंड ऑफ ए ड्रीम, जिसके राइटर मिनाज मर्चेंट हैं ।
इस बुक के मुताबिक, राजीव गांधी के पूर्वज जो रिकॉर्ड में दर्ज हैं, वो पहले व्यक्ति हैं पंडित राज कौल।
पंडित राज कौल मुगल शासक के कहने पर सन 1700 के करीब कश्मीर से दिल्ली आ गए और यहां नहर के किनारे उन्हें घर दिया गया।
पंडित राज कौल के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू तक की पीढ़ी नेहरू टाइटल का इस्तेमाल करने लगे।
किताब के मुताबिक चूंकि नेहरू परिवार नहर के किनारे रहते थे, इसलिए ये नेहरू लिखने लगे।
तो राहुल के पूर्वज कौल से नेहरू तो हो गए, अब हम आपको बताते हैं ये नेहरू से गांधी कैसे हुए।
नेहरू से गांधी बनने की कहानी
पंडित जवाहर लाल नेहरू की बेटी और राहुल गांधी दादी इंदिरा गांधी ने फिरोज जहांगीर से शादी की।
फिरोज एक पारसी फैमिली से आते थे। दोनों की अंतर जातीय शादी पर काफी बवाल हुआ।
लेकिन, महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद यह मसला सुलझाया गया।
महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को समझाया और फिरोज गांधी को गोद लेने की बात कही।
फिर जवाहरलाल नेहरू और उनका परिवार फिरोज गांधी के साथ इंदिरा की शादी को तैयार हो गया।
26 मार्च 1942 को आनंद भवन में इंदिरा फिरोज गांधी की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई।
फिरोज गांधी का मूल नाम फिरोज घंडी या घैंडी था। इनसे सरनेम के पीछे का इतिहास भी काफी लंबा है।
लेकिन, महात्मा गांधी के गोद लेने के बाद उनका सरनेम गांधी हो गया।
शादी के बाद इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू, इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी बन गईं। लेकिन, पूरा हंगामा यहीं से शुरू होता है।
महात्मा गांधी ने फिरोज गांधी को गोद लिया था। ऐसे में क्या उनकी जाति और धर्म बदल गया?
क्या उनको पारसी नहीं माना जाएगा? इंदिरा-फिरोज गांधी के दो बच्चे राजीव गांधी और संजय गांधी हुए।
क्या हिंदू बन गए थे फिरोज ?
इस पूरी कहानी में एक और पेच है। फिरोज और इंदिरा गांधी का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा।
शादी के कुछ सालों बाद ही दोनों के रिश्तों में कड़वाहट भर गई।
इंदिरा गांधी अपने पिता नेहरू के साथ उनके पीएम आवास में रहती थीं वहीं फिरोज लखनऊ में रहा करते थे।
8 सितंबर 1960 को फिरोज गांधी का मात्र 48 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन के वक्त इंदिरा गांधी उनके साथ थीं।
फिर फिरोज गांधी का दिल्ली के निगमबोध घाट में पूरे हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।
फिरोज के बड़े बेटे राजीव गांधी ने उनको मात्र 16 साल की उम्र में मुखाग्नि दी।
ऐसे कहा जा सकता है कि फिरोज का जन्म तो पारसी परिवार में हुआ लेकिन मौत के वक्त वह हिंदू थे।
अब सवाल वही राहुल की जाति क्या?
2018 में गौत्र विवाद के बाद कांग्रेस के नेताओं ने राहुल के गौत्र का खुलासा करते हुए उन्हें दत्तात्रेय बताया था, जो कि कश्मीरी पंडित होते हैं।
तो ऐसे में यह भी तय है कि इंदिरा गांधी ने शादी के बाद भी अपना धर्म नहीं बदला था। शादी से लेकर अंतिम संस्कार तक उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से ही हुआ।
राजीव गांधी ने मां के धर्म को माना और जाहिर है राहुल भी उसी धर्म को मान रहे हैं। यानी वे हिंदू धर्म को मानते हुए कश्मीरी ब्राहम्ण हैं।
राहुल गांधी या किसी भी व्यक्ति को पहचानने के लिए उसका कर्म और समाज को उसका योगदान ही काफी होना चाहिए है।
लेकिन अफसोस की हमारे देश में आज भी व्यक्ति की पहचान जाति से होती है।
ऐसे में सवाल है कि जाति जनगणना का गान करने वाले राहुल को खुद की जाति बताने में इतनी झिझक क्यों?
क्या राहुल को डर है कि अगर उनको पारसी मान लिया जाए तो उनकी राजनीति खत्म हो जाएगी?
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