Who is Tiruchi Siva: तमिलनाडु की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार वजह है उपराष्ट्रपति पद का चुनाव।
जहां सत्ताधारी एनडीए ने महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक तमिलनाडु के ही एक दिग्गज नेता तिरुचि शिवा को मैदान में उतार सकता है।
अगर यह खबर सच साबित होती है, तो यह तय है कि अगला उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु से होगा।
आइए, जानते हैं कि कौन हैं तिरुचि शिवा और क्यों हो रही है उनकी इतनी चर्चा…
तिरुचि शिवा: डीएमके के रणनीतिकार और तमिलनाडु का सशक्त चेहरा
तिरुचि शिवा कोई साधारण नेता नहीं हैं।
वे द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद हैं।
तिरुचि शिवा को डीएमके का दिल्ली में रणनीतिक चेहरा माना जाता है।
संसद में पार्टी का रुख क्या होगा, इसे तय करने में उनकी भूमिका सबसे अहम होती है।
संसद में उनकी गूंजती आवाज और केंद्र सरकार के खिलाफ तीखे सवाल उन्हें एक मजबूत विपक्षी नेता बनाते हैं।

वे न सिर्फ संसद में प्रभावी भाषण देते हैं, बल्कि सामाजिक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी गहरी पकड़ रखते हैं।
चाहे बात सामाजिक न्याय की हो, राज्यों के अधिकारों की हो, या फिर केंद्र-राज्य संबंधों की, तिरुचि शिवा ने हर मुद्दे पर अपनी छाप छोड़ी है।
उनकी यह खूबी उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
शिवा का प्रेरणादायक सियासी सफर
- 1976 में आपातकाल के दौरान, जब शिवा छात्र राजनीति में सक्रिय थे, उन्हें करीब एक साल तक जेल में रहना पड़ा। लेकिन इस मुश्किल समय ने उनके इरादों को और मजबूत किया।
- जेल से निकलने के बाद उन्होंने डीएमके की छात्र शाखा में काम शुरू किया और धीरे-धीरे पार्टी के बड़े चेहरों में शुमार हो गए।
- 1982 से 1992 तक वे डीएमके युवा शाखा के उप सचिव रहे, और फिर 1992 से 2007 तक सचिव की जिम्मेदारी संभाली।
- इसके अलावा, वे पार्टी के प्रचार सचिव और उप महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे।

तमिलनाडु की सियासत में क्यों अहम है यह दांव?
तमिलनाडु में अगले साल यानी 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव को दोनों गठबंधनों के लिए एक बड़ा मौका माना जा रहा है।
एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को चुनकर तमिलनाडु की क्षेत्रीय भावनाओं को भुनाने की कोशिश की है।
दूसरी ओर, विपक्ष भी तिरुचि शिवा जैसे मजबूत नेता को सामने लाकर तमिलनाडु में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
अगर इंडिया ब्लॉक तिरुचि शिवा को उम्मीदवार बनाता है, तो यह साफ संदेश होगा कि विपक्ष तमिलनाडु की सियासत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।
यह पहली बार होगा जब दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु, से दोनों गठबंधनों के उम्मीदवार होंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव: सेमीफाइनल या फाइनल?
यह उपराष्ट्रपति चुनाव सिर्फ एक पद की लड़ाई नहीं है।
इसे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है।
तमिलनाडु में डीएमके की मजबूत पकड़ है, और तिरुचि शिवा जैसे नेता का नाम आगे बढ़ने से विपक्ष को न सिर्फ क्षेत्रीय समर्थन मिलेगा, बल्कि यह सामाजिक न्याय और संघीय ढांचे जैसे मुद्दों को भी राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का मौका देगा।
दूसरी ओर, एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भी तमिलनाडु के दिग्गज नेता हैं, जो बीजेपी की रणनीति को मजबूत कर सकते हैं।
उपराष्ट्रपति पद का यह चुनाव न सिर्फ सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह तमिलनाडु की सियासत के लिए भी एक बड़ा टर्निंग पॉइंट हो सकता है।

तिरुचि शिवा का व्यक्तित्व और योगदान
- तिरुचि शिवा न सिर्फ एक नेता हैं, बल्कि एक लेखक और प्रभावी वक्ता भी हैं।
- उनकी किताबें और भाषण तमिलनाडु की जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
- डीएमके के लिए उन्होंने कई स्तरों पर काम किया है, चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में।
- विभिन्न समितियों में उनकी भूमिका ने उन्हें एक गंभीर और जिम्मेदार नेता के रूप में स्थापित किया है।
- खास तौर पर सामाजिक न्याय और राज्यों के हक की बात हो, तो तिरुचi शिवा हमेशा आगे रहे हैं।

अब देखना यह है कि क्या तिरुचि शिवा विपक्ष के उम्मीदवार बनते हैं और क्या वे सीपी राधाकृष्णन को टक्कर दे पाएंगे।
यह मुकाबला निश्चित रूप से रोमांचक होने वाला है।


